सुप्रीम कोर्ट हिन्दू धार्मिक तंत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप ना करे-महामण्डलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के शंकराचार्य पद पर आरूढ़ होने से रोकने के आदेश पर शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने गहन आक्रोश प्रकट करते हुए कहा है कि उच्चतम न्यायालय क्यों और कैसे सनातन धर्म के धार्मिक तंत्र में हस्तक्षेप करता है?न्यायालय को कोई अधिकार नहीं है कि वो हमारी धार्मिक मान्यताओं में हस्तक्षेप करे और हमको बताए कि हमारा शंकराचार्य कौन होगा।क्या भारत की न्यायपालिका यह सोचती है कि बहुसंख्यक होने के कारण हिन्दुओ को अपनी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं के साथ रहने का अधिकार नहीं है?क्या भारत की न्यायपालिका ने कभी किसी और मजहब के मामलों में इस तरह का हस्तक्षेप किया है?

उन्होंने इस सारे अन्याय के लिये सनातन धर्म के धर्मगुरुओं को भी दोषी ठहराते हुए कहा कि सनातन धर्म के धर्मगुरुओं ने धर्म को मजाक बना कर रख दिया है।अपने जरा जरा से क्षुद्र स्वार्थो के कारण उन्होंने धर्म को ही विवाद का विषय बना दिया है।जब सनातन धर्म त्याग और तपस्या पर बल देता है तो फिर क्यो सनातन धर्म के धर्माचार्य जरा जरा सी बातों को लेकर एक दूसरे के खून के प्यासे होकर हर विवाद को न्यायपालिका और नेताओं के पास लेकर जाते हैं?आज हिन्दू धर्माचार्यों के इस आचरण के कारण ही सरकार और न्यायपालिका को हमारे धर्म का मजाक बनाने का मौका मिलता है।अगर सनातन धर्म के धर्माचार्य इसी तरह का निष्ठाहीन आचरण करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब सनातन धर्म केवल इतिहास के कुछ पन्नो में सिमट जाएगा।
उन्होंने सनातन के धर्माचार्यों से इस तरह के आपसी विवाद को सुलझाने के लिये सनातन न्यायपीठ का गठन करने का आग्रह किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *