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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post पद पाकर अभिमान नहीं करना चाहिये : महंत राधामोहन दास appeared first on The News Express.
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झांसी।नित्य लीला निकुंज निवासी गुरुदेव भगवान महंत बिहारी दास की सत्प्रेरणा से वर्तमान महंत राधामोहन दास महाराज के गद्दी पर विराजमान महोत्सव के उपलक्ष्य में कुंज बिहारी मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ समारोह के तीसरे दिन का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास महंत राधामोहन दास ने कहा कि जिस प्रकार छोटी सी कुल्हाड़ी बड़े से बड़े पेड़ को काट देती है उसी प्रकार भगवान के चरणों में प्रणाम करने मात्र से जन्म जन्मांतर के पाप कट जाते हैं। कपिल अवतार, बालक ध्रुव एवं प्रहलाद चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि ठीक तरह से भगवान की भक्ति बचपन में हो सकती है वह पचपन (बुढ़ापे) में नहीं होती बालक ध्रुव ने भी बचपन में ही संसार के सभी वैभव त्याग दिए और प्रभु भक्ति कर परमात्मा की गोद में जा बैठे। श्रीमद्भागवत की अमृत वर्षा करते हुए महंत ने कहा कि भगवान के भजन करने में तमाम बाधाएं आती हैं।भक्त प्रहलाद को तो स्वयं उनके पिता हिरण्यकश्यप द्वारा हरि नाम संकीर्तन करने पर तमाम यातनाएं दी गई,
परंतु भक्त प्रहलाद ने कहा कि ‘राम नाम जपताम कुतो भयम’ अर्थात राम के नाम का जाप करने वाले कभी भयभीत नहीं होते। उन्होंने कहा कि काल रूपी चिड़िया आयु रूपी खेत को सदैव से ही रोज ही चुगती है इसलिए हमें हर क्षण परमात्मा का स्मरण करते हुए मानव जीवन बिताना चाहिए। मानव देह को दुर्लभ बताते हुये कथा व्यास ने कहा कि यदि हमें कभी सत्ता सिंहासन अथवा ऊंचे पद पर पहुंच जाने पर सत्ता मद नहीं करना चाहिए बल्कि ईश्वर में आस्था रखते हुए नर सेवा नारायण सेवा का सदैव अनुसरण करते रहना चाहिए। प्रजापति दक्ष द्वारा कराये गये यज्ञ का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि दक्ष को जब सिंहासन मिल गया तो उन्होंने भगवान शिव का अपमान करने की ठानकर यज्ञ कराया और शिव को उस यज्ञ में न तो आमंत्रित किया और ना ही उन्हें स्थान दिया गया परिणामस्वरुप जब सती ने वहां पहुंचकर अपने पिता दक्ष के इस कृत्य को जाना तो उन्होंने स्वयं ही अग्निस्नान किया जिसकी खबर पाकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और शिव के गणों ने उस यज्ञ को तहस-नहस कर खंडित कर दिया इस प्रकार अभिमान करने से राजा दक्ष का सर्वनाश हो गया।
महंत ने कहा कि आज युवा वर्ग को सत्संग की सबसे अधिक आवश्यकता है।पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ती प्रभाव से भारतीय संस्कृति को खतरा पैदा हो गया है और हम टीवी को देखकर अपने भीतर बुराइयों का समावेश करते चले आ रहे हैं। उन्होंने बड़े बुजुर्गों एवं माता-पिता से विनम्र अनुरोध करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों में जन्म से ही अच्छे संस्कार डालें एवं प्रभु भक्ति मार्ग पर ले जाएं अन्यथा बड़े होकर देश के कर्णधार नौनिहाल रास्ता भटक जाएंगे।संचालन करते आचार्य राम लखन उपाध्याय ने पुराण पूजन कराया।प्रारंभ में सदर विधायक रवि शर्मा, यजमान श्रीमती सरोज शीतल तिवारी, उर्मिला अनिल तिवारी,संगीता संजीव दुबे, रेशमा राजकुमार सिंह, अनुराधा गोपाल तिवारी, समता राममोहन तिवारी एवं रुचि मयंक अग्रवाल, शैली मृदुल खरे,प्रतिभा आत्मप्रकाश चतुर्वेदी, गीता रमेशचंद्र सोनी ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुए श्रीमद् भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में बालकदास महाराज ने आभार व्यक्त किया।
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