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देश में पहली बार “भारतीय धर्म एकता सम्मेलन” का शुभारंभ
नई दिल्ली – नामधारी पंथ के वर्तमान गुरु जी, श्री सतगुरु दलीप सिंघ जी ने आज से 6-7 वर्ष पहले चारों भारतीय धर्मों (हिंदू, सिख, जैन तथा बौद्ध) को एक हो जाने का आहवान किया था। उन्होंने सभी को विनती की थी “आप चारों धर्म एक हो जाओ”। परंतु , आज तक उनमें एकता नहीं हो पाई और किसी ने उनको इकट्ठे बिठाने का प्रयत्न भी नहीं किया। सतगुरु दलीप सिंघ जी की बात सुनकर सभी इब्राहीमी धर्म, जिनमें मुख्य यहूदी, ईसाई तथा इस्लाम हैं,
वे लोग इकट्ठे होना शुरू हो गए हैं। यहाँ तक कि उन्होंने आबूधाबी तथा बरलिन में अपना इकट्ठा धर्म स्थान भी बना लिया है। परंतु , हमारे चारों भारतीय धर्म, सतगुरु दलीप सिंघ जी की बात सुनकर एक नहीं हुए ।
इसी कारण गुरु जी ने स्वयं ही, उन चारों भारतीय धर्मों तथा उनके आचार्यों को एक मंच पर एकत्रित करने का प्रयत्न किया है। ताकि आगे चलकर उनमें पूर्ण रूप से एकता हो सके। उसके लिए नामधारी संगत द्वारा कलानौर, जिला गुरदासपुर, पंजाब में होने वाले “होला-मोहल्ला समागम” जो 26-27 मार्च, 2022 को मनाया जा रहा है, उस समागम के अंतिम दिन 27 मार्च को “भारतीय धर्म एकता सम्मेलन” करवाया जा रहा है। उस सम्मेलन का शुभारंभ चारों भारतीय धर्मों के आचार्यों को एक साथ बिठाकर किया जाएगा। धार्मिक एकता का एक बीज बोया जाएगा । उस एक बीज को बोने के लिए ( आरम्भ करने के लिए ) यह सम्मेलन छोटे स्तर पर किया जा रहा है। आगे चलकर बड़े आचार्यों को बुलाकर, बड़े स्तर पर “भारतीय धर्म एकता सम्मेलन” करवाने का सतगुरु दलीप सिंघ जी का विचार है।
विदेशी धर्मों के आने से भारतीय धर्मों का बहुत बड़ा ह्रास हुआ है। इस कारण चारों भारतीय धर्मों को एक साथ होकर अपनी उन्नति करनी चाहिए। यह विचार और यह कार्य आज तक और किसी ने नहीं किया है। यह कार्य तो किसी ने क्या करना था, ऐसा विचार भी आजतक किसी ने नहीं दिया। यह केवल सतगुरु दलीप सिंघ जी का ही एक विलक्षण तथा नया विचार है। सतगुरु जी राष्ट्र – उन्नति व भारतीय संस्कृति की सुरक्षा तथा उन्नति को लेकर सदैव ही प्रयत्नशील रहते हैं ।