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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121The post नौकरी देने के नाम पर उद्दयोग विरोधी छवि से मुक्ति की राज्यों की पहल appeared first on The News Express.
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इन दिनों तमाम राज्य खासकर विपक्षी शासित राज्य अपनी उद्दोग विरोधी छवि से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे है। ऐसे समय जब पूरे देश में रोजगार और आर्थिक हालात बड़ा मुद्दा बन रहा है,विपक्षी दलों का लगने लगा है किअगर उद्दयोग का विरोध करेंगे तो इसका निगेटिव असर हो सकता है। पिछले दिनों राजस्थान में कांग्रेस शासित अशोक गहलोत की राज्य सरकार का वहां इनवेस्टर समिट में गौतम अडाणी का आना हो जिसका समर्थन खुद राहुल गांधी ने किया। फिर छत्तीसगढ़ में भी अडाणी हो या दूसरे उद्दयोगपति वहां की राज्य सरकार नियमों के दायरे में अब सभी का स्वागत करने को तैयार है।लेकिन पिछले दिनों राज्य में बाहर से कुछ एक्टिविस्टों की ओर से किये गये आंदोलन को लेकर सरकार चिंतित है। सरकार का मानना है कि कोविड के बाद इकोनॉमी को पटरी पर लाने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए अभी तुरंत अधिक से अधिक निवेश की जरूरत है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी राजीव गांधी न्याय योजना की शुरूआत की। इसके अलावा पुरानी पेंशन को भी लागू किया। सरकार बिजली बिल में भी जनता को रियायत देने की कोशिश में है। ऐसे में अगर सरकार के पास निवेश नहीं होगा तो आर्थिक जरूरतों को पूरा करना असंभव हो जाएगा। यही कारण है कि सरकार विकास कार्यों के खिलाफ टुकड़ों-टुकड़ों में हो रहे आंदोलन को न सिर्फ इग्नोर कर रही है बल्कि इसे विकास के खिलाफ भी मान रही है।
इन विरोधों पर राज्य सरकार से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि- इसी तरह छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने पिछले दो सालों में नक्सलों के खिलाफ भी कई सघन अभियान चलाए और इनसे प्रभावित इलाकों में कई काम किये। लेकिन यहां भी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ा। फिर भी सरकार कुछ खास संस्थाओं के लगातार विरोध को दरकिनार कर बस्तर जैसे इलाकों में भी कई विकास के काम किये जिसके परिणाम दिखने लगे। सरकार का यह भी दावा है कि चाहे अडाणी हो या दूसरे उद्दयोगपति,उन सभी को जमीन अधिग्रहण का मामला हो या बाकी कोई संसाधन देने की बात हो,कहीं भी नियमों की अनदेखी नहीं की गयी है।
सरकार इस मामले में एनजीओ या दूसरे एक्टिविस्टों से बात करने के लिए भी तैयार है। लेकिन कहीं न कहीं कुछ खास एनजीओ की नियत भी इस पूर मामले में संदेह से बाहर नहीं रहा है। इनके विरोध में अधिकतर लोग राज्य के प्रभावित लोग न होकर राज्य के बाहर से आए लोग हें। दरअसल पिछले कुछ महीने से लगातार कई विपक्षी शासित राज्यों ने अपनी एंटी उद्दयोग छवि से निजात पाने के लिए लगातार एक के बाद एक पहल की है। इसी साल के शुरू में चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने गौतम अडाणी पर बहुत आक्रामक अटैक किया था।लेकिन चुनाव के बाद ममता बनर्जी ने बहुत बड़ा इनवेस्टर समिट को आयोजन किया जिसमें गौतम अडाणी ने पूरे देश में सबसे अधिक निवेश वाले राज्य में पश्चिम बंगाल को शामिल करने का एलान किया। पिछले दिनों बिहार सरकार के निवेश सम्मेलन में भी अडाणी समूह शामिल हुआ था। चाहे बिजली के क्षेत्र में हो या इंफ्रास्ट्रचर के क्षेत्र में। ऐसे में वह मानते हैं कि उदयोग जगत से टकराव कर निवेश को नकार नहीं सकते हैं।
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