समाजवादी पार्टी के गढ़ और डिंपल यादव के संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश के जिलों में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। जिले के कब्रिस्तान क्षेत्र में एक अस्पताल की छुट्टी से लड़की की जान चली गई और मुसीबत की इंतहा तब हो गई जब लड़की के परिवार की मौत की जानकारी के बिना ही उसके शव को अस्पताल से बाइक पर लेकर अस्पताल के घर लाया गया। परिवार के अपॉइंटमेंट के डॉक्टर से डॉक्टर और स्टाफ़ बैचलर हो गए हैं। रोता-बिलखता बेबस परिवार अब सोसायटी की मांग कर रहा है। इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
पीड़ित परिवार का आरोप है कि डॉक्टर के गलत इंजेक्शन लगाने से लड़की की मौत हो गई। इतना भी विरोधाभास नहीं था कि डॉक्टर और स्टाफ ने पीड़ित परिवार को बिना सूचना दिए मृतिका के शव को अस्पताल से बाहर निकाल दिया। घटना का वीडियो सामने आया ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सख्ती दिखाते हुए अस्पताल को सील कर दिया है। बता दें कि थाना रामपुर क्षेत्र के नगला ओय में रहने वाले 17 साल की बेटी भारती की मंगलवार को तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद एज़ोल ने उसे इलाज के लिए ग्रैगोर क्षेत्र के करहल रोड स्थित राधा स्वामी अस्पताल में भर्ती कक्ष दिया था। बुधवार को तीसरे दिन भारती की मौत हो गई, इसके बाद डॉक्टर और स्टाफ ने बिना बताए ही भारती के शव को अस्पताल से बाहर निकाल दिया।
वहीं पूरे मामले में भारती की फार्मासिस्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि भारती को मंगलवार को बुखार आया था, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया गया था। वहीं रविवार को वह बिल्कुल ठीक था. डॉक्टर के इंजेक्शन के बाद ही उसकी हालत बिगड़ गई और उसकी मृत्यु हो गई। भारती की मृत्यु के बाद ईसाइयों ने कहा कि उसकी हालत गंभीर है, उसे यहां से ले चलो, हम कुछ नहीं कर सकते। मनीषा ने बताया कि डॉक्टर ने यह जानकारी दी कि जब तक भारती की मौत हो गई थी। हालाँकि अभी तक पूरे मामले की तरफ से थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसी गुप्ता ने मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें परामर्श के माध्यम से इस बात की जानकारी मिली। जिसके बाद उन्होंने स्टॉक अधिकारी को मोइस पर भेजा। अस्पताल के शिक्षक और कोई चिकित्सक मौसे पर नहीं मिले। अस्पताल में एक मरीज मौजूद था, जिसका ऑपरेशन हुआ था. अब यूएसएसआर मेडिकल हेल्थ सेंटर में भर्ती और हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अस्पताल का रजिस्टर और डिग्री लगी थी, लेकिन अस्पताल का कोई डॉक्टर नहीं था। इस मामले के सामने आते ही उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।