एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत एआईसीटीई ने किया ‘सांस्कृतिक संगम’ का आयोजन, छात्रों को मिला अंतरराज्यीय सांस्कृतिक विरासत साझा करने का मौक़ा
उत्तर-पूर्व से आये छात्र बोले, “भरपूर स्नेह मिला, ऐसा लगा घर से दूर नहीं हूँ। अब होता है अपनेपन का एहसास
“राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच गहरे संबंध स्थापित करने के लिए ऐसे सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम व्यापक अवसर प्रदान करते हैं”
यूपी, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया।
नई दिल्ली: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने शुक्रवार 22 जुलाई, 2022 को नई दिल्ली स्थित एआईसीटीई मुख्यालय में सांस्कृतिक संगम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में 4 राज्यों के छात्रों ने भाग लिया। इनमें उत्तर प्रदेश-अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा-तेलंगाना के छात्र शामिल थे।
राज्य एनएसएस सेल, अरुणाचल प्रदेश सरकार, ईटानगर, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गौतमबुद्ध नगर, जयमुखी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजिकल साइंसेज, वारंगल और मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, फरीदाबाद ने इस सांस्कृतिक संगम में भाग लिया।
डॉ. रवींद्र कुमार सोनी, सलाहकार-II, एआईसीटीई ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज, फरीदाबाद के प्रो वाइस चांसलर डॉ. प्रदीप कुमार और प्रो. हरिवंश चतुर्वेदी, निदेशक, बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस अवसर पर एआईसीटीई के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, “एक भारत-श्रेष्ठ भारत के इस सांस्कृतिक संवाद का उद्देश्य राज्यों की समृद्ध विरासत और संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं को प्रदर्शित करना है ताकि युवा छात्र भारत की विविधता को समझ सकें। आज़ादी के इस अमृत महोत्सव पे हम इस प्रकार सामूहिक पहचान की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। युवा पीढ़ी के कंधों पर भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और परंपरा को संरक्षित करने का दायित्व है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच गहरे संबंध स्थापित करने के लिए ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम गति प्रदान करते हैं। हमारे देश की विविधता को बेहतर ढंग से समझने के लिए ऐसे अवसरों से छात्रों को प्रेरणा मिलेगी।”
सांकृतिक संगम में भाग लेने वाले उत्तर प्रदेश के एक छात्र ने कहा, “संस्कृतिक संगम में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने पर मुझे गर्व है। प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम है और हमारे राज्य की संस्कृति हजारों सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी है, इसलिए, मेरे लिए अपने सांस्कृतिक लोकाचार को अन्य राज्यों के भाइयों और बहनों के साथ साझा करना और उनके मूल्यों का ज्ञान प्राप्त करना गर्व की बात है। मैं एआईसीटीई और शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) को धन्यवाद देता हूँ कि मुझे यह मंच प्रदान किया गया।”
तेलंगाना की एक छात्रा ने राज्य की कला और संस्कृति की विशिष्टता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “तेलंगाना लोक और कर्नाटक संगीत का एक सुंदर संगम है। तेलंगाना राज्य की जड़ों और सांस्कृतिक लोकाचार में बहुत सारी विविधताएँ निहित हैं। यह राज्य कई विविध धर्मों, त्योहारों, व्यंजनों और नृत्य का घर है। मैं इस पहल के लिए एआईसीटीई और शिक्षा मंत्री को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं। मैं यहां पर मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हूँ।”
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के एक छात्र ने इस कार्यक्रम में भाग लेने पर खुशी व्यक्त की और कहा, “उत्तर प्रदेश के लोगों ने हम पर जो प्यार, सम्मान और गर्मजोशी बरसाई है, उससे मैं बहुत खुश हूं। मुझे यहाँ के सभी व्यंजन भी बहुत पसंद आये। मुझे एक क्षण के लिए ये एहसास नहीं हुआ कि मैं घर से बहुत दूर हूं, मुझे लगा कि मैं घर पर हूं। मैं इस अवसर पर एआईसीटीई और शिक्षा मंत्रालय को हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली को साझा करने के प्रयास को सुलभ बनाने के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं कह सकता हूं कि मैं एक गौरवान्वित भारतीय हूं।”
श्रीमती नीता प्रसाद (भाप्रसे), संयुक्त सचिव, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने संबोधन में इस तरह के दौरों के लाभ और छात्रों द्वारा बनाये गए व्यक्तिगत संबंध के मायनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर छात्रों के दौरे की योजना बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन मैं सभी हितधारकों और विशेष रूप से एआईसीटीई को उनके योगदान और एक भारत श्रेष्ठ भारत मिशन के तहत इस दौरे को सफल बनाने के लिए धन्यवाद देती हूँ। छात्रों के हाव-भाव और वक्तव्य से यह स्पष्ट हुआ है कि वे इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम से खुश हैं। यह उन्हें एकता की भावना के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें एक-दूसरे की संस्कृतियों, परंपराओं और मूल्यों से सीखने में सक्षम बनाएगा। आज यहाँ वे जो व्यक्तिगत संबंध बनाएँगे, वे जीवन भर के लिए उनके साथ रहेंगे।”
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ एम पी पूनिया और सुश्री नानू भसीन, एडीजी, पीआईबी ने भी सांस्कृतिक संगम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार ने भी सभा को संबोधित किया। डॉ. निखिल कांत, उप निदेशक, एआईसीटीई ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।