इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा, मांगों को माने जाने तक हम पीछे नहीं हटेंगे
• जीएसटी में की गई बेतहाशा बढ़ोतरी को वापस लेने और इंडस्ट्री के लिए नियमों को लचीला बनाने की मांग
• ईंट-भट्ठा मालिकों ने कहा, सरकार की बेरुखी से करीब 3 करोड़ मजदूर बेरोजगार होंगे
दिल्ली, 09 नवंबर, 2022 :अखिल भारतीय ईंट और टाइल निर्माता महासंघ के आह्वान पर ईंट भट्ठा मालिकों ने अपनी मांगों के समर्थन में गुरुवार से दिल्ली के रामलीला मैदान में धरना-प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान किया है। दिल्ली के प्रेस क्लब में बुधवार को आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मांगों की अनदेखी के लिए सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए ईंट-भट्ठा मालिकों ने समस्याओं का समाधान होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखने की घोषणा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईंट-भट्ठा मालिकों ने बताया कि जीएसटी घटाने, जिक जैग संबंधी नियमों को लचीला बनाने और प्रदूषण नियमों को सरल बनाने समेत इंडस्ट्री की कई समस्याओं के समाधान की तरफ सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह दिल्ली के रामलीला मैदान में गुरुवार से धरना-प्रदर्शन शुरू करने को मजबूर हो रहे हैं। इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने बताया कि जीएसटी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी और जिग-जैग के अव्यवहारिक नियमों के कारण मौजूद माहौल में ईंट भट्टों का संचालन करना बहुत मुश्किल हो गया है। इसलिए अव्यवहारिक और अनुचित दरों में बढ़ोतरी को सरकार को वापस लेना चाहिए।
अखिल भारतीय ईंट एवं टाइल निर्माता महासंघ के संरक्षक अनंत नाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “ईंट भट्ठा मालिकों के प्रति सरकार की उदासीनता बढ़ती जा रही है। अगर सरकार का यही रवैया रहा तो भारत में लगभग 3 करोड़ श्रमिक बेरोजगार होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। 01 प्रतिशत से 06 प्रतिशत व 05 प्रतिशत से 12 प्रतिशत जीएसटी ईट भट्ठा मालिकों पर लगा दी है, जिससे उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। ईंट पकाने के लिए प्रमुख ईंधन कोयला है, लेकिन कोयले के दाम में बढ़ोतरी से भट्ठों को चला पाना मुश्किल हो गया है। कोयले के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकार को कोयले के दाम को नियंत्रित कर सस्ता और अच्छा कोयला फ्लोर रेट पर उपलब्ध कराना चाहिए। कोयले की कालाबाजारी बंद होनी चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकारों को जेसीबी मशीन से ईंट भट्ठों का खनन करने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए।
महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री ओमवीर सिंह भाटी ने अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा, “ईंटों की बिक्री में जीएसटी कंपोजिशन स्कीम को पुनः लागू किया जाए। बिना क्लेम के एक प्रतिशत से बढ़ाकर छह प्रतिशत व क्लेम लेने वालो को 05 प्रतिशत से 12 प्रतिशत लागू किया गया है। ईंट निर्माताओं पर दो प्रकार के अव्यवहारिक और अनुचित कर दर की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को वापस लिया जाए। पहले की तरह कंपोजीशन स्कीम लागू की जाए। जीएसटी की दरों के बढ़ने और कोयले के महंगा होने से ईंट भट्ठा मालिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ईंट भट्ठा इंडस्ट्री से लोगों को सस्ता आवास मिलता है, लेकिन इस तरह के हालात से इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है। उन्होंने कोयले पर लगाए गए 400 रुपये प्रति टन के अनावश्यक सेस को हटाने की मांग एवं कोयले को फ्लोर रेट पर सीधे भट्ठा मालिकों को उपलब्ध कराना चाहिए।
अखिल भारतीय ईंट और टाइल निर्माता महासंघ के उपाध्यक्ष, अतुल कुमार सिंह ने कहा, “सरकार के उदासीन रुख से भट्ठों पर ईंटों की पथाई बंद है, जिसकी वजह से लाखों श्रमिक बेरोजगार बैठे हुए हैं। मालिकों से लेकर श्रमिकों को नुकसान हो रहा है, लेकिन इसके बाद भी सरकार जिद पर अड़ी हुई है। भारत में ईंट-भट्ठा मजदूर के हितों में श्रम कानून को सरल और व्यावाहरिक बनाया जाए।“ उन्होंने कहा कि अगर मांगें पूरी नहीं होती है तो हड़ताल आगे जारी रहेगी।
अखिल भारतीय ईंट और टाइल निर्माता महासंघ के मंत्री गोपी श्रीवास्तव ने कहा, “ईंट भट्ठा इंडस्ट्री को पर्यावरण के अनुकूल उपाय करने के लिए एक की जगह दो साल और दो की जगह चार साल का समय दिया जाए क्योंकि अभी श्रमिकों की काफी कमी है। ईंट पकाने के लिए कच्चे माल के रूप में कोयले का प्रयोग करने पर रोक हटाई जाए। फ्लाई ऐश से बने किसी भी प्रॉडक्ट में रेडियोधर्मी पदार्थ पाए जाते हैं। इससे दमा, कैंसर जैसी घातक बीमारी होती है। ऐसे में फ्लाई ऐश की बनी ईंटों को लगाने की अनिवार्यता की अधिसूचना को रद्द किया जाए।“
इस अवसर पर बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईंट-भट्ठा इंडस्ट्री के मालिकों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें अनंत नाथ सिंह,ओमबीर सिंह भाटी, अतुल कुमार सिंह, गोपी श्रीवास्तव, मुरारी कुमार उर्फ मन्नू,विजय गोयल, रतन श्रीवास्तव, जय करन गुप्ता, घनश्याम दास छावड़ा ने प्रेस
कॉन्फ्रेंस में शिरकत की।