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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121The post ओन्टोलॉजिस्ट आश्मीन कौर मुंजाल एसईएएफ द्वारा आयोजित काॅन्फ्रैन्स आॅफ इंडियाः द लैण्ड आॅफ फ्री रीलीजन एण्ड कल्चर की पैनलिस्ट बनीं appeared first on The News Express.
]]>ओन्टोलॉजिस्ट और शुक्राना फाउन्डेशन की संस्थापक आश्मीन कौर मुंजाल एसईएएफ (साउथ एण्ड ईस्ट एशिया फाउन्डेशन) द्वारा आयोजित काॅन्फ्रैन्स आॅफ इंडियाः द लैण्ड आॅफ फ्री रीलीजन एण्ड कल्चर की पैनलिस्ट एवं मुख्य प्रवक्ता थीं। पैनल चर्चाओं और मुख्य व्याख्यानों के बाद इंटरनेशनल हार्मोनी अवाॅर्ड्स का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन जुनिपल हाॅल, इंडिया हेबिटेट सेंटर, लोधी रोड़, नई दिल्ली में हुआ था।
सम्मेलन को दो सत्रों में बांटा गया, पहला सत्र भारत में धार्मिक संकट एवं विश्व में धार्मिक संकट के अन्तराष्ट्र्रीय परिप्रेक्ष्य के बारे में था। आश्मीन के साथ पैनल चर्चा में हिस्सा लेने वाले अन्य दिग्गजों में पद्म विभुषण डाॅ सोनल मानसिंह (संसद के माननीय सदस्य, राज्य सभा), गोपाल अग्रवाल (राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा), अरविंद गौर (संस्थापक निदेशक, अस्मिता थिएटर ग्रुप), देवेन्द्र कुमार (संस्थापक एवं सीईओ, लाडली फाउन्डेशन ट्रस्ट्र) भी मौजूद थे।
आश्मीन कौर मुंजाल जिन्हें काॅस्मेटोलोजिस्ट के रूप में जाना जाता था, वे पिछले 25 सालों से लोगों को खूबसूरत बना रहीं हैं, और पिछले 11 साल से ओंटोलोजिस्ट की भूमिका निभा रही हैं हाल ही में उन्होंने अपने शुक्राना ग्रेटीट्यूट फाउन्डेशन के तहत रुथैंकयूइंडिया अभियान की शुरूआत की थी। उनका कहना है, ‘‘समय आ गया है कि हम न सिर्फ बाहर से बल्कि भीतर से भी अपने आप को खूबसूरत बनाएं, ओंटोलोजी हमें एक मनुष्य के रूप में आध्यात्मिक प्रथाएं अपनाकर ग्रेटीट्यूट की क्षमता देती है।“ इस अवसर पर पैनलिस्ट्स डाॅ इंदे्रश कुमार, सीनियर लीडर आरएसएस और आश्मीन के बीच इंटेलेक्चुअल चर्चा हुई, जिन्होंने भारत द्वारा दुनिया को दिए गए शक्तिशाली दर्शन एवं सांस्कृतिक धरोहर के प्रगतिशील दृष्टिकोण पर रोशनी डाली। उन्होंने उन विषयों पर भी चर्चा की जिन पर आज पूरी दुनिया बात कर रही है, भारत में धर्मों की स्थिति पर विचार रखे। आश्मीन ने संयुक्त परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत एक बड़ा संयुक्त परिवार है जहां परिवार के सदस्यों के अलग-अलग विचार हैं, ऐसा हो सकता है कि वे एक दूसरे के विचारों को समझ न पाएं लेकिन उनके बीच प्यार है और भाई-बहन जैसा रिश्ता है, वे एक दूसरे के साथ मिलकर हंसते-रोते हैं। लेकिन परिवार हमेशा परिवार ही होता है। भारत के बाहर ज़्यादातर लोग भारत की पारिवारिक संस्कृति को देखकर हैरान रह जाते हैं, खासतौर पर जब वे देखते हैं कि किस तरह भारत में बड़े संयुक्त परिवार एक साथ मिल-जुल कर रहते हैं। इसी तरह भारत में परिवार का मुखिया अपने सभी परिवारजनों को स्नेह के साथ मार्गदर्शन देता है। भारत अपने आप में बहु-आयामी संस्कृति एवं विभिन्न धर्मों के संयोजन का अनूठा उदाहरण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने मौजूदा लीडरों के प्रति भी आभारी हैं जिनके साथ मिलकर हम भारत के अमृत काल के दौर से गुज़र रहे हैं। भारत की स्वर्णिम महिमा विकास के रूप में वापस आ रही है “उन्होंने कहा कि हमें अपने आस-पास की खूबसूरती और गुणों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।
दूसरे सत्र में बताया गया कि किस तरह भारत मुक्त धर्म एवं संस्कृति की भूमि है। पैनल पर चर्चा करने वाले गणमान्य दिग्गजों ने देश की सांस्कृतिक विविधता और समावेशन पर विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर यूएन प्रतिनिधि, चुनिंदा राजनयिक, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और स्थानीय सेलेब्रिटीज़ भी मौजूद थे। उन लोगों को इंटरनेशनल हार्मोनी अवाॅर्ड दिए गए जिन्होंने देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने में योगदान दिया है।