चित्रकार सरस्वती के मानस पुत्र डॉ अखंडप्रताप जी

कलाविद स्व. भगवान दास गुप्ता की 91वी जयंती के अवसर पर ललित कला संस्थान, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी, राजकीय संग्रहालय, झांसी एवं कलाविद स्व.भगवान दास गुप्ता कला शैक्षणिक उत्थान समिति, जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) के वरिष्ठ चित्रकार डॉ. यतीन्द्र महोबे की दो दिवसीय एकल चित्रकला प्रदर्शनी “अंतर्मन” का आयोजन राजकीय संग्रहालय, झांसी की कलावीथिका किया गया। प्रदर्शनी का उदघाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक डॉ अखंड प्रताप जी, विशिष्ट अतिथि साध्वी मां कल्पना अरुंधती, राष्ट्रीय संयोजिका, भारतीय सद्भावना मंच, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के महानगर अध्यक्ष सक्षम जी, डॉ एस के दुबे, उप निदेशक, राजकीय संग्रहालय झांसी एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कला संकायाध्यक्ष प्रो मुन्ना तिवारी द्वारा सम्मिलित रूप से किया गया।
चित्रकला प्रदर्शनी में डॉ. यतींद्र महोबे के भारतीय कला संस्कृति से समाहित ग्राम्य जीवन के दृश्यों की झलक के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का जलरंग विधा एवं कोलाज विधा में चित्र प्रदर्शित किए गए।

प्रदर्शनी उपरांत आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ अखंडप्रताप जी ने कहा कि चित्रकार मां सरस्वती के मानस पुत्र होते हैं। डॉ महोबे के चित्रों में रंगों और रेखाओं के तालमेल से संयोजन में सौन्दर्य की अनुभूति का आभास दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने कहा कि संघ का प्रयास है कि प्रत्येक गांव को मेरा गांव, मेरा तीर्थ की तर्ज पर विकसित किया जाए, ताकि लोग आपसी प्रेम एवम सद्भाव से रह सकें। इसमें चित्रकला सहित अन्य कलाएं अपना योगदान दे सकती हैं ।
मुख्य अतिथि एकलव्य विश्वविद्यालय दमोह के कुलपति प्रो पवन कुमार जैन ने कहा कि इस तरह के आयोजन मनुष्य की संवेदनाओं को बढ़ाने का कार्य करते हैं।
विशिष्ट अतिथि भारतीय सद्भावना मंच की राष्ट्रीय संयोजिका मां कल्पना अरुंधति जी ने कहा कि चित्र प्रदर्शनी इतनी मोहक है कि साक्षात ग्राम्य जीवन परिलक्षित होता है। विशिष्ट अतिथि बु वि वि के कला संकायाध्यक्ष प्रो मुन्ना तिवारी ने कहा कि डॉ महोबे की चित्र प्रदर्शनी यहां के कलाप्रेमियों के लिए ज्ञान अर्जित करने, चित्रों को देख कर आत्मसात करने का सुनहरा अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि कला बोधगम्य होती है। विशिष्ट अतिथि उपनिदेशक राजकीय संग्रहालय डॉ एस के दुबे ने कहा कि कला साधना है, कला में सृजनात्मकता होती है। चित्रकार तपस्वी की भांति सतत साधना में लीन रहता है। डॉ यतींद्र महोवे द्वारा अपने संबोधन में सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपनी कला यात्रा के विषय में अवगत कराया।
इस अवसर पर चित्रकार डॉ यतींद्र महोबे को कला साधक सम्मान 2022 से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृतिकर्मी डॉ मुहम्मद नईम ने, स्वागत डॉ सुनीता ने एवं आभार डॉ अजय कुमार गुप्ता द्वारा व्यक्त किया गया। आयोजकों द्वारा समस्त अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवम स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ इतिहासकार डॉ मुकुंद मेहरोत्रा, राजकीय संग्रहालय की कला वीथिका प्रभारी डॉ उमा पाराशर, महानगर प्रचारक सक्षम जी, महानगर कार्यवाह डॉ मुकुल पस्तोर जी, नगर कार्यवाह दुर्ग शिवदयाल चौरसिया जी, उत्तर मध्य रेलवे के सेवानिवृत्त उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक प्रदीप समाधिया, अलख साहू, कामिनी बघेल, किशन सोनी, शुभ्रा कनकने, डॉ प्रमिला सिंह, डॉ श्वेता, डॉ बृजेश कुमार सिंह, डॉ दिलीप कुमार, नदीम कुरैशी, डॉ उमेश अनूप पांडे, संगीता नौगारिया, कमलेश कुमार, मुईन अख्तर, मयंक कुमार, अंजू महोबे, नैन्सी महोबे, विक्रांत झा, काजल ओझा, भारती प्रजापति आदि उपस्थित रहे। प्रदर्शनी दो दिन तक कला प्रेमियों एवं जन सामान्य हेतु खुली रहेगी।

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