wp-plugin-mojo
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121google-analytics-for-wordpress
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121newscard
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121The post दिल्ली सरकार “सुनो यमुना की पुकार”- भाई प्रीत सिंह appeared first on The News Express.
]]>
सेव इंडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई प्रीत सिंह ने दिल्ली में यमुना की वर्तमान स्थिति और खुलेआम हिन्दूओं के धर्मांतरण पर बहुत गहन आक्रोश व्यक्त करते हुए दिल्ली सरकार के खिलाफ 24 घंटे का “सत्याग्रह” किया! प्रीत सिंह ने बताया यमुनोत्री से इलाहाबाद तक यमुना नदी 1,370 किलोमीटर तक का सफर तय करती है. वजीराबाद और ओखला के बीच, 22 किलोमीटर का हिस्सा है जो यमुना की कुल लंबाई के 2 प्रतिशत से भी कम है. नदी का ये 22 किमी हिस्सा पूरी नदी में 80 प्रतिशत प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार है।
आखिर सरकार क्या कर रही है? यमुना का ये हाल क्यों है और इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? हजारों करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी क्यों है यमुना की यह दुर्दशा?
करोड़ों लोगों के लिए जीवनदायिनी यमुना नदी, खुद सांसों के लिए तरस रही है, जवाबदेही किसकी है? जहरीली हवा के साथ-साथ दिल्ली के लोग जहरीले पानी पीने को भी मजबूर हैं – जवाबदेही किसकी है? आखिर यमुना की सफाई को लेकर दावे और वादे कब पूरे होंगे और कब यमुना एक बार फिर स्वच्छ और निर्मल दिखाई देगी? कई सरकारें आईं, कई वादे किए करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लेकिन यमुना की तस्वीर बदल नहीं पाई, और कितनी प्रतिक्षा करनी होगी? 9 सूत्री कार्य योजना का नतीजा अभी तक शून्य – जवाबदेही किसकी है? यमुना की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोग्राम के तहत 4,355 करोड़ रुपये के 24 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. उसमें सबसे ज्यादा 13 प्रोजेक्ट दिल्ली में हैं, लेकिन अभी तक उनमें से सिर्फ 2 का काम पूरा हुआ है – लेट लतीफी की जिम्मेदारी जवाबदेही किसकी है? दिल्ली के सैकड़ों छोटे नाले 38 बड़े नालों में मिलते हैं और इन 38 बड़े नालों का पानी यमुना में गिरता है. इस पानी को साफ करने के लिए सभी नालों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ क्यों नहीं है – जवाबदेही किसकी? प्रीत सिंह ने कहा, केजरीवाल 2014 से बार बार यमुना की सफाई की बात कह रहे है, लेकिन यमुना नदी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए 2,409 करोड़ रुपये दिए हैं, लेकिन उनके राजनीतिक पर्यटन में पैसा पानी की तरह बर्बाद हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राजधानी दिल्ली में 35 में से औसतन 24 एसटीपी ने पिछले एक साल में अपशिष्ट जल के लिए निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया। फिर भी दिल्ली की फैक्ट्रियों से गंदा पानी निकलना जारी है, क्योंकि भष्टाचार जारी है।
जुलाई में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, दिल्ली सरकार ने कहा था कि यमुना न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह की कमी की वजह से कभी नहाने योग्य नहीं हो सकती जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2014 से कह रहे हैं कि उनकी सरकार पांच साल में यमुना को नहाने लायक बना देगी. आज दिल्ली की हवा और पानी दोनों जहरीली हैं। यूपीए सरकार ने वर्ष 2005 में उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि उसने लंदन की टेम्स नदी की तर्ज पर दिल्ली में यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने की रणनीति तैयार की है। न्यायालय ने इस एक्शन प्लान को सहमति भी प्रदान की, लेकिन इस दिशा में ठोस प्रयास नहीं किया गया और वह पहले से ज्यादा मैली हो गई। बाद में 2016 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर दिल्ली सरकार ने भी ऐसा दावा किया, लेकिन क्या हुआ उस संकल्प का ? आखिर कब तक यमुना की सफाई का मुद्दा राजनीतिक वादों और चुनावी मेनिफेस्टो तक ही सिमटा रहेगा? सुप्रीम कोर्ट पिछले 18 वर्षो से यमुना में प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है। दिल्ली के लिए यमुना का साफ होना इसलिए भी बेहद जरूरी है, क्योंकि दिल्ली में पीने के पानी की सप्लाई यमुना से ही होती है, लेकिन इसके बावजूद यमुना को सबसे ज्यादा प्रदूषित दिल्ली ही करती है, आम आदमी पार्टी के नेता दिल्ली की हर समस्या के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश को दोषी ठहराते है, ऐसे कर के वे अपनी जिम्मेदारी जवाबदेही से पीछे नहीं हट सकते। दिल्ली में यमुना किनारे 65,000 झुग्गियां हैं, जिनमें करीब 4 लाख की आबादी रहती है – उत्तर प्रदेश बिहार पूर्वांचल के लोगों से 4 बार वादा किया फिर भी कोई मकान नहीं दिया – लेकिन रोहिंग्या घुसपैठिओं को मकान सहित सभी अन्य सुविधाएं भी देने का काम किया। केजरीवाल सरकार जहरीली हवा पानी से दिल्ली को मारने में लगी है, और जो बचे हैं उन का इन के मंत्री सामूहिक धर्मांतरण करा रहे हैं। दिल्ली सरकार दिल्ली के लगभग 20 लाख लोगों की आस्था पर प्रहार कर रही है, आए दिन हिन्दूओं के त्यौहारों पर प्रतिबंध लगा रही है, इसी सप्ताह छठ भी है। पूर्वांचल और बिहार के लोगों को प्रदूषित पानी में खड़े होकर छठ माता की पूजा करनी पड़ती है।
राजनीतिक इच्छाशक्ति शून्य इसलिए जनभागीदारी जरूरी है! हम दिल्ली सरकार को उचित एक्शन लेने के लिए 30 दिन का समय देते है सरकार इस पर यदि कोई उचित कदम नहीं उठाती और दिल्ली में धर्मांतरण नियंत्रण कानून नहीं बनाती तो हम तीन दिवसीय सत्याग्रह करेंगें। सेव इंडिया फाउंडेशन दिल्ली चुनाव से पहले मतदान जागरूकता अभियान “पदयात्रा” भी करेगी ताकि दिल्ली ऐसी सरकार चुनें जिसकी प्राथमिकता दिल्ली की समस्याओं का समाधान हो ना कि देश के अन्य राज्यों में चुनावी प्रचार में लगे रहना।