wp-plugin-mojo
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121google-analytics-for-wordpress
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121newscard
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121The post केजरीवाल सरकार ड्रेन से यमुना में गिरने वाले पानी के प्रदूषण में कैसे लाएगी 80 फीसद की कमी appeared first on The News Express.
]]>नई दिल्ली, 28 अप्रैल, 2022- दिल्ली सरकार यमुना की सफाई के लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है, जिसके तहत यमुना में मिलने वाले नालों को साफ किया जा रहा है। इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को दिल्ली के जल मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने सप्लीमेंट्री ड्रेन का दौरा कर निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ सिंचाई नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को सप्लीमेंट्री ड्रेन पर बने अस्थाई बांधों की मजबूती सुनिश्चित करने और समय से गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही फ्लोटिंग वेटलैंड के लिए केवल नेचुरल मटेरियल जैसे बांस और कोईर इस्तेमाल करने को कहा। फ्लोटिंग वेटलैंड पानी पर तैरती ऐसी ठोस सतह है, जिसपर पौधे लगाकर वाटर ट्रीट किया जा रहा है। यदि वे बेहतर क्वालिटी के होंगे तभी बरसात के मौसम में नहीं डूबेंगे और ड्रेन के पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करते रहेंगे
जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा सप्लीमेंट्री ड्रेन और पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करने में नजफगढ़ ड्रेन और सप्लीमेंट्री ड्रेन दोनों में कुल 24 छोटे बांध बनाए जा चुके है। इससे यमुना में जाने वाले वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।दिल्ली सरकार के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि यमुना में गिरने वाले गंदे नालों की सफाई का बीड़ा दिल्ली सरकार ने उठाया है। इसके अंतर्गत जो बड़े प्रमुख नाले हैं, उन पर छोटे अस्थाई बांध बनाए गए हैं। जिसके कारण अब उन नालों के बीओडी स्तर में भी सुधार आया है । सप्लीमेंट्री ड्रेन पर 11 व नजफगढ़ ड्रेन में 13 बांध का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। ड्रेन पर अस्थाई बांधों का निर्माण एक प्रभावशाली तरीका साबित हो रहा है। बांध बनाने का मकसद यही है कि पानी में मौजूद सुक्ष्म कण जमीन की सतह पर बैठ जाए और बांध के ऊपर से साफ पानी ओवर फ्लो होकर आगे बढ़ जाए। इसके आगे प्लोटिंग वेटलैंड पानी में गुली गंदगी को सोख लेगें। साथ ही ही नालों में एरिएशन भी किया जाएगा, जिससे पानी में आक्सीजन घुलेगा और पानी को और साफ कर देगा। इस तरह यह पानी प्राकृतिक तरीके से साफ होते हुए यमुना तक पहुंचेंगे। वहीं, सप्लीमेंट्री ड्रेन से यमुना में गिरने वाले पानी के प्रदूषण में आएगी 80 फीसद की कमी आएगी। इस तकनीक का इस्तेमाल नजफगढ़ नाले पर भी लगाई जा रही है।
पानी की गुणवत्ता सुधारने को फ्लोटिंग राफ्टर लगाए गए हैं
सप्लीमेंट्री ड्रेन में पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। ड्रेन में फ्लोटिंग राफ्टर लगाए गए है। इन फ्लोटिंग राफ्टर पर ऐसे पौधे लगे हैं, जो पानी से प्रदूषकों को प्रकृतिक तरीके से साफ करने में मदद करते हैं। यानी इनकी जड़ें फिल्टर की तरह काम करती हैं। ये पौधे न सिर्फ प्रदूषण को सोखने की क्षमता रखते हैं बल्कि जल व वायु प्रदूषण भी कम करते हैं। ये बड़े पेड़-पौधे की तरह हवा में घुले प्रदूषक तत्वों को सोखते हैं। इसके अलावा फ्लोटिंग वेटलैंड से पानी में अच्छे माइक्रोब भी घुल जाते हैं। इस प्रक्रिया से पानी यमुना तक पहुंचने से पहले ही साफ हो जाएगा। बता दें, दिल्ली सरकार सप्लीमेंट्री ड्रेन के गंदे पानी को इन-सीटू तकनीक के माध्यम से ट्रीट कर रही है। इस तकनीक के तहत नालों में बह रहे गंदे पानी को नालों में ही फिल्टर कर ट्रीट किया जा रहा है। इससे नए एसटीपी बनाने का खर्च भी बचता है और यमुना में गिरने वाले गंदे पानी को ट्रीट भी किया जा सकता है।
वर्तमान में सप्लीमेंट्री ड्रेन में कई स्रोतों से वेस्टवॉटर और ट्रीटेड वॉटर पहुंच रहा है। दिल्ली जल बोर्ड लगातार अलग-अलग स्रोतों को टैप और ट्रीट करने की दिशा में काम कर रहा है। वहीं, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से नाले में बहने वाले वेस्टवॉटर को सुधारने का कार्य किया जा रहा है। सप्लीमेंट्री नाले में आने वाले पानी के कुछ प्रमुख स्रोत हैं। जिनमें रिठाला फेज-2 एसटीपी से 40 एमजीडी, रिठाला फेज-1 से 30 एमजीडी अनट्रीटेड वेस्टवॉटर, सेक्टर-25 रोहिणी एसटीपी से 7.5 एमजीडी अनट्रीटेड वेस्टवॉटर और कई अन्य नालों से करीब 15 एमजीडी इकट्ठे होकर आता है। इन स्रोतों से ड्रेन में आने वाले पानी को इन सीटू ट्रीटमेंट के जरिए साफ किया जा रहा है। आने वाले समय में छोटे नालों से पानी के प्रवाह को एसटीपी की ओर मोड़ दिया जाएगा। वहीं, एसटीपी से ट्रीटेड पानी को झीलों और जंगलों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सप्लीमेंट्री ड्रेन में पानी का प्रवाह कम होगा। ऐसी स्थिति में फिर से इन-सीटू ट्रीटमेंट के माध्यम से नाले के पानी को और साफ किया जाएगा।
क्या है इन सीटू ट्रीटमेंट की प्रक्रिया?- यमुना में प्रदूषण बढ़ाने वाली चार प्रमुख ड्रेन हैं। यह चार ड्रेन नजफगढ़ ड्रेन, सप्लमेंट्री ड्रेन, बारापुला ड्रेन और शाहदरा ड्रेन हैं। इन चारों ड्रेन के अंदर दिल्ली सरकार सीवेज को इन सीटू ट्रीट कर रही है। अर्थात ड्रेन के अंदर ही चलते पानी को साफ किया जा रहा है। ड्रेन के अंदर सीवेज की सफाई को इन सीटू कहते हैं। इस प्रक्रिया में दिल्ली सरकार ने आयाम जोड़े है, जिनमें से एक है इन नालों के रास्ते में छोटे बांधो का निर्माण। और दूसरा है नालों के ऊपर नैचुरल फ्लोटिंग राफ्टर का निर्माण। छोटे बांधों के बन जाने से भरी ज़हरीले प्रदूषक इन छोटे बांधो के दीवार से टकराकर रुक जाते हैं और हल्का पानी इसके ऊपर से बह जाता है। इसके बाद नैचुरल फ्लोटिंग राफ्टर पानी में ऑक्सिजन की मात्र को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे की पानी की जैविक शक्ति वापिस आ सके। यह प्रक्रिया इतनी कारगार साबित हुई है की सप्लीमेंट्री ड्रेन का 80% प्रदूषक इस प्रक्रिया के दौरान ही साफ हो जा रहा है।
“परीक्षण में देखे गए थे पॉजिटीव रिजल्ट”
यमुना की सफाई की योजना के अंतर्गत जिन नालों पर बांध बनाए गए हैं उनमें रिठाला एसटीपी, रोहिणी सेक्टर 11 के पास बने बांध, रोहिणी सेक्टर-16 और रोहिणी सेक्टर-15 में बने बांध से कुछ समय पहले सैंपल एकत्रित किए गए थे। जिससे पता लगा था कि अस्थाई बांध-निर्माण के बाद सस्पेंडेड ठोस पदार्थों में भारी कमी आई है। रिठाला से रोहिणी सेक्टर 15 के बीच कुल सस्पेंडेड ठोस पदार्थ का स्तर 166 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर केवल 49 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया। यह परिणाम अपशिष्ट जल में अमोनिया की मात्रा में आने वाली भारी कमी को भी दर्शाते हैं। परीक्षण में पाया गया था कि रिठाला में अमोनिया का स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर था। जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते मात्र 18 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया। प्रत्येक बांध से गुजरने के बाद गंदे पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) का स्तर धीरे-धीरे कम होता हुआ नजर आया।
“दिल्ली सरकार उठा रही कई और अहम कदम”
सत्येंद्र जैन ने बताया कि सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा और भी कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से नालियों की गाद निकालना, अपशिष्ट अवरोधों की स्थापना, तैरते ठोस पदार्थों को निकालने के लिए फ्लोटिंग बूम का इस्तेमाल, ठोस अपशिष्ट और निर्माण कार्यों से निकले अपशिष्टों को नाले से हटाना, कचरा और अन्य खरपतवार हटाना, नाली की भूमि में डंपिंग को रोकने के लिए चारदीवारी की मरम्मत करना, पुलों पर तार की जाली का निर्माण, चेतावनी बोर्ड की स्थापना और इनलेट्स जाली को नाली के मुंह लगाना शामिल है।