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हिन्दी साहित्य भारती की दो दिवसीय बैठक का शुभारम्भ « The News Express

हिन्दी साहित्य भारती की दो दिवसीय बैठक का शुभारम्भ

झाँसी- हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए संकल्पित हिन्दी साहित्य भारती की दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय बैठक का शुभारम्भ पं. दीनदयाल उपाध्याय सभागार में किया गया। उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि हरियाणा के पूर्व राज्यपाल डॉ. कप्तान सिंह सोलंकी रहे। अध्यक्षता हिन्दी साहित्य भारती के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्यकार व प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने की। बैठक में निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी शाश्वतानंद गिरि जी , छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डॉ. शेखर दत्त जी, प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक श्री जे. नन्दकुमार विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में महानिदेशक जनसंचार संस्थान भारत सरकार प्रो. संजय द्विवेदी, डॉ. अचला भूपेन्द्र कुमार दुबई, डॉ. रमा सिंह, आचार्य देवेन्द्र देव वरिष्ठ साहित्यकार, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मुकेश पाण्डेय , कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व डॉ. अरविन्द कुमार चतुर्वेदी विशेष रूप से मौजूद रहे। बैठक को संबोधित करते हुए पूर्व राज्यपाल डॉ. कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने संबोधन में हिन्दी साहित्य भारती द्वारा किये गये कार्य की सरहाना करते हुए कहा कि संस्था सफल व सार्थक कार्य कर रही है।

 

समाज में हिन्दी की उपयोगिता व आवश्यकता लगातार बढ़ रही है। उन्होंने अपने बेबाक संबोधन में कहा कि राजनीति में सार्थकता नहीं है। राजनीति समाज को तोड़ती है, जोड़ती नहीं लेकिन सफलता के लिए राजनीति का अनुभव जरूरी है। उन्होंने कहा कि सफलता के लिये संवेदनशीलता आवश्यक है। पूर्व प्रघानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह अजातशत्रु थे क्योंकि वह कवि थे, उनका कोई विरोधी नहीं था। बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह जे. नन्दकुमार ने कहा कि व्यक्ति सार्थक जीवन जीने की कोशिश करे। पाश्चात्य सभ्यता आनंद के लिये है। व्यक्ति के अंदर दासता का बोझ बंद होना चाहिए। निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी डॉ. शाश्वतानंद गिरि जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अध्यात्म से ओतप्रोत है। हमें मनुष्य होने का अर्थ समझना चाहिए। संस्कृत विश्व की पूर्ण परमार्जित भाषा है। उसी से हिन्दी का जन्म हुआ है। हिन्दी हर भारतवासी के रग-रग में व्यापत है। हिन्दी को वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए।

श्रीमती विजयलक्ष्मी मुरलीधरन अपर महाप्रबंधक एनटीपीसी रामागुंडम अध्यक्ष हिंदी विभाग दक्षिण भारत में हिंदी की अतुलित सेवा करने के लिए सम्मानित किया गया।
श्री गोपाल दास महेश्वरी केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंसाफ हिंदी सहित भारती के दे गीत की अद्भुत रचना के लिए सम्मानित किए गए।
डॉक्टर चितरंजन कर मार्गदर्शक हिंदी साहित्य भारती प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य भारती के ध्येय गीत को अनुपम स्वर देने के लिए सम्मानित किया गया।
दो दिवसीय कार्यक्रम का प्रबंधन कार्यालय प्रभारी निशांत शुक्ल एवं स्किल्ड इंडिया के डायरेक्टर नीरज सिंह जी के द्वारा किया गया
उद्घाटन सत्र के पश्चात राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त और सियाशरण गुप्त की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं साहित्य सदन परिवार द्वारा आए हुए सभी अतिथियों का सम्मान किया गया।
बाद में सभी अतिथियों को झांसी के किले का भ्रमण कराया गया एवं रानी की शौर्य गाथा से अवगत कराया गया।
द्वितीय सत्र में पिछले वर्ष के कार्यों की समीक्षा हुई एवं संघटन के विधान, उद्वेश्य एवं हिंदी साहित्य भारती के सभी पदाधिकारियों की भूमिका पर चर्चा हुई।

इस सत्र का मार्गदर्शन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री जे नंद कुमार जी राष्ट्रीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह ने किया।
द्वितीय सत्र संचालन डॉक्टर कीर्ति काले जी एवं आभार डॉक्टर नरेश मिश्र जी द्वारा किया गया।
तृतीय सत्र में श्री आनंद उपाध्याय द्वारा विषय प्रवर्तित करते हुए प्रोफेसर संजय कुमार द्विवेदी महानिदेशक जन संचार संस्थान भारत सरकार मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से एमएलसी रमा निरंजन, जिला पंचायत अध्यक्ष पवन गौतम, ब्लॉक प्रमुख राजकांतेश वर्मा जी, पूर्व महापौर किरन वर्मा, जालौन प्रभारी संजीव श्रृंगीरिषी, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रदीप सराओगो, विश्व विख्यात कवि अर्जुन सिंह चांद, राष्ट्रपति पद से सम्मानित शिक्षाविद सुश्री डॉक्टर नीति शास्त्री, सदर कैंट मण्डल अध्यक्ष अनिरुद्ध दुबे, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष शशांक गुरनानी, पूर्व पार्षद भरत दुबे, बाबूलाल तिवारी जी संयोजक शिक्षक प्रकोष्ठ, हेमंत परिहार भा ज यु मो झांसी,अजेंद दुबे आदि उपस्थित रहे।

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