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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post भारत में बचपन के अंधेपन को रोकने के लिए ऑप्थाल्मोलॉजी मे काम करने वाली महिलाओं का योगदान सराहनीय appeared first on The News Express.
]]>21 मार्च 2022, नई दिल्ली: हेल्थकेयर के क्षेत्र में महिलाएं परिवार में और हेल्थकेयर वर्कर के रूप में प्राइमरी केयर करने वालों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
आज के समय में डॉ. सुमा गणेश, दिल्ली में डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल में डिप्टी मेडिकल डायरेक्टर, चेयरपर्सन और पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी एंड स्ट्रैबिस्मस की प्रमुख हैं। 2001 में डॉ. सुमा ने भारत में पहली बार ऑर्बिस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया, इस ट्रेनिंग में उन्हें पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी के बढ़ते क्षेत्र और देश में पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिस्ट की ज़रूरत के बारे में पता चला। आज वह भारत में सबसे ज्यादा मशहूर बाल रोग विशेषज्ञों में से एक है और वह नेपाल, बांग्लादेश और वियतनाम के नेत्र रोग विशेषज्ञों का मार्गदर्शन करती है।
डॉ. पी. विजयलक्ष्मी, चीफ मेडिकल कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी एंड एडल्ट स्ट्रैबिस्मस क्लिनिक, और विजन रिहैबिलिटेशन सेंटर, अरविंद आई हॉस्पिटल, मदुरै के प्रमुख ने 1984 में पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी और एडल्ट स्ट्रैबिस्मस का उन्होंने पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी को एक आशाजनक कैरियर के रूप में स्थापित करने और महिलाओं को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई। डॉ. विजयलक्ष्मी डब्ल्यूएचओ, पीएअच्ओ और आईएपीबी के साथ भारत में इन संगठनों के बचपन के ब्लाइंडनेस कार्यक्रमों को मजबूत करने में जुड़ी रही हैं।
एक अन्य महिला लीडर जो दो दशक से ज्यादा समय से इस सेक्टर में अपनी काबिलियत का परचम लहरा रही है, शंकर नेत्रालय, चेन्नई मे पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सुमिता अगरकर ने कहा, “समाज में आंखों की समस्या के बारे में जागरूकता बहुत कम है। बच्चों के साथ काम करने के मेरे पिछले 23 सालों में एक भी बच्चा रिफ्रेक्टिव एरर वाला मेरे पास यह कहने के लिए नहीं आया है कि वे देख नहीं सकते हैं। तुलना करने के लिए कोई विजन बेंचमार्क नहीं होने के कारण बच्चे दिखने मे परेशानी होने पर हमेशा कक्षा में बैकबोर्ड के करीब जाने या दोस्तों से मदद लेने का तरीका खोज सकते हैं। आंख के अस्पतालों को मरीज़ केंद्रित से समाज केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है। ऑर्बिस रीच जैसे सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम समाज और अन्य स्टेकहोल्डर तक पहुंचने में मदद करते हैं, आंखों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं और उन लोगों को सेवाएं प्रदान करते हैं जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है।”
शंकर नेत्रालय के पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी के पूर्व सीनियर कंसल्टेंट और एकेडमिक्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ मीनाक्षी स्वामीनाथन ने कहा, “ऑर्बिस इंडिया ने विशेष रूप से बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आंखों की देखभाल करने वाले प्रोफेसनल को ट्रेनिंग देने के लिए एक स्ट्रकचर्ड कोर्स के साथ पहला पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी एजुकेशन और ट्रेनिंग सेन्टर स्थापित करने के लिए हमारा समर्थन किया। आज हमारा पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी डिपार्टमेंट पूरे भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों के बच्चों के इलाज के लिए पसंदीदा स्थान है। शंकर नेत्रालय में हर साल औसतन 19,000 पीडियाट्रिक मरीजों के साथ लगभग 25,000 पीडियाट्रिक मरीजों की जाँच की जाती है और इलाज़ किया जाता है।”
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