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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post 15 मई किशाम शहीद सुखदेव के नाम : खोसला appeared first on The News Express.
]]>राष्ट्रीय सैनिक संस्था एमसीआर के संयोजक राजीव जोली खोसला के सानिध्य में शहीद सुखदेव जी के 115 में जन्म दिवस पर उनके परिवार के सदस्य अनुज और अनिल थापर और स्वतंत्रता सेनानी सपोत्र राकेश कोड़ा जी ,राजन जी , प्रो सपना बंसल, हितेश शर्मा, सोनू चंदेल अनुज शर्मा, सुशील खन्ना ,चमन नागर ,सूरज भट्ट, आरिफ देहलवी, डीके मेंदीरत्ता ,अन्य कवियों के साथ एक्स एक्स एक्स स्टूडियो निर्माण विहार में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें युवाओं को राष्ट्रप्रेम के प्रति शपथ दिलवाई हमारे क्या कर्तव्य है यह अनुज जी ने बताया क्रांतिकारी सुखदेव का नाम हमेशा वीर जवानों की श्रेणी में लिया जाता रहा हैं। सांडर्स हत्या का केस सम्राट बनाम सुखदेव व अन्य के नाम से चला था।सुखदेव का जन्म पंजाब के लुधियाना शहर में श्रीयुत् रामलाल थापर और श्रीमती रल्ली देवी के घर पर 15 मई 1907 को हुआ था। इनके पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण इनाका पालन-पोषण इनके ताऊ अचिन्तराम ने किया था।सुखदेव और भगत सिंह दोनों ‘लाहौर नेशनल कॉलेज’ के छात्र थे। ताज्जुब ये है कि दोनों ही एक ही साल में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हुए थे।सुखदेव ने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र और भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था। वर्ष 1926 में लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन हुआ। इसके मुख्य सुखदेव, भगत सिंह, यशपाल, भगवती चरण व जयचन्द्र विद्यालंकार थे। ‘असहयोग आन्दोलन’ की विफलता के पश्चात् ‘नौजवान भारत सभा’ ने देश के नवयुवकों का ध्यान आकृष्ट किया। प्रारम्भ में इनके कार्यक्रम नौतिक, साहित्यिक तथा सामाजिक विचारों पर विचार गोष्ठियाँ करना, स्वदेशी वस्तुओं, देश की एकता, सादा जीवन, शारीरिक व्यायाम तथा भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता पर विचार आदि करना था। इसके प्रत्येक सदस्य को शपथ लेनी होती थी कि वह देश के हितों को सर्वोपरि स्थान देगा। अप्रैल, 1928 में इसका पुनर्गठन हुआ तथा इसका नाम ‘नौजवान भारत सभा’ ही रखा गया। 8 – 9 सितम्बर, 1928 में ही दिल्ली के फ़िरोजशाह कोटला के प्रमुख क्रांतिकारियों की एक गुप्त बैठक हुई। इसमें एक केंन्द्रीय समिति का निर्माण हुआ। संगठन का नाम ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ रखा गया। सुखदेव को पंजाब के संगठन का उत्तरदायित्व दिया गया। सुखदेव के परम मित्र शिव वर्मा, जो प्यार में उन्हें ‘विलेजर’ कहते थे, के अनुसार भगत सिंह दल के राजनीतिक नेता थे और सुखदेव संगठनकर्ता, वे एक-एक ईंट रखकर इमारत खड़ी करने वाले थे। वे प्रत्येक सहयोगी की छोटी से छोटी आवश्यकता का भी पूरा ध्यान रखते थे।सुखदेव को क्रांतिकारी लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने की योजना का जिम्मा सौंपा गया पुरी योजना सुखदेव के द्वारा बनाई गई थी जिसे भगत सिंह तथा राजगुरु ने अंजाम दिया। इन्होंने एक खुला खत गांधी के नाम में लिखा था जिसमें इन्होंने कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे। जिसका जवाब उन्हें उनके जीवित रहते नही मिला।
सुखदेव ने भगत सिंह व अन्य साथियों के साथ 1929 में जेल में बंद भारतीय कैदियों के साथ हो रहे अपमान और अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में भी एतिहासिक भुख हड़ताल में भी शामिल हुए।23 मार्च 1931 की शाम 7 बजकर 33 मिनट पर सेंट्रल जेल में इन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया और खुली आँखों से भारत की आजादी का सपना देखने वाले भगतसिंह – सुखदेव – राजगुरू वीरगति को प्राप्त हुए। आए हुए सभी राष्ट्र प्रेमियों नहीं देर शाम तक बैठकर राष्ट्रभक्ति की कविताएं सुनी और कुछ एनजीओ के द्वारा बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए रितेश शर्मा द्वारा सही सुखदेव पर एक 15 मिनट का सोलो एक्ट भी पेश किया जिसे सुनकर सभी के सभी हैरान रह गए खुदा ने कहा कि आज भी जयचंद जिंदा है जिनकी वजह से गरम दल क्रांतिकारी वीरों को शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया और हम राष्ट्र भक्तों का एक नियम है कि हर गरम दल क्रांतिकारी केजन्मदिन पर पुष्पांजलिऔर शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि देना संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागीजी हैदराबाद में रहकर कार्यक्रम को सराया प्रेम सिंह द्वारा खूबसूरत लम्हों को कैमरे में कैद किया गया
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