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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post सिंधी टिकाणों से गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्वरूप वापस आने पर जागो पार्टी ने जताई चिंता appeared first on The News Express.
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नई दिल्ली (16 जनवरी 2023) मध्य प्रदेश के “सिंधी टिकाणों” से इंदौर के गुरुद्वारा इमली साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब के पवित्र स्वरूपों की हुई वापसी पर जागो पार्टी ने चिंता व्यक्त की है। जागो पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने गुरु नानक साहिब जी के बागीचे रूपी “गुरु नानक नामलेवा संगत” के बीच मतभेद पैदा करने का एजेंसियों पर आरोप लगाया है। जीके ने साफ तौर पर कहा कि अगर किसी “सिंधी टिकाणे” में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की टहल सेवा के दौरान “सिख रहत मर्यादा” का उल्लंघन हो रहा है तो हमारा कर्तव्य है कि हम सिंधी लोगों को शिष्टाचार समझाने की कोशिश करें।
सिंधी समाज को मर्यादा समझाने की बजाए हमें उन्हें गुरबाणी से तोड़ने की ओर नहीं जाना चाहिए। जीके ने कहा कि मध्य प्रदेश के सिंधी मंदिरों में साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के बराबर में मूर्तियों लगाई हुई थी। जिसका हाल ही में पंजाब से आए कुछ निहंग सिंघों ने इंदौर के एक सिंधी मंदिर/दरबार में पहुंचकर इस परंपरा का विरोध किया और सिंधी मंदिर प्रबंधकों को 12 जनवरी तक गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप गुरुद्वारा साहिब में पूरी तरह पहुंचने का अल्टीमेटम दिया था। जिसके बाद 11 जनवरी तक इंदौर के गुरुद्वारा इमली साहिब में सिंधी टिकाणों से 80 स्वरूपों की वापसी हुई है।सिंधी संगत ने सिक्खों से टकराव न हो इसके लिए इन सभी स्वरूपों को नम आंखों से वापस कर दिया है। हालांकि निहंगों की सिख रहत मर्यादा को लागू करवाने की कार्रवाई भी सही है। हालांकि पहले उन्हें स्थानीय गुरुद्वारा साहिबानों के प्रबंधकों को साथ लेकर सिंधी टिकाणों के प्रबंधकों को मर्यादा समझाने का प्रयास करना चाहिए था।
मध्य प्रदेश के सिंधी नेता किशोर कोडवाणी के हवाले से प्रकाशित एक खबर का हवाला देते हुए जीके ने कहा कि “19 दिसंबर को कुछ निहंग सिंघ दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के आदेश का हवाला देते हुए सिंधी स्थानों पर आए थे और स्वरुपों को वापस भेजने का आदेश दिया था।” जीके ने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि क्या मौजूदा दिल्ली कमेटी का काम गुरु नानक साहिब जी के बागीचे को तोड़ना रह गया है? सिखों से दूर चले गए वंजारे, सिकलीगर, बाजीगर और सिंधी समुदाय के लोगों को बड़ी मुश्किल से हम लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब जी की बाणी से जोड़ने का प्रयास दिल्ली कमेटी में सेवा करते हुए शुरू किया था। लेकिन अब दिल्ली कमेटी केवल बंजारा और सिकलीगर समुदायों को सिखों के साथ जोड़ने के नाम पर “छमक-छमक” जैसे सांस्कृतिक विनाशकारी कार्यक्रम करने के लायक ही रह गई हैं या अब सिंधियों को गुरबाणी से दूर रखने की कोशिश हो रही हैं। अगर कोई दिल्ली में अपने घर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पावन स्वरूप ले जाना चाहता है तो दिल्ली कमेटी “प्रकाश स्थान” वाले कमरे की पहले वीडियो मांगती है। प्राय: ग्रंथी सिंह आकर उस स्थान का निरीक्षण करते हैं, जिसके बाद पूरे मर्यादा के आलोक में स्वरुप दिया जाता है। इसलिए यह जांचना आवश्यक है कि सिंधी टिकाणों को मर्यादा का पाठ पढ़ाए बिना दिल्ली कमेटी स्वरूपों को उठाने की जल्दी में क्यों है ? जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब को भी इसकी जांच करने की जरूरत है कि दिल्ली कमेटी उन एजेंसियों के रास्ते पर क्यों चली गई है जो सिखों को नष्ट करने की कोशिश कर रही हैं ?
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