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कैमासिन की पहाड़ी (पहाड़) को अवैध रूप से काट कर उसके स्वरूप को बदलने जाने की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। « The News Express

कैमासिन की पहाड़ी (पहाड़) को अवैध रूप से काट कर उसके स्वरूप को बदलने जाने की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए।

 

झांसी में बुन्देलखंड निर्माण मोर्चा के अध्यक्ष भानू सहाय के नेतृत्व में मांग पत्र मण्डल आयुक्त को सौंपा। पत्र में मांग की गई कि कैमासिन की पहाड़ी के नाम से जान जाने वाले पहाड़ का महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व है। उक्त पहाड़ पर माता शीतला देवी का प्राचीन एवं सिद्ध मंदिर बना है जो लाखो भक्तों की आस्था का केंद्र है। जहां इस पहाड़ का धार्मिक महत्व है वही सौंदर्य का प्रतीक भी है।

उक्त पहाड़ का नम्बर राजस्व दस्तावेजो में 1000/ 1386 है जिसका कुल रकवा 55 एकड़ से ज्यादा बताया जाता है। उक्त पहाड़ प्रदेश सरकारी की सम्पत्ति के रूप में दर्ज कागजात है और पहाड़ के आकर, प्रयोजन एवं श्रेणी में परिवर्तन करने का अधिकार किसी को नही यहां तक कि किसी न्यायालय तक को नही है।
उत्तर प्रदेश के राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव के पत्र संख्या आर 5303/5-264ए 2019 दिनांक 7.1.2020 जो प्रदेश के समस्त मण्डल आयुक्तों को लिखा गया में लिखा गया कि हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी वाद में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार ( It is important to notice that the material resources like forests, tanks, ponds, hillocks, mountains etc are nature’s bounty. They maintain delicate ecological balance. They need to be protected for a proper and healthy environment which enables people to enjoy quality life which is essence of guaranteed right under article 21 of the constitution.) ” वन, ताल, तालाब, पहाड़ी, पहाड़ आदि प्राकर्तिक सम्पदा है जो पृथ्वी पर संतुलन बनाये रखते है। इनको बचाये रखना लोगो की जिन्दगी को खुशहाल रखने के लिए आवश्यक है। संविधान का अनुच्छेद 21 इनको बचाये रखने की गारण्टी देता है।”

कैमासिन के पहाड़ की श्रेणी में परिवर्तन किया जाता रहा एवं लम्बे समय तक कटान होती रही पर शासन, प्रशासन से लेकर संबंधित विभाग चिर निद्रा में क्यो रहे ?
बुन्देलखंड क्षेत्र में वारिश कम होने की वजह इन पहाड़ो व जंगलों की अवैध कटान व ताल, तालाब का अतिक्रमण भी है जिसे रोके जाने के लिए सख्त से सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं भारत के संविधान के अनुछेद 21 में वर्णित तथ्यों को दरकिनार कर झाँसी विकास प्राधिकरण एवं खनन विभाग की लापरवाही/ मिली भगत से कैमासिन पहाड़ को 15 से 20 एकड़ तक काट कर उसका स्वरूप बदल दिया गया। पहाड़ की इतनी बड़ी कटान से बाद पहाड़ की भूमि और मुरम कहाँ गई।

आपसे यह भी आग्रह करना चाहते है की मानदंड का उल्लंघन कर कैमासिन के पहाड़ की कटान, श्रेणी परिवर्तन, मोरम की उठान एवं संबंधित विभागों की लापरवाही/ संलिप्तता की वरिष्ठ अधिकारी के तहत समय बद्ध, उच्च स्तरीय जांच करवाकर कृत कार्यवाही एवं जांच आख्या से प्रार्थी को भी अवगत कराने की कृपा की जाए।
यह भी मांग की गई कि लक्ष्मीताल की भूमि की नाप किये बिना ही 50 करोड़ रुपया से ज्यादा खर्च क्यो कर दिया गया। ताल की जगह तलैया कर दी गई है। इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए।
पत्र सौपने वालो में वरूण अग्रवाल, सौवीर सिंह यादव, पं राम प्रकाश पाठक , पं नवल किशोर तिवारी , गिरजा शंकर राय , हनीफ खान, नरेश वर्मा, कपिल वर्मा, प्रेम सपेरे आदि उपस्थित रहे।

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