नई दिल्ली:-कभी ये आदर्श वाक्य दिल्ली पुलिस का प्रतीक हुआ करता था. समय बदला और अब दिल्ली पुलिस का आदर्श वाक्य “शांति-सेवा-न्याय” हो गया. पुलिस के पहले आदर्श वाक्य “तुम्हारे साथ हमेशा तुम्हारे लिए” पर भी कुछ पुलिसकर्मी अपनी हरकतों के कारण पुलिस विभाग के लिए शर्मिंदा होने का कारण बने हैं और अब शांति-सेवा-न्याय जैसे आदर्श वाक्य को भी मुट्ठी भर पुलिस अधिकारी शर्मिंदा करने में लगे हुए हैं. जहां एक ओर पुलिस विभाग के मुखिया ने दिल्ली के विभिन्न थानों की कमान काबिल और बेदाग छवि के अधिकारियों को सौंपी थी, लेकिन कुछ ऐसे ही काबिल ऑफिसर थाने में आम लोगों और सीनियर सिटीजंस के साथ ऐसा बर्ताव करने में लगे हुए हैं, जिससे पुलिस विभाग के मुखिया और पुलिस की छवि धूमिल हो रही है. काफी शिकायतों के बाद भी ऐसे मुट्ठी भर अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है क्योंकि आम लोगों की पहुंच पुलिस कमिश्नर तक नहीं है. जिससे उनको पता ही नहीं चल पाता कि उनके द्वारा लगाए गए एसएचओ थानों में किस तरीके का व्यवहार कर रहे हैं. उन अधिकारियों ने थाने को लूटपाट का अड्डा तक बना दिया है.
ऐसा ही एक वाक्या मॉडल टाउन थाना इलाके के डेरावल नगर के रहने वाले व्यवसाई 63 वर्षीय प्रवीण कुमार के साथ 21 मई को घटा. जब भी अपने बड़े भाई के साथ कार में अपने घर जा रहे थे. जाम होने के कारण एक फॉर्च्यूनर कार उनसे आगे निकलने के चक्कर में आगे नहीं बढ़ पा रही थी. तो उस कार में सवार पांच युवकों ने उनसे बहस की और जब उन्होंने जाम के कारण आगे बढ़ने में बढ़ने में असमर्थता जताई तो उन युवकों ने दोनों भाइयों की बेरहमी से पिटाई कर दी. इस पर उन्होंने पुलिस कॉल की और पुलिस ने मौके पर आकर दोनों पक्षों को थाने ले गई. वहां ले जाकर उनको बैठा दिया गया और मारपीट करने वाले लड़कों के साथ बात करने लगे. पीड़ित प्रवीण कुमार ने कहा कि आप हमारी एफआईआर लिखिए तो आई ओ उनको टालता रहा.
जिसके बाद रात्रि में एसएचओ साहब वहां आए और आई ओ ने उनको सारा वाकया बताया. जिसके बाद एसएचओ ने उनसे मामले में समझौता करने का दबाव बनाया. जब पीड़ित ने उनको ऐसा करने से मना कर दिया तो एसएचओ ललित अहलावत ने 63 वर्षीय प्रवीण कुमार, उनके 66 वर्षीय भाई और उसके भांजे को बुरी तरह पीटा शुरू कर दिया. वह तीनों चिल्लाते रहे और पूछते रहे कि हमारा कसूर क्या है जो आप हमें मार रहे हैं. लेकिन एसएचओ तब भी शांत नहीं हुए और तीनों को रात में कई बार बेरहमी से पीटा गया.
सुबह के करीब एसएचओ अहलावत ने उन दोनों भाइयों और भांजे की जेब में से रखे 40 हज़ार रूपए, कुछ जरूरी कागजात तथा फोन छीन लिए और उनको डरा धमका कर सादे कागज पर साइन करवा लिए और एक कागज पर लिखवा लिया कि हम उन लड़कों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं चाहते हैं. भय के साए में उन्होंने लिखकर दे दिया और जब वह अपने रुपए और सामान मांगने लगे तो एसएचओ ने उनको पीटने की धमकी देकर उन्हें सुबह के करीब थाने से भगा दिया. इसी दौरान एक एसीपी गरिमा तिवारी भी वहां पहुंची तो पीड़ित ने उनको सारी बात बताई. जिसके बाद एसीपी गरिमा तिवारी ने एसएचओ से बात की और जाते-जाते बोल गई कि इनको सब को हवालात में बंद कर दो.
एसएचओ अहलावत ने पीड़ित प्रवीण कुमार को धमकाया कि अगर उन्होंने उसके खिलाफ किसी भी तरह की शिकायत की तो उनको और उसके परिवार को पूरी जिंदगी जेल में सड़ा देगा. जिसके बाद पीड़ित इलाके के डीसीपी जितेंद्र मीणा से भी मिले. जिन्होंने कहा कि मैं देखता हूं कि क्या हो सकता है. इसके बाद जब एसएचओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित स्पेशल कमिश्नर दीपेंद्र पाठक से मिले. उन्होंने भी कार्यवाही का भरोसा दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद पीड़ित कमिश्नर से भी मिलने पहुंचे जहां उनको मिलने नहीं दिया गया और कंप्लेंट देकर भगा दिया गया.
अब पीड़ित मानवाधिकार आयोग पहुंचा और अपनी शिकायत दी. जिस पर मानव अधिकार आयोग ने पड़ोसी जिले आउटर नॉर्थ के डीसीपी रवि कुमार सिंह को इस मामले की न्यूट्रल जांच के आदेश दिए. पीड़ित आज भी न्याय की आस में पुलिस विभाग के अधिकारियों की ओर देख रहा है लेकिन उसको नहीं लगता कि पुलिस अपने ही महकमे के अधिकारी के खिलाफ कोई सार्थक एक्शन ले पाएगी.