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श्री सद्गुरु आश्रम मऊरानीपुर में श्रावण माह के पावन अवसर पर संगीत में श्रीमद् भागवत मासपरायण कथा « The News Express

श्री सद्गुरु आश्रम मऊरानीपुर में श्रावण माह के पावन अवसर पर संगीत में श्रीमद् भागवत मासपरायण कथा

श्री सद्गुरु आश्रम मऊरानीपुर में श्रावण माह के पावन अवसर पर संगीत में श्रीमद् भागवत मासपरायण कथा एवं असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण के उन्नीसवे दिन में श्रीमद् भागवत की कथा सुनाते हुए भागवत आचार्य पंडित श्री बृजेश त्रिपाठी जी ने गज ग्राह की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि त्रिकूट पर्वत पर इंद्रद्रुम नाम का हाथी रहता था।

जिसमें दस हजार हाथियों का बल था। एक दिन अपनी हथनियों के साथ में सरोवर में जल क्रीड़ा करने लगा ।तो ग्राह ने पैर पकड़ लिया बहुत कोशिश करने के बाद जब पैर नहीं छुडा पाया तो भगवान को पुकारा भगवान श्री हरि प्रकट होकर ग्राह के मुख को चीर दिया और अपने भक्त गजराज की रक्षा की। श्री शास्त्री जी ने समुद्र मंथन की कथा का निरूपण करते हुए कहा कि भगवान ने दैत्य और देवताओं की संधि कराकर समुद्र का मंथन कराया ।

जिससे चौदह रत्न निकले इसी समुद्र मंथन में धन्वंतरी भगवान अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए। पूज्य महाराज जी ने बलि वामन संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि वामन भगवान वामन अंगुल के बनकर बली को छलने गए पर बलि की विप्र निष्ठा से स्वयं छले गए ।बलि के दरवाजे जब त्रिलोकीनाथ मांगने आए तो बलि ने त्रिलोकीनाथ को तीनों लोकों का दान दे दिया ।जब लक्ष्मी जी लक्ष्मीपति को मांगने आई तो लक्ष्मीपति को दान में दे दिया ।

श्री महाराज जी ने भगवान श्रीराम का जन्म उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जिसमें सभी श्रोतागण राम भजनों पर झूम उठे ।आज भक्तों द्वारा पन्द्रह हजार पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया गया ।बड़े गांव से आए राजू महाराज धीरेंद्र महाराज जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान का परिवार सहित रुद्राभिषेक करवाया।

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