Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-plugin-mojo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया,2023-24 के लिए GDP 6.5% रहने का अनुमान, बेरोजगारी दर कम होकर 7.2% हुई « The News Express

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया,2023-24 के लिए GDP 6.5% रहने का अनुमान, बेरोजगारी दर कम होकर 7.2% हुई

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए GDP ग्रोथ रेट के 6.5% होने का अनुमान लगाया है। यह पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी। वहीं नॉमिनल GDP का अनुमान 11% लगाया गया है। FY23 के लिए रियल GDP अनुमान 7% है।

सर्वे में कहा गया है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सर्वे के अनुसार, PPP (पर्चेजिंग पावर पैरिटी) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। सर्वे में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुमान, महंगाई दर अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटे की जानकारी शामिल होती हैं।

GDP से पता चलती है इकोनॉमी की हेल्थ
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। CEA वी अनंत नागेश्वरन ने कहा, भारत की अर्थव्यवस्था इस दशक की शेष अवधि में बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है।
अब महामारी से उबरने की बात नहीं करनी चाहिए। रिकवरी पूरी हो चुकी है, अब आगे बढ़ना होगा।
बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ रही है। गैर बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में अब हेल्दी बैलेंस शीट है।
जुलाई सितंबर 2019 में बेरोजगारी दर 8.3% से घटकर जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2% हुई।
2022 में कृषि में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले 12 साल में सबसे अधिक रही है।
शिक्षा पर खर्च बढ़ा है, जबकि स्वास्थ्य पर खर्च लगभग दोगुना हो गया है।
FY22 में 8.4% (YoY) के मुकाबले FY23 में सर्विस सेक्टर के 9.1% से बढ़ने की उम्मीद है।
भारत के पास करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) को फाइनेंस करने के लिए पर्याप्त फॉरेक्स रिजर्व है। ईवी इंडस्ट्री से 2030 तक मिलेंगे 5 करोड़ रोजगार
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की ग्रीन एनर्जी की ओर ट्रांजीशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। डोमेस्टिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) मार्केट 2022 और 2030 के बीच 49% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है। ईवी इंडस्ट्री 5 करोड़ डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब क्रिएट करेगा।

2022 में 10 महीने RBI के दायरे से बाहर रही महंगाई
FY23 में रिटेल महंगाई 6.8% रह सकती है। साल 2022 के पहले 10 महीनों में रिटेल महंगाई RBI के 2%-6% के दायरे के बाहर रही। सबसे ज्यादा 7.79% महंगाई अप्रैल 2022 में दिखी। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है। इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है?
हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। हमारे यहां ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है। इस डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? बचत कितनी करनी है? हमारी हालत कैसी रहेगी?

ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।

सिंगल वॉल्यूम में आता था इकोनॉमिक सर्वे
पहले इकोनॉमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में पेश किया जाता था।2014-15 से इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा। पार्ट A में पिछले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा परफॉर्म किया इसकी जानकारी होती है। पार्ट B में गरीबी, सामाजिक सुरक्षा, ह्यूमन डेवलपमेंट, हेल्थ केयर और एजुकेशन, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण और शहरी विकास जैसे इश्यू होते हैं।

हालांकि 2021-22 का इकोनॉमिक सर्वे दो-वॉल्यूम फॉर्मेट से सिंगल वॉल्यूम प्लस स्टेटिकल टेबल के लिए एक अलग वॉल्यूम में शिफ्ट हो गया था। प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने इसे पेश करते हुए कहा था कि दो-वॉल्यूम वाले फॉर्मेट में नए विचारों और विषयों को लाने की जगह है, लेकिन लगभग 900 पेज में यह बोझिल भी होता जा रहा है। इकोनॉमिक सर्वे कौन तैयार करता है?
वित्त मंत्रालय के अंडर एक डिपार्टमेंट है इकोनॉमिक अफेयर्स। इसके अंडर एक इकोनॉमिक डिवीजन है। यही इकोनॉमिक डिवीजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी CEA की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है। इस वक्त CEA डॉ. वी अनंत नागेश्वरन हैं।

इकोनॉमिक सर्वे क्यों जरूरी होता है?
ये कई मायनों में जरूरी होता है। इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन की तरह काम करता है, क्योंकि इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है।

क्या सरकार के लिए इसे पेश करना जरूरी है?
सरकार सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों या सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अगर सरकार चाहे तो इसमें दिए सारे सुझावों को खारिज कर सकती है। फिर भी इसकी अहमियत है क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है।

1950-51 में पेश हुआ था पहला इकोनॉमिक सर्वे
भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, 1964 के बाद से, सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया। तब से, बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *