अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप फाइनल में भारत ने इंग्लैंड की टीम को 68 रन पर ऑल आउट कर दिया। इस शानदार प्रदर्शन की नींव उत्तर प्रदेश के उन्नाव की अर्चना देवी ने रखी।
अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप फाइनल (U19 Women T20 WC Final) में रविवार को इंग्लैंड (England) को टीम इंडिया (Team India) ने हारकर इतिहास रच दिया। इंग्लैंड की टीम 68 रन पर ऑल आउट हो गई। भारत ने 3 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। इस शानदार जीत की नींव अर्चना देवी (Archana Devi) ने रखी। उन्होंने ग्रेस स्क्रिवेंस और नियाह हॉलैंड को आउट करके शानदार शुरुआत दिलाई। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले केरतई पुरवा गांव की रहने वाली अर्चना देवी (Archana Devi) की इस सफलता के पीछे उनकी जिद्दी मां सावित्री देवी का हाथ है, जिन्हें न जाने कितने ताने सुनने पड़े। कैंसर से उनकी पति और बेटे की सांप काटने से मौत हो गई तो उन्हें डायन कहा गया।
यही नहीं सावित्री देवी ने अर्चना देवी (Archana Devi) को क्रिकेटर बनाने का फैसला किया तो उनके रिश्तेदारों ने कहा कि व अपनी बेटी को गलत रास्ते पर भेज रही हैं। इससे सावित्री देवी को फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने क्रिकेट की दीवानी बेटी को गांव से 345 किलोमीटर दूर मुरादाबाद में लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल ‘कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय’ में का एडमिशन करवाया। ऐसा करने के बाद आस पड़ोस के लोगों ने उन्हें अपनी बेटी को गलत धंधे में डालने का आरोप लगाते और ताना मारते थे।
लड़की को गलत धंधे में डाल दिया
सावित्री देवी ने द इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर कहा, ” लड़की को बेच दिया। लड़की को गलत धंधे में डाल दिया है। ये सारी बातें मेरे मुंह पर बोलते थे।” अर्चना देवी (Archana Devi) की सफलता के बाद सबका हावभाव बदल गया है। बेटी के अंडर-19 महिला वर्ल्ड कप (U19 World Cup final) के फाइनल में खेलने पर कहा, “अब मेरा घर मेहमानों से भरा हुआ है और मेरे पास उनके लिए पर्याप्त कंबल नहीं हैं। वे पड़ोसी, जिन्होंने कभी मेरे घर का एक गिलास पानी नहीं पिया, अब मेरी मदद कर रहे हैं।”
डायन का घर
अर्चना (Archana Devi) के पिता शिवराम की 2008 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई। परिवार पर बहुत सारा कर्ज था और सावित्री पर तीन छोटे बच्चों पालने की जिम्मेदारी थी। 2017 में उनके छोटे बेटे बुद्धिमान सिंह की सांप काटने से मौत हो गई थी। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने तब भी उन्हें नहीं बख्शा। अर्चना (Archana Devi) के बड़े भाई रोहित कुमार बताते हैं, ” मेरी मां को गांव वाले डायन बताते थे। कहते थे पहले अपनी हस्बैंड को खा गयी, फिर अपने बेटे को, इनको देख ले तो रास्ता बदल लेते थे, हमारी घर को डायन का घर कहा जाता था।”
लॉकडाउन में गई भाई की नौकरी
मार्च 2022 में पहले लॉकडाउन के दौरान नई दिल्ली में कापसहेड़ा बॉर्डर की एक कपड़े की फैक्ट्री में रोहित की नौकरी चली गई। वह बताते हैं कि उनकी मां को अपने बच्चों को पालने के लिए काफी अत्याचार सहना पड़ा। उन्होंने कहा, “हम हर साल बाढ़ का सामना करते हैं। आधा समय हमारे खेत गंगा नदी के पानी भरा रहता है। हम अपनी गाय और भैंस (एक-एक) के दूध पर निर्भर थे। हम इतने साल अपनी मां की वजह से जिंदा रहे। उन्होंने मुझ पर ग्रेजुएशन पूरा करने का दबाव डाला और अब चाहती हैं कि मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करूं।”
मृतक बेटे की आखिरी इच्छा पूरी की
जीवन में इतना सबकुछ झेलने के बाद भी सावित्री देवी आगे बढ़ती रहीं। वह हर हाल में अपने मृतक बेटे की आखिरी इच्छा पूरा करना चाहती थीं। उसने अर्चना (Archana Devi) को अपने सपना पूरा करने देने को कहा था। रोहित ने बताया,” महज एक साल बड़े बुधिमान के साथ क्रिकेट खेलती थी। उसने एक शॉट मारा और गेंद एक निर्माणाधीन कमरे में चली गई, जिसे हमने पिता के मरने के बाद नहीं बनाया। वह हर बार गेंद को मलबे से बाहर निकालने के लिए बल्ले का इस्तेमाल करते था। इस बार उसने अपने हाथों का इस्तेमाल किया और एक कोबरा ने काट लिया।
अस्पताल ले जाते समय मेरी बांहों में उसकी मौत हो गई। उसके अंतिम शब्द थे ‘अर्चना (Archana Devi) को क्रिकेट खिलाओ। बुधिमान की मृत्यु के बाद जब वह वापस अपने स्कूल गई तो उसने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया और मेरी मां ने उसे कभी नहीं रोका।”