एनईपी २०२० की दूसरी वर्षगाँठ: गृह मंत्री अमित शाह ने किया भारतीय ज्ञान प्रणाली की ३ नई पहलों का प्रारम्भ, कहा, ‘एनईपी में देश की नई आर्थिक नीति तय करने की क्षमता’
एनईपी ने ज्ञान निर्माण और अनुसंधान को दिया महत्व: गृह मंत्री
उच्च शिक्षा को क्षेत्रीय भाषाओं में अधिक सुलभ बनाया जाएगा
एनईपी-२०२० से भारतीय शिक्षा प्रणाली में उपनिवेशवाद की मानसिकता समाप्त होगी, बोले शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
एनईपी आजादी के बाद सभी शैक्षिक सुधारों की आत्मा है
नई दिल्ली, शुक्रवार, २९ जुलाई २०२२:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी२०२०) के दो वर्ष पूर्ण होने पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने श्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में शिक्षा मंत्रायल के भारतीय ज्ञान परंपरा (आईकेएस) प्रभाग की ३ पहलों सहित कई नई पहलों का लोकार्पण किया। इस मौक़े पर श्रीमती अन्नपूर्णा देवी (शिक्षा राज्य मंत्री) डॉ. सुभाष सरकार, (शिक्षा राज्य मंत्री), डॉ. राजकुमार रंजन सिंह (शिक्षा राज्य मंत्री) और राजीव चंद्रशेखर (इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री) अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० एक महान देश की नींव का निर्माण करती है और वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को बढ़ावा देती है। इसका उद्देश्य भारतीयों के समग्र विकास पर जोर देना है और हमें इसके लिए प्रेरित करना है। हमारी संस्कृति, परंपरा और लोकाचार की जड़ों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को राष्ट्र निर्माण के विचार पर सम्पन्न प्रतिभाशाली व्यक्तियों को सक्षम बनाने के लिए तैयार किया गया है। स्वतंत्र भारत में शिक्षा के उद्देश्यों को औपनिवेशिक युग में शिक्षा प्रणाली के साथ पूरा नहीं किया जा सकता है। इसमें परिवर्तन की आवश्यकता है। ”
स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जो शिक्षा आम जनता को संघर्ष के योग्य नहीं बनाती और बच्चों में चरित्र निर्माण नहीं करती, उसे ‘शिक्षा’ नहीं कहा जा सकता। एनईपी शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति का मेल है।
गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि एनईपी के तहत हर जिले को एक बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थान मिलेगा। उन्होंने कहा, “इसमें जनसंख्या वृद्धि और लोगों की आकांक्षाओं को देखते हुए देश के लिए नई आर्थिक नीति बनाने की भी क्षमता है। एनईपी ने ज्ञान सृजन और अनुसंधान को महत्व दिया है। शिक्षा प्रणाली में भारतीय भाषाओं को सम्मिलित नहीं करने से मानव संसाधन का केवल ५% उपयोग हो पाता है। चूँकि ९५% छात्र अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करते हैं, अतः, एनईपी में क्षेत्रीय भाषाओं का अहम योगदान होगा।”
शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “जिस कालखंड में विश्व एक कठिन परिस्थिति से जूझ रहा था, उसी कालखंड में दो वर्ष पहले आज के ही दिन आपदा को अवसर में बदलने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एनईपी-२०२० जैसी एक दूरदर्शी व्यवस्था का शुभारंभ किया। आज भारत का जो वर्तमान है, वह कल दुनिया को नेतृत्व प्रदान करने वाला है। जैसा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वाराणसी में शिक्षा समूह को आह्वान किया था, उसी दिशा में आज हमें यह पूछने की आवश्यकता है कि क्या हम अपने वर्तमान को २१वीं सदी के अनुरूप शिक्षा देने के लिए तैयार हैं? शिक्षा का उद्देश्य क्या है? ज्ञान क्यों अर्जित करना है? केवल नौकरी के लिए? पिछले २०० वर्षों में हमारी शिक्षा व्यवस्था में अच्छे प्रयास भी हुए, पर बहुत कुछ रह भी गया। एनईपी आज हमारे समाज में नया विश्वास पैदा कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे लिए भारत को विश्वगुरु बनाने का सामूहिक संकलप है।”
श्री प्रधान ने आगे कहा, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा व्यवस्था को पराधीनता की मानसिकता से निकालकर भारतीयता के मूल्यों की ओर ले जाने व भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का रोडमैप है। एनईपी २०२० के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आज पूरा देश शिक्षा समुदाय के प्रति आशावान है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि देश का यह वृहद शिक्षा समुदाय नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति रूपी पौधे को सिंचित कर देश की शिक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च शिखर पर ले जाने का काम करेगा।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि एनईपी भारतीय संविधान के बाद दूसरा सबसे बड़ा दस्तावेज है जो जनभागीदारी और परामर्श से तैयार किया गया है। “मैकॉले के मूल सिद्धांतों का उद्देश्य भारतीयों को पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का ग़ुलाम बनाना था। यह पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा कायम रखा गया था। मगर आज एनईपी-२०२० मैकॉले शिक्षा प्रणाली का विकल्प है। एनईपी का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में उपनिवेशवाद की मानसिकता को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचार में तब्दील करना है। स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा प्रणाली में कई सुधार हुए हैं, लेकिन एनईपी उन सभी सुधारों की आत्मा है। एनईपी का लक्ष्य भारत को शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनाना है,” श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा।
एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ अनिल सहस्रबुद्धे ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैं एनईपी-२०२० के सफल कार्यान्वयन के दूसरे वर्ष पर सभी को बधाई देता हूं। हमारे पास एक ऐसी प्रणाली है जहां केजी से पीजी तक सब कुछ रटने आधारित है। हमें विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच की आवश्यकता थी। एआईसीटीई ने हजारों विशेषज्ञों और शिक्षकों की सहायता से उस पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है, उन सब को बधाई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मानिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करता है। आज, युवाओं को भारत की प्राचीन ज्ञान प्रणालियों का सम्मान करने और देश की विरासत को संभालने की आवश्यकता है।”