नई दिल्ली। ऑल इंडिया माइनॉरिटी फ्रंट के अध्यक्ष डॉक्टर एस एम आसिफ में कहा है कि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक निहायत ईमानदार व्यक्ति माने जाते हैं लेकिन उनके तहत चलने वाले सूचना एवं प्रचार निदेशालय में भ्रष्टाचार जमकर हो रहा है।
उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा है कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार आने से पहले छोटे बड़े समाचार पत्रों को दिल्ली सरकार की ओर से मिलने वाले विज्ञापन आज लगभग बंद से हो गए हैं।
खासकर हिंदी और उर्दू के छोटे व मझोले समाचार पत्रों को विज्ञापन पाने के लिए कभी इस अधिकारी कभी दूसरे अधिकारी के दरवाजे पर दस्तक देनी पड़ती है , इसके बावजूद उन अखबारों को सरकारी विज्ञापन उपलब्ध नहीं होता है। इनमें से जो दैनिक अखबार और साप्ताहिक पाक्षिक या मासिक समाचार पत्रों को समाचार पत्रों को विज्ञापन मध्यस्थों के माध्यम से मिलता है। ऐसे अखबारों को विज्ञापन से मिलने वाली राशि का 30 से 50% कमीशन देना पड़ता है। यह कमीशन लेने वाले सरकार द्वारा छोड़ गए मध्यस्थ हैं । इन मध्यस्थों के बिना किसी को विज्ञापन नहीं मिलता है।
डॉ आसिफ ने कहा कि केजरीवाल की सरकार बनने से पहले सभी पूर्ववर्ती सरकारों के दौर में छोटे बड़े अखबारों को विज्ञापन बिना किसी भेदभाव के मिला करता था और उन्हें विज्ञापन के एवज में कमीशन नहीं देना पड़ता था। इस सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है की कमीशन एजेंट विज्ञापन के बदले कमीशन ले और उस कमीशन से संबंधित विभाग के अधिकारियों को अलग से कमीशन अदा करें। इस भ्रष्टाचार के चलते अखबार प्रभावित हो रहे हैं । उनका नुकसान हो रहा है । और बहुत से अखबार विज्ञापन ना मिलने के कारण बंद करने को मजबूर हो गए हैं।
डॉ आसिफ ने कहा कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए । उन्होंने कहा की और विज्ञापन भी प्रेस की आजादी के संरक्षण का एक माध्यम है। विज्ञापन पाना समाचार पत्रों का अधिकार है। इसे कायम रखने की जरूरत है। अखबार के मालिक/संपादक को विज्ञापन से सहयोग मिलता है और अखबार छप पता है और उसका प्रसार होता है। ये अखबार सरकार के जनकल्याणकारी कार्य को जनजन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। इनसे सरकार की सही नीतियों को भी प्रचार मिलता है। सरकार का फर्ज है कि वह सभी तरह के प्रचार माध्यमों को बिना भेदभाव के विज्ञापन जारी करे । और कमीशन एजेंटों की छुट्टी करे।