कोरोना दौर में बच्चों की शिक्षा ऑनलाइन शुरू हो गई। कहीं कुछ ऐसी कहानियां सामने आई जहां बच्चों के पास स्मार्टफोन तक नहीं था, कहीं किसी के गांव में नेटवर्क नहीं था। लिहाजा लोगों ने उनकी मदद की। उनकी स्टोरी दुनिया के सामने रखी। देश की राजधानी दिल्ली से सीमांत क्षेत्र तल्लादेश तामली चम्पावत उत्तराखंड का युवा शिक्षक दिनेश चंद्र जोशी हैं। वो इस दौर में कई जरूरतमंदों बच्चों को फ्री में ऑनलाइन क्लासेज देते हैं।
कई पढे लिखे लोग जुड़े हैं दिनेश की उम्र 40 वर्ष है। वो ट्यूटर हैं दिल्ली में रेडिकल कैरियर एकेडमी में पढ़ाते हैं करोना का दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो उन्होंने आनलाइन निशुल्क कक्षाओं का संचालन किया और सीमांत क्षेत्रों सहित देश भर से बच्चो को निशुल्क पढ़ाना शुरू किया। वो बच्चों को गणित पढ़ाते हैं। बस यहीं से उनका सफर शुरू हुआ था, आज वो 1000से ज्यादा बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। इसके अलावा दिल्ली में कुली कैंप, शिवा कैम्प, नेहरू एकता कैम्पो में मजदूरों के बच्चों को नई सोच नई पहल संस्था के माध्यम से निशुल्क पढ़ाते हैं साल 2020 जब लाकडाउन हुआ आसपास कामगार लोगों ने भी उनसे गुजारिश की कि उनके बच्चों को भी ट्यूशन पढ़ा दें।
फिर उनके पास सैकड़ों स्टूडेंट्स हो गए। ये सभी बच्चों कामगार मजदूरों के बच्चे थे। फिर उन्होंने ऑनलाइन क्लासेज के बारे में सोचा लेकिन बच्चों के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। हालांकि उन्होंने अपने काम को कोई भी पब्लिसिटी नहीं की। एक लोकल न्यूजपेपर में उनकी स्टोरी छपी थी। जिसके बाद लोगों तक उनकी कहानी पहुंची। कई पेरेंट्स ने उनसे अपने बच्चों को पढ़ाने की अपील की। ऑनलाइन क्लासेज शुरू कर दी गई। उनकी इस टीम में प्रमोद यादव, सानिया, तानिया , शिक्षक रवि सर द्वारा CUET की आनलाइन निशुल्क कक्षाओं में भी बच्चे निशुल्क पढ़ रहे हैं इसके अलावा बच्चों के लिए निशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण भी प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने कई पेरेंट्स ने ये अपील की कि वो जरूरतमंद बच्चों की मिलकर मदद करें, ताकि उन्हें स्मार्टफोन दिया जा सके और उनकी शिक्षा भी बाधित ना हो।