नई दिल्ली: यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर ‘बीबीसी ट्रू’ पर दो भाग वाली सीरीज में 2002 के दंगों के बारे धूर्ततापूर्ण रिपोर्टिंग करने का आरोप लगाते हुए इसकी कड़ी भर्त्सना की है। फ्रंट ने कहा है कि यह पहली नजर में भले ही मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति नजर आता हो, वास्तव में यह हिन्दू विरोध की नीति है।
फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री जय भगवान गोयल ने आज यहां एक वक्तव्य में कहा कि बीबीसी जानती है कि अगर उसे विश्व भर में चर्चा में आना है, तो उसे मोदी के ही नाम का सहारा लेना होगा। बाकी जो भी कुछ दुष्प्रचार करने की कोशिश वह कर रही है, वह उस बीबीसी की साम्राज्यवादी सोच का प्रतिबिंब है, जिसके खुद अपने देश से पैर उखड़ते जा रहे हैं। भारत यूके को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसका श्रेय श्री मोदी को ही जाता है। इस कारण मोदी जी से बीबीसी की ईर्ष्या समझी जा सकती है। अपने देश की जनता को पथभ्रष्ट करके भारत को नीचा दिखाना यूनाइटेड किंगडम और बीबीसी की एक साजिश हो सकती है, लेकिन भारत और यहां की जनता ऐसी मनगढ़ंत कहानियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। श्री गोयल ने कहा कि बीबीसी भारत की चिंता छोड़े, पहले अपना घर बचा ले और हो सके तो एक बार यूरोप की तरफ झांक कर देख ले, जो इस्लाम तुष्टिकरण के दंश से कराह रहा है। जहां तक गुजरात का प्रश्न है, बीबीसी और भारत में उसके मानसपुत्रों की यह एक साजिश भर है कि किसी तरह इस मामले को जीवित बनाए रखा जाए, जबकि इस पर सुप्रीम कोर्ट तमाम रिव्यू पिटीशनों तक का निस्तारण कर चुकी है।
श्री गोयल ने कहा कि बीबीसी पर दो भाग वाली सीरीज ‘ इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ वस्तुस्थिति से कोसों दूर है। उन्होंने इसके नाम पर आपत्ति करते हुए कहा कि मोदी यूके के लिए ‘क्वेश्चन’ होगा, ऐसी अभद्र भाषा बीबीसी के संस्कारों को शोभा देती होगी। लेकिन मोदी भारत और दुनिया के कई देशों के लिए ‘आंसर’ हैं। यूके की मानवीयता का स्तर दुनिया कोरोना के समय देख चुकी है, जो महामारी में मुनाफाखोरी कर रहा था। जबकि मोदी विश्व मानवता के संरक्षक सिद्ध हुए थे।
उन्होंने कहा कि नागरिक कानून लागू करने अथवा धारा 370 को हटाना हमारे देश का आंतरिक मामला है। प्रधानमंत्री कोई भी निर्णय किसी पर थोपते नहीं अपितु देश की चुनी हुई संसद से सभी कानून पारित होते हैं। इस तरह की बात करके बीबीसी ने भारत की जनता का अपमान किया है। बीबीसी में अगर हिम्मत हो तो वह चीन में मुस्लिम संप्रदाय के हालात पर रिपोर्टिंग करके तथ्य उजागर करे, यूक्रेन के युद्ध का सच बताए, जिसमें वह बराबर की अपराधी है।
श्री गोयल ने चेतावनी दी कि यूरोप का मानस हिन्दूफोबिया में जितना गहरा फंसता जाएगा, वह अपने आपको उतनी गहरी गर्त में धकेलता जाएगा। यूरोप को पाकिस्तान से सबक लेना चाहिए, जो हिन्दू विरोध का मानसिकता पर चलते हुए आज वास्तव में घास की रोटी खाने के मजबूर हो चुका है। उसे भी बीबीसी जैसे कहानीकारों से बचना चाहिए।