-27 वर्षीय महिला को टीबी के कारण हो गया था इंफेक्शन
-बैठने और चलने में भी हो रही थी महिला को दिक्कत
-सर्जरी के बाद एक हफ्ते के अंदर ही मिल गया आराम,
झांसी, 4 जनवरी 2023: घुटने के इंफेक्शन से जुड़े एक मुश्किल मामले का सफल इलाज किया गया. डॉक्टर अखिलेश यादव ने 27 वर्षीय एक युवा महिला को नई जिंदगी देने में अहम रोल अदा किया. टीबी की वजह से इस महिला को घुटने की जकड़न की समस्या हो गई थी. जब सब कोशिशें नाकाम रहीं तो घुटने के जोड़ों को बदलने के लिए घुटने की आर्थ्रोप्लास्टी की गई और महिला ठीक से चलने-फिरने लगी.
ये 27 वर्षीय मरीज झाँसी के साकेत नगर की रहने वाली है. वहां उनकी लिगामेंट सर्जरी की गई थी, जिसके कुछ महीनों बाद ही महिला के घुटनों में गंभीर किस्म का संक्रमण हो गया. इसके कारण महिला को दर्द होने लगा. अलग-अलग दवाओं के बावजूद दर्द कम नहीं हुआ और धीरे-धीरे समस्या बढ़ती ही गई. महिला के घुटने के जोड़ों में जकड़न होना शुरू हो गई, जिसके कारण कुछ वक्त बाद उसके घुटने की हड्डियां आपस में जुड़ गईं. महिला अपने घुटने को हिला भी नहीं पा रही थी. न ही ठीक से बैठ पा रही थी, और कुछ मीटर चलने पर ही उनका दर्द बढ़ जाता था. उनको इस तरह के दर्द की परेशानी लगातार होती और हालात ये हो गए कि उन्हें काम करने में भी दिक्कतें होने लगीं. घुटने से इंफेक्शन का इलाज कराने के लिए महिला उरई के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती हुई.
जो इलाज किया गया उसका कोई खास रिजल्ट नहीं आया. जिसके बाद पेशंट को तुरंत मां वैष्णो अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में रेफर कर दिया गया. यहां मरीज की जांच पड़ताल की गई तो सामने आया कि उन्हें टीबी के कारण घुटने में इंफेक्शन हो गया है.
गाजियाबाद के वैशाली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ऑर्थोपेडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर अखिलेश यादव ने कहा, ‘’ घुटने के जिस हिस्से में इंफेक्शन था और जो पार्ट डैमेज हो गया था उसको बदलने के लिए घुटने की आर्थोप्लास्टी की गई. इसके अलावा हड्डियों के मूवमेंट के लिए उन्हें डिफ्यूज किया गया. ये महिला कई जगह इलाज करा चुकी थी, लेकिन उनकी समस्या का निदान नहीं हो पा रहा था. दरअसल, इस तरह के मामलों में इलाज के लिए एडवांस तकनीक की आवश्यकता होती है. लेकिन महिला को ऐसा इलाज कहीं नहीं मिल पाया था, जिससे उनकी उम्मीदें टूट गई थीं. लास्ट ऑप्शन के रूप में महिला हमारे पास पहुंचीं. यहां उनके कई टेस्ट किए गए और फिर बीमारी का पता लगाकर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई और इस तरह उनके घुटने से डैमेज बोन समेत दूसरे प्रभावित हिस्से को हटाया गया.
नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी की प्रक्रिया से दर्द कम हो जाता है और जो जोड़े सही से काम नहीं कर रहे होते हैं उनका मूवमेंट सही हो जाता है. इस सर्जरी में एडवांस उपकरणों की मदद से घुटने में हुए नुकसान का ठीक से पता लगाया जाता है और फिर सर्जरी की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है.
डॉक्टर अखिलेश यादव ने बताया कि ऑपरेशन के बाद मरीज काफी अच्छा महसूस कर रही थीं. वो ठीक से बैठ पा रही थीं, और सर्जरी के दूसरे दिन ही चलने लगी थीं. सर्जरी के एक हफ्ते के अंदर ही महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और उनका दर्द बहुत ही जल्द खत्म हो गया. कुछ हफ्तों के अंदर ही वो लगातार कुछ मिनटों तक चल पाने में सक्षम थीं.