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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post “समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आधार आध्यात्मिकता है” appeared first on The News Express.
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आंतरिक सशक्तिकरण एवं मानवीय मूल्यों के आधार पर लोगों और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और सहज राजयोग ध्यान केन्द्रित ज्ञानवर्धक सत्रों के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पहले 18 जून को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में एक विशाल सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन–
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे, अध्यात्म की ठोस जमीन पर खड़े हो कर ही जितना हो सके धन दौलत कमा सकते हो। प्लेटो ने कहा, कोई भी सभ्यता की संरचना बिना नैतिकता के, रेत की नींव पर खड़ी होती है, केवल देर-सबेर ढहने के लिए।
वस्तुतः नैतिक चरित्र की दरिद्रता ही भौतिक दरिद्रता का कारण बनती है। जैसा कि महात्मा गांधी ने ठीक ही कहा है, दुनिया के पास सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संपदा है, जो की एक व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
आंतरिक सशक्तिकरण और मूल्यों के माध्यम से ही मानव चरित्र उत्थान, समाज की सकारात्मक परिवर्तन और सतत विकास संभव है। जीवन और समाज के किसी भी क्षेत्र में सतत विकास की मूल इकाई और बुनियादी नींव, इंसान का नैतिक और आध्यात्मिक चरित्र है।
सकारात्मक परिवर्तन, मूल रूप में मानव चेतना, विचारों, भावनाओं, दृष्टिकोण, कार्य व्यवहार को नकारात्मक से सकारात्मक, अस्वस्थ से स्वस्थ, प्रतिस्पर्धी से सहयोगी, संकीर्ण से विशाल, अनैतिक से नैतिक, और भौतिक से आध्यात्मिक में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। क्योंकि, जबकि सांसारिक पदार्थ और भौतिक प्रकृति नकारात्मक हैं, मानव आत्मा और आध्यात्मिक तत्व मूल रूप से शुद्ध और सकारात्मक है।
मानव आत्मा जो की मन, बुद्धि, संस्कार और स्थूल कर्मेंद्रियों को संचालित करती है, वही सकारात्मकता का स्रोत है। सर्वे आतमाओं के रुहानी पिता निराकार ज्योति स्वरूप परमात्मा असल में, सभी सकारात्मक गुण, ज्ञान और शक्तियों का शाश्वत सागर और सर्वोच्च स्रोत है। एन्ट्रॉपी के नियम के अनुसार यह सकारात्मक ऊर्जाएं मनुष्यों, प्राणियों और भौतिक प्रकृति में क्रमशः क्षय होते हैं। सर्वोच्च सत्ता परमात्मा इस नियम के अधीन नहीं है। उनकी शक्ति कभी ह्रास नहीं होती है। बल्कि, वह हमेशा पूरे ब्रह्मांड में विपरीत एंट्रोपी के एकमात्र स्रोत और बल है।
चार युगों या पाँच हज़ार वर्षों के एक कल्प के अंत में, परमात्मा ज्योतिर्लिंग शिव, उनके पूर्वनिर्धारित मानवीय माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा में दिव्य प्रवेश करते हैं। फ़िर सभी मानव आत्माओं को आध्यात्मिक ज्ञान व परमात्म योग सिखाकर दिव्य गुण और शक्तियों से भरपूर करते हैं, सशक्त और समृद्ध करते हैं। भारत की सबसे प्राचीन योग है भगवत गीता में वर्णित सहज राजयोग। भगवान के रुहानी ज्ञान और सहज राजयोग विद्या को सीखकर और सिखाकर ही, दुनिया भर में लाखों लोग अपने व्यक्तिगत, व्यवसायिक और सामाजिक जीवन में सकारात्मक, स्वस्थ और सुखदाई बदलाव ला रहे हैं।
स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन की इस ईश्वरीय कार्य को पिछलेआठ दशकों से आगे बढ़ाते हुए, ब्रह्मा कुमारी संस्था ने विश्व भर में साल 2023 को सकारात्मक परिवर्तन वर्ष के रूप में मना रही है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दो दिन पहले, इस वैश्विक परियोजना का राष्ट्रीय शुभारंभ माननीय लोक अध्यक्ष श्री ओम बिरला 18 जून, 2023 रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य सार्वजनिक कार्यक्रम में करेंगे। यह प्रोग्राम प्रातः 10.00 बजे से अपराह्न 01.00 बजे तक चलेगा।
अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता, ब्रह्मा कुमारी शिवानी अपनी प्रेरणा दाई प्रवचन और सहज राजयोग ध्यान के अनुभव द्वारा दर्शकों को सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित और सशक्त करेंगी। विश्व शांति और सद्भाव पर एक विशेष सत्र भी आयोजित किया जाएगा, जिसे विभिन्न धर्मों के प्रमुख प्रतिनिधियों के द्वारा संबोधित किया जाएगा। मनोरंजन के साथ मूल्य शिक्षा के ऊपर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगें।
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