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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post अमर शहीद सुखदेव जी के जन्म दिवस पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग में देखिए कैसे किया गया भव्य कार्यक्रम का आयोजन appeared first on The News Express.
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अमर शहीद सुखदेव जी के 116वे जन्मदिवस दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन मोहम्मद जाकिर खान साहब की अध्यक्षता में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग और भीम ब्रिगेड ट्रस्ट के द्वारा दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के सभागार में धूमधाम से मनाया खान साहब ने बताया की राजीव जोली खोसला पिछले 22 वर्षों गरम दल क्रांतिकारी वीरों नमन करते आए हैं हिंदू ,मुस्लिम,सिख,ईसाई सभी धर्मों को साथ लेकर और कहा की भगत सिंह के साथी सुखदेव का जन्म ग्राम नौघरा लुधियाना पंजाब में 15 मई, 1907 को हुआ था। इनके पिता प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री रामलाल थापर तथा माता श्रीमती रल्ली देई थीं।सुखदेव के जन्म के दो साल बाद ही पिता का देहान्त हो गया। सुखदेव के जन्म के समय वे क्रान्तिकारी वातावरण में सुखदेव बड़े हुए।
जब वह तीसरी कक्षा में थे,तो गवर्नर उनके विद्यालय में आये। प्रधानाचार्य के आदेश पर सब छात्रों ने गवर्नर को सैल्यूट दिया; पर सुखदेव ने ऐसा नहीं किया। जब उनसे पूछताछ हुई, तो उन्होंने साफ कह दिया कि मैं किसी अंग्रेज को प्रणाम नहीं करूँगा।
आगे चलकर सुखदेव और भगतसिंह मिलकर लाहौर में क्रान्ति का तानाबाना बुनने लगे। उन्होंने एक कमरा किराये पर ले लिया। वे प्रायः रात में बाहर रहते थे या देर से आते थे। इससे मकान मालिक और पड़ोसियों को सन्देह होता था। इस समस्या के समाधान के लिए सुखदेव अपनी माता जी को वहाँ ले आये। अब यदि कोई पूछता, तो वे कहतीं कि दोनों पी.डब्ल्यू.डी.में काम करते हैं। नगर से बहुत दूर एक सड़क बन रही है। वहाँ दिन-रात काम चल रहा है, इसलिए इन्हें आने में प्रायः देर हो जाती है। सुखदेव बहुत साहसी थे। लाहौर में जब बम बनाने का काम प्रारम्भ हुआ, तो उसके लिए कच्चा माल फिरोजपुर से वही लाते थे। एक बार माल लाते समय वे सिपाहियों के डिब्बे में चढ़ गये। उन्होंने सुखदेव को बहुत मारा।
सुखदेव चुपचाप पिटते रहे; पर कुछ बोले नहीं; क्योंकि उनके थैले में पिस्तौल, कारतूस तथा बम बनाने का सामान था। एक सिपाही ने पूछा कि इस थैले में क्या है ? सुखदेव ने त्वरित बुद्धि का प्रयोग करते हुए हँसकर कहा – दीवान जी, पिस्तौल और कारतूस हैं। सिपाही भी हँस पड़े और बात टल गयी। जब साइमन कमीशन विरोधी प्रदर्शन के समय लाठी प्रहार से घायल होकर लाला लाजपतराय की मृत्यु हुई, तो सांडर्स को मारने वालों में सुखदेव भी थे। उनके हाथ पर ॐ गुदा हुआ था। फरारी के दिनों में एक दिन उन्होंने वहाँ खूब सारा तेजाब लगा लिया। इससे वहाँ गहरे जख्म हो गये; पर फिर भी ॐ पूरी तरह साफ नहीं हुआ। इस पर उन्होंने मोमबत्ती से उस भाग को जला दिया।
पूछने पर उन्होंने मस्ती से कहा कि इससे मेरी पहचान मिट गयी और पकड़े जाने पर यातनाओं से मैं डर तो नहीं जाऊँगा, इसकी परीक्षा भी हो गयी। उन्हें पता लगा कि भेद उगलवाने के लिए पुलिस वाले कई दिन तक खड़ा रखते हैं। अतः उन्होंने खड़े-खड़े सोने का अभ्यास भी कर लिया।जब भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी घोषित हो गयी, तो जनता ने इसके विरोध में आन्दोलन किया। लोगों की इच्छा थी कि इन्हें फाँसी के बदले कुछ कम सजा दी जाये। जब सुखदेव को यह पता लगा, तो उन्होंने लिखा,‘‘हमारी सजा को बदल देने से देश का उतना कल्याण नहीं होगा,जितना फाँसी पर चढ़ने से।’’ स्पष्ट है कि उन्होंने बलिदानी बाना पहन लिया था।23 मार्च, 1931 को भगतसिंह,राजगुरु के साथ सुखदेव भी हँसते हुए फाँसी के फन्दे पर झूल गये। पुष्पांजलि सभा में भीम ब्रिगेड ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव जोली खोसला ने मंच का संचालन किया और आए हुए सभी राष्ट्र भक्तों का चेयरमैन जाकिर खान के द्वारा स्वागत करवाया गया
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