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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121The post समाजवादी पार्टी ने दिया अपना नया नारा, अयोध्या में न मथुरा, न काशी सिर्फ, अवधेश पासी। appeared first on The News Express.
]]>उत्तर प्रदेश की फैजाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रत्याशी लल्लू सिंह 54567 वोटों से हार गए है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भाजपा के लिए यह बड़ा झटका है। फैजाबाद लोकसभा के अंतर्गत आने वाली अयोध्या BJP और उसके वैचारिक अभिभावक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दशकों लंबे आंदोलन का केंद्र रही है। 2019 में, BJP के लल्लू सिंह ने एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से सीट जीती। BJP ने जनवरी 2024 में मंदिर के उद्घाटन के साथ अपने चुनाव अभियान की रूपरेखा तैयार की। सभी मशहूर हस्तियों और प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया था।
फैजाबाद में भाजपा के हार के कारण
फैजाबाद सीट को लेकर अखिलेश यादव ने इस बार नया प्रयोग किया था। यह सीट सामान्य होने के बावजूद भी SP ने बड़ी दलित आबादी से आने वाले अवधेश कुमार को मैदान में उतारा था। अवधेश कुमार पासी बिरादरी से आते हैं। वह छह बार के विधायक रहने के साथ मंत्री भी रह चुके हैं। साथ ही साथ समाजवादी पार्टी (SP) के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। अयोध्या में सबसे ज्यादा पासी बिरादरी की आबादी मानी जाती है।
लल्लू सिंह के खिलाफ नाराजगी थी। दो बार वह यहां से सांसद रह चुके थे। हालांकि, जमीन पर उनकी सक्रियता कम ही देखने को मिलती थी। चुनाव के पहले लल्लू सिंह का एक बयान को वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। हालांकि बाद में पार्टी की ओर से सफाई दी गई। लेकिन यह विपक्ष द्वारा एक मुद्दा बनाया जा चुका था।
इसी दौरान समाजवादी पार्टी (SP) ने एक नारा दे दिया, अयोध्या में न मथुरा, न काशी सिर्फ, अवधेश पासी। माना जाता है कि इस नारे की बदौलत समाजवादी पार्टी की ओर से जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई। इससे न सिर्फ दलित जातियां बल्कि कुर्मी जैसी ओबीसी जाति अभी गोल बंद हो गई।
हिंदुत्व का केंद्र होने के बावजूद भी यह शहर BJP का कभी गढ़ नहीं रहा है। यहां से विभिन्न पार्टी के नेता जीत चुके हैं। 2022 की विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को यहां जीत के लिए संघर्ष करना पड़ा था। इस सीट से उत्तर प्रदेश की तीन बड़ी पार्टियां भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अलग-अलग समय पर जीत हासिल कर चुकी है।