Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-plugin-mojo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
जंतर मंतर पर विश्व शांति के लिए सभा एवं प्रदर्शन रूस-यूक्रेन का युद्ध कब का खत्म हो गया होता यदि अमेरिका ने हथियार न दिए होते « The News Express

जंतर मंतर पर विश्व शांति के लिए सभा एवं प्रदर्शन रूस-यूक्रेन का युद्ध कब का खत्म हो गया होता यदि अमेरिका ने हथियार न दिए होते

नई दिल्ली, 8 मई, 2022ः राष्टीªय सैनिक संस्था की दिल्ली इकाई के द्वारा आज यहां एक शांति सभा आयोजित की गई और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को एक ज्ञापन भी भेजा गया।
राष्टीªय सैनिक संस्था के राष्टीªय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त कर्नल तेजेंद्रपाल त्यागी ने कहा की रूस-युक्रेन का युद्ध कब का खत्म हो गया होता यदि अमेरिका ने युक्रेन को हथियार न दिए होते। अभी हाल में अमेरिका ने अपने रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री को यूक्रेन भेजा। इसलिए नहीं की युद्ध को रुकवाया जाए, बल्कि नये हथियार देने का भरोसा देकर यह सुनिश्चित करने के लिए की कहीं युक्रेन के राष्टीªय अध्यक्ष सरेंडर न कर दें। अगर युद्ध खत्म हो गया तो अमेरिका के हथियारों की बिक्री भी कम हो जायेगी। आश्चर्य तब होता है जब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरस कीव में आते है और उनके होटल के पास रूस मिसाइल दाग देता है और संयुक्त राष्ट्र चुप रहता है। संयुक्त राष्ट्र पूरी तरह से दांत विहीन और निष्क्रिय हो चुका है।


अन्तर्राष्ट्रीय ब्रिक्स फोरम की अध्यक्षा श्रीमती पूर्णिमा आनंद ने ब्रिक्स देशों द्वारा नई उत्पन्न हुई परिस्थितियों में ब्रिक्स देशों के साझा सहयोग का महत्व बताते हुए कहा की सच यह है की अमेरिका और नाटो के देश युक्रेन की सहायता नहीं कर रहे, बल्कि उसे तबाह कर रहे है, ताकि फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश जो अपने आपको तटस्थ कहते थे वो भी नाटो में आने का मन बना ले इस डर से कि कहीं उनका भी यूक्रेन जैसा हाल न हो जाए। उन्होंने कहा की नाटो की सदस्यता पाने के प्रयास में रूस के साथ विद्रोह कर राष्ट्रपति ब्लादिमीर जेलेंस्की यूक्रेन और पूरे विश्व के लिए खतरनाक साबित हो गये हैं। यदि शांति वार्ता न हुई तो पूरा संसार तृतीय विश्वयुद्ध व परमाणु युद्ध में तब्दील हो जाएगा। काफी देशों में तो खाद्य व आर्थिक संकट पैदा हो गया है। रूस के साथ जिन देशों का आयात-निर्यात है, वे सभी देश अमेरिका प्रतिबंधों के कारण संकट में हैं।
राष्टीªय सैनिक संस्था के राष्टीªय राजधानी क्षेत्र के संयोजक श्री राजीव जोली खोसला ने कहा की चीन, नोर्थ कोरिया, रूस, ईरान जैसे बहुत सारे देश ये मानते है कि दुनिया में बड़े-बड़े शक्तिशाली नेता है, परन्तु सम्मानित नहीं हैं। शक्तिशाली और सम्मानित देश केवल भारत ही है। इसलिए नए विश्व आर्डर के नेतृत्व की प्रथम पंक्ति में भारत का होना अनिवार्य है और यही एक उम्मीद की किरण है विश्व शान्ति की, क्योंकि हम ‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ उस समय से कहते चले आ रहे है जब बहुत सारे देशों को ऊँगली पकड़कर चलना भी नहीं आता था।


श्री परमजीत सिंह पम्मा, जावेद खान, श्री वेद प्रकाश व श्री कलीराम तोमर ने अपनी-अपनी भाषा में कहा कि क्रिमिया के लोगों द्वारा किये गये जनमत संग्रह का समर्थन करने के बदले में रूस को आठ साल का प्रतिबंध भुगतना पड़ा, जो अभी अंतिम पड़ाव पर था, लेकिन डोनबास के एलटीआर और डीपीआर में यूक्रेन द्वारा रूसी भाषी लोगों को नरसंहार से बचाने के लिए रुस ने विशेष सैन्य कार्रवाई की, जिसके बदले में अत्यंत कड़े प्रतिबंध लगाकर रूस को एकतरफा आपराधिक देश घोषित करने की कोशिश की गयी, जो ब्रिक्स देशों द्वारा अस्वीकार्य है। रूस पर प्रतिबंध हटाकर दोनों पक्षों का शांतिपूर्वक हल निकाला जाना चाहिए। लोगों ने तख्ती और बैनर लेकर प्रदर्शन किया। इस अवसर पर विश्व शान्ति के लिए कुछ कबूतर भी छोड़े गये।
इस विश्व शांति मार्च में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में सर्वश्री कमल मक्कड़, वेद भूषण, जगदीश सक्सेना, एम.के. दुआ, श्रीमती भारती बघेल, चमन नागर, श्रीमती वीना श्रीवास्तव, रीमा, अनीता तिवारी, पूनम, मनीषा, ब्रिजेश कुमार, अंगद, धर्मेन्द्र, वीरू, धर्मेन्द्र, पिंकी, मधुकर, हितेष शर्मा, डी.के. मेहंदीरता आदि शामिल थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *