झांसी । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डाॅ सुनील तिवारी ने राजस्थान संकट को लेकर , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा हमला करते हुये कहा कि अशोक गहलोत एक ऐसे नेता है,जो वफादारी का छद्म आवरण ओड कर, सदैव अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये हाईकमान की आङ में ,व्यक्तिगत हित साधते रहे।
मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर, 25 सितंबर रविवार के दिन, कांग्रेस के भीतर चला हाई वोल्टेज ड्रामा, 26 सितंबर को राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के वापस दिल्ली हाईकमान के पास जाने के बाद कम होता नजर आया ?
अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने राष्ट्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन और खडगे को नाराज कर वापस दिल्ली भेजा जिसका नतीजा यह निकला कि हाईकमान में गहलोत समर्थक विधायकों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया और अनुशासनहीनता करने वाले विधायकों के खिलाफ एक्शन लेने का प्लान बनाया ? जैसे ही हाईकमान की नाराजगी सार्वजनिक रूप से सामने आई वैसे ही जिन विधायकों ने इस्तीफा देने की बात कही थी उनमें से कई विधायक पलटी मारते हुए नजर आए और कहने लगे कि हमें तो पता ही नहीं था की किस कागज पर और क्यों हमसे हस्ताक्षर कराए जा रहे हैं ? अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस के विधायकों को किस नेता ने गुमराह किया था और गुमराह क्यों किया था ? सवाल और सस्पेंस तो अब यह भी खड़ा हो गया की 25 सितंबर को क्या कांग्रेस के 92 विधायकों ने अपना इस्तीफा दिया था, या यह केवल एक अफवाह थी कांग्रेस हाईकमान पर प्रेशर डालने की ?
क्योंकि गहलोत समर्थक विधायकों की सारी बातें तो सार्वजनिक रूप से सामने आ गई लेकिन 92 विधायकों के हस्ताक्षर युक्त लेटर अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ केवल यह खबर ही सुनाई दी की कांग्रेस के 92 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है