नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 31 विधानमंडल सदस्यों को मंत्री बनाया है. मंत्री बनाने के दौरान सभी दलों ने जातीय समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा है. कोशिश की गई है कि हर जाति को मंत्रिमंडल में जगह मिले. विशेषकर राजद और जदयू की ओर से इसका ध्यान रखा गया है कि उनके दलों से जितने भी मंत्री बन रहे हैं
उसमें सभी जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जाए. सबसे ज्यादा यादव बिरादरी से मंत्री बनने के कारण यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को मंत्री बनाकर कुर्मी को ताज और यादवों की भरमार वाली स्थिति है.हालांकि नीतीश मंत्रिमंडल में जातीय संख्या को देखा जाए तो सबसे ज्यादा 8 यादव मंत्री बने हैं. राजद ने 7 जबकि जदयू ने 1 यादव को मंत्री पद दिया है. वहीं नीतीश कुमार के अलावा कुर्मी जाति से 1 मंत्री बने हैं. दलित समुदाय को मंत्रिमंडल में 6 संख्या के साथ बड़ी हिस्सेदारी मिली है. इसमें राजद के 2, जदयू के 2 जबकि हम और कांग्रेस के एक –एक दलित मंत्री बने हैं. वहीं सवर्ण समुदाय में सबसे ज्यादा राजपूत बिरादरी के 3 मंत्री बने हैं जिसमें राजद और जदयू से एक-एक जबकि निर्दलीय से 1 राजपूत को मंत्री बनाया गया है.
भूमिहार जाति से 2 मंत्री बने हैं जिसमें राजद और जदयू के 1-1 मंत्री हैं. वहीं ब्राह्मण समुदाय से सिर्फ 1 मंत्री जदयू से बने हैं.पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय को भी मंत्रिमंडल में बड़ी हिस्सेदारी दी गई है. इसमें कुशवाहा समुदाय के तीन और अति पिछड़ा से 3 मंत्री बने हैं. सभी दलों ने अल्पसंख्यक समुदाय में मुस्लिमों पर बड़ा दांव लगाया है. कुल 5 मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं. मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जोड़कर कुल 33 लोग मंत्रिमंडल में शामिल हैं.मंत्री बनने वालों में राजद से तेज प्रताप यादव- यादव, आलोक मेहता- कुशवाहा, सुरेन्द्र यादव- यादव, रामानंद यादव- यादव, ललित यादव- यादव, कुमार सर्वजीत- दलित (पासवान), समीर महासेठ- बनिया, चन्द्रशेखर (यादव), अनीता देवी- नोनिया – अति पिछड़ा , जितेन्द्र कुमार राय- यादव, सुधाकर सिंह- राजपूत, कार्तिक सिंह – भूमिहार, इसराइल मंसूरी- अल्पसंख्यक, शमीम अहमद- अल्पसंख्यक, सुरेन्द्र राम- दलित, शहनवाज आलम अल्पसंख्यक हैं.