आरएसएस का नाम सुनते ही विपक्ष मे इतनी तिलमिलाहट क्यों ?

(चन्दन कुमार, नई दिल्ली)

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने सदन मे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के अध्यक्ष की नियुक्ति का मुद्दा उठाने के दौरान स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा, “इस सरकार में किसी संस्थान का नेतृत्व करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता तय करने का एकमात्र मानदंड यह है कि वह आरएसएस का सदस्य है या नहीं।
रामजीलाल सुमन के इस टिप्पणी के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा ‘आरएसएस देश की सेवा करता है और इससे जुड़े लोग निस्वार्थ भाव से काम करते हैं।’ “आरएसएस की साख बेदाग है, इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जो निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि आरएसएस एक ऐसे संगठन के रूप में योगदान दे रहा है जो राष्ट्र कल्याण और हमारी संस्कृति के लिए काम करते हैं। वास्तव में, इस तरह से काम करने वाले किसी भी संगठन पर हर किसी को गर्व होना चाहिए।

सभापति के इस बात को लेकर सदन के अंदर और बाहर विपक्ष की तिलमिलाहट देखने को मिली ! राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई और कहा कि सभापति तब तक आपत्ति नहीं कर सकते जब तक कि सदस्य सदन के नियमों का उल्लंघन नहीं करता। जिस पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जवाब देते हुए कहा कि उल्लंघन होने पर वह टोक सकते हैं लेकिन यहां सदस्य भारत के संविधान को रौंद रहे हैं। यह संविधान का उल्लंघन है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आरएसएस को इस राष्ट्र की विकास यात्रा में भाग लेने का पूरा संवैधानिक अधिकार है !
यह मामला यही तक नहीं रुका कॉंग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ टिप्पणी पर सोशल मीडिया के माध्यम से आपती व्यक्त की ! तो वही दूसरी तरह कॉंग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा के सभापति के नाम पत्र लिखकर आग्रह किया कि – आप अपने उन टिप्पणियों मे संशोधन करें, जो आपने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सराहना करते हुए की हैं !

अब बात आती है कि आप बिना नजदीक से जाने, किसी संगठन पर आपतिजनक आरोप कैसे लगा सकते है ! इसलिए आप सबसे पहले जानने कि चेष्टा करें कि आरएसएस है क्या ?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं ! यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। संघ दुनिया के लगभग 80 से अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के लगभग 50 से ज्यादा संगठन राष्ट्रीय ओर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है और लगभग 200 से अधिक संघठन क्षेत्रीय प्रभाव रखते हैं। जिसमे कुछ प्रमुख संगठन है जो संघ की विचारधारा को आधार मानकर राष्ट्र और सामाज के बीच सक्रिय है। जिनमे कुछ राष्ट्रवादी, सामाजिक, राजनैतिक, युवा वर्गों के बीच में कार्य करने वाले, शिक्षा के क्षेत्र में, सेवा के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र में, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में, संतो के बीच में, विदेशो में, अन्य कई क्षेत्रों में संघ परिवार के संघठन सक्रिय रहते हैं।

ऐसे समाजसेवी संगठन जो मानव मात्र के कल्याण का कार्य करता हो, उसपर रुक रुक कर विपक्ष प्रहार करके या उसकी तुलना किसी दूसरे संगठन से करके, अपनी ही मिट्टी पलीद कर लेता है !

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