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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114The post केजरीवाल सरकार ने 116 सीवेज पंपिंग स्टेशनों पर लगाया आईओटी मॉनिटरिंग डिवाइस, सीवेज ओवरफ्लो की समस्या से मिलेगी निजात appeared first on The News Express.
]]>ऐसे काम करता है सीवेज पंपिंग स्टेशन- दिल्ली में सीवर लाइनें इस तरह से बिछाई जाती हैं ताकि सीवेज गुरुत्वाकर्षण के सहारे एक जगह से दूसरी जगह तक जा सके। हालांकि, यह तरीका हर जगह कारगर साबित नहीं होता है। ऐसी जगहों पर जहां सीवेज को एक निचले स्थान से लिफ्ट करके ऊंचे स्थान पर ले जाना होता है, वहां सीवेज पंपिंग सिस्टम का इस्तेमाल सीवेज को ऊपर की ओर सीवर लाइन में धकेलने के लिए किया जाता है। सीवेज पंपिंग स्टेशन में एक कुआं होता है, जो लगातार आ रहे सीवेज को इकट्ठा करता है। इसके भरने से ठीक पहले एक बड़े मोटर के जरिये इसे आगे सीवेट ट्रीटमेंट प्लांट की ओर पंप कर कर दिया जाता है। अब तक इस सीवेज पंपिंग स्टेशन को मैनुअली ही ऑपरेट किया जाता था। ऐसे में कई बार वक्त पर पंप के चालू न होने के कारण शहर में सीवर ओवरफ्लो की समस्या आती थी। लेकिन अब नए सेंसर के लगाए जाने से किसी भी तरह के ‘ह्यूमन एरर’ की गुंजाइश खत्म हो गई है।यमुना नदी में प्रदूषण पर काबू पाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की ओर से राष्ट्रीय राजधानी में अनधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम कर रही है, ताकि यहां से निकालने वाले पूरे सीवेज को एकत्रित कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाकर ट्रीट किया जा सके। यहाँ से निकालने वाले पूरे सीवेज को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से जगह-जगह 116 सीवेज पपिंग स्टेशन (एसपीएस) बनाए गए है। एसपीएस में लगे मोटर पंप के माध्यम से सीवेज को एसटीपी तक भेजा जाता है, जहां इसे ट्रीट कर आगे नालों में छोड़ा जाता है।
सीवर पंपिंग स्टेशन में पहले आती थी यह दिक्कतें- सीवेज को एसटीपी प्लांट तक पहुंचाने के लिए सीवर पंपिंग स्टेशन में पंपिंग मोटर सेट लगे होते हैं। सीवेज पपिंग स्टेशन को एक ऑपरेटर चलता चलाता था, लेकिन कई बार एसपीएस के वक्त पर न चला पाने या जरूरत से ज्यादा चलने के कारण तकनीकी खराबी आ जाती थी। खराब पंप सेट को ठीक कराने में काफी समय लगता था। पंप मोटर सेट के बंद होने की स्थिति में सीवर ओवरफ्लो होकर सीधे सड़कों या गलियों में बहने लगता था। एसपीएस में सीवर के पानी का लेवल ज्यादा होने पर गाद, सीवर लाइन में जम जाती थी जिससे सीवर लाइन का मुह धीरे-धीरे छोटा होता जाता था और इसकी क्षमता भी कम होने लगती थी। ऐसी स्थिति में सीवेज पपिंग स्टेशन के ठीक होने के बाद उसे चालू करने पर आगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में अचानक कैपेसिटी से ज्यादा सीवेज का लोड पड़ता था। ऐसी स्थिति में सीवर के पानी को पूरी तरह ट्रीट करने में दिक्कत आती थी। यानि कि जहां एक तरफ आम नागरिकों को सीवेज ओवर-फ्लो की समस्या का सामना करना पड़ता रहा था। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली जल बोर्ड को सिस्टम को बार-बार दुरुस्त करने और सीवेज को ट्रीट करने में आने वाली परेशानियों से जूझना पड़ रहा था। अब दिल्ली सरकार द्वारा आईओटी मॉनिटरिंग डिवाइस लगाए जाने पर इन सभी समस्याओं से निजात मिलेगी।
ऐसे काम करेगा मॉनिटरिंग डिवाइस- सीवेज़ पपिंग स्टेशनों पर लगाए गए आईओटी डिवाइस में लगा सेंसर यह सुनिश्चित करेगा कि एसपीएस के अंदर सीवर का गंदा पानी किस लेवल तक भर चुका है। जैसे ही सीवर का पानी नॉर्मल लेवल से अधिक भर जाएगा, मॉनिटरिंग डिवाइस के माध्यम से इसकी जानकारी दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों को मिल जाएगी। इस मॉनिटरिंग डिवाइस के जरिये सीवर के पानी की मात्रा आसानी से ट्रैक की जा सकेगी। रोजाना एसपीएस का मैनुअल निरीक्षण, मैनुअल पंप कंट्रोल सेटिंग्स और डेटा इकट्ठा करने की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही लगातार ऑटोमैटिक डाटा कलेक्ट होने के कारण अब पंपिंग स्टेशनों पर सीवर के पानी भर जाने के बाद पंप चलाने का सही समय और पैटर्न भी पता चल जाएगा। वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट मिलने से पंपिंग स्टेशन पर तैनात कर्मचारी की जवाबदेही तय हो सकेगी, जिससे दीर्घावधि में यह जानने में भी मदद मिलेगी कि सीवर पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) को चालू करने का सही वक़्त क्या रहता है, ताकि सीवर लाइनों में दबाव न बढ़े। एसपीएस में पावर मीटर रीडिंग, प्रतिदिन खर्च यूनिट, प्रतिदिन सीवर निकासी, विद्युत कटौती, पंपिग स्टेशन से जुड़ी सीवर लाइनों में समस्या होने का रिकार्ड भी पता चलेगा।
शहर के सभी सीवेज पंपिंग स्टेशनों के सही समय पर चलने और बंद होने के कारण सीवेज लाइन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, दोनों पर किसी तरह का दबाव नहीं पड़ेगा। सीवेज की बराबर सप्लाई को सुनिश्चित किया जा सकेगा, ऐसे में एसटीपी बेहतर ढंग से काम कर पाएंगे। सीवर लाइनों में भी सीवेज समान्य दबाव के साथ नियंत्रित तरीके से बहेगा, जिससे सीवर लाइन में सिल्ट जमा नहीं होगी। जबकि पहले पंपिंग स्टेशन के सही समय पर न चल पाने के कारण अक्सर सीवेज का फ्लो रुक जाता था। बार-बार सीवेज के एक जगह ठहरने के कारण सीवर लाइन में जगह-जगह सिल्ट इकट्ठा होकर जम जाती थी, जिससे सीवर ब्लॉकेज की समस्या उत्पन्न हो जाती थी। अब सीवेज समान्य दबाव के साथ बहेगा।
हर स्टेशन पर प्रशिक्षित कर्मचारी हैं तैनात- जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली की बढ़ती आबादी के साथ-साथ सीवेज में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसका प्राथमिकता के आधार पर शोधन जरूरी है। सीवर संबंधित समस्याओं से निपटने और यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। अब एसपीएस योजनाबद्ध तरीके से डिवाइस की मदद से ऑपरेट किए जा रहे है। ये डिवाइस न केवल पंपिंग स्टेशनों का सफलता पूर्वक संचालन करने में योगदान दे रहे हैं, बल्कि शहरी सीवरेज सिस्टम को स्वचालित रूप से नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। सीवर के बढ़ते दबाव को देखते हुए पंपिंग स्टेशनों पर इस तरह की व्यवस्था शुरू की गई है। हर स्टेशन पर प्रशिक्षित कर्मचारियों नियुक्त है ताकि सेंसर से अलार्म का मैसेज आते ही पंपिंग मोटर को चलाने कि जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके। इससे बरसात के दिनों में सीवरओवर फ्लो की समस्या से लोगों को काफी राहत मिलेगी। दिल्ली जल बोर्ड पानी के उत्पादन और वितरण के साथ सीवर मैनेजमेंट और गंदे पानी के ट्रीटमेंट की पूरी जिम्मेदारी बेहतरीन तरीके से निभा रहा है।
2025 तक यमुना को साफ करना दिल्ली सरकार का लक्ष्य- जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि पानी व सीवर के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना सरकार का काम है। लोग टैक्स देते हैं, इस कारण इंफ्रास्ट्रक्चर पर उनका हक है। दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को अगले तीन साल में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी जल बोर्ड को दी है, जिस तरह पिछले कार्यकाल में दिल्ली सरकार ने स्कूलों और अस्पतालों का कायाकल्प किया, वैसे ही इस बार यमुना को भी प्राथमिकता के आधार पर साफ करना ही मुख्य मकसद है। यमुना क्लीनिंग सेल नए एसटीपी, डीएसटीपी का निर्माण, मौजूदा एसटीपी का 10/10 तक उन्नयन और क्षमता वृद्धि, अनधिकृत कालोनियों में सीवरेज नेटवर्क बिछाना, सेप्टेज प्रबंधन, ट्रंक/परिधीय सीवर लाइनों की गाद निकालना, पहले से अधिसूचित क्षेत्रों में सीवर कनेक्शन उपलब्ध कराना, आइएसपी के तहत नालों की ट्रैपिंग, नालियों का इन-सीटू ट्रीटमेंट आदि कार्यों को कर रही हैं, ताकि दिल्ली के लोगों को कोई परेशानी न झेलनी पड़े। साथ ही जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सके।
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