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जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके का नाम प्रयोग करते हुए आयोजित समागम केवल राजनितिक हाशिये पर खड़े लोगों का एक प्रोपेगेंडा: परमजीत सिंह सरना « The News Express

जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके का नाम प्रयोग करते हुए आयोजित समागम केवल राजनितिक हाशिये पर खड़े लोगों का एक प्रोपेगेंडा: परमजीत सिंह सरना

सिख पंथ के महान जत्थेदार साहिब की शहादत पर राजनीति करने वाले लोगों को शर्म आनी चाहिए: सरना
नई दिल्ली, 11 जनवरी: सिख पंथ के महान शहीद जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके के नाम का प्रयोग कर दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी द्वारा आयोजित किया गया समागम केवल राजनीतिक हाशिये पर खड़े लोगों द्वारा एक प्रोपेगेंडा था। यह कहना है शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष व दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना का।
सरदार सरना ने कहा कि भाई गुरदेव सिंह काऊंके की शहादत जुल्म और अत्याचार के खिलाफ थी। जिन लोगों ने भाई साहब पर जुल्म किया, उन्हें शहीद किया, उनके बारे में ये लोग न तो अपनी जुबान खोलते हैं और न ही इनकी हिम्मत है। भाई साहिब की शहादत पर राजनीति करने वाले इन लोगों को शर्म आनी चाहिए क्योंकि इन लोगों का एकमात्र एजेंडा भाई काउंके की शहादत को आधार बनाकर अकाली दल पर दबाव बनाते हुए भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर करना है।
उन्होंने कहा कि भाई काउंके का नाम लेकर समागम में शामिल होने वाले लोगों में से बलवंत सिंह रामूवालिया के बारे में सभी जानते हैं कि वह हरकिशन सिंह सुरजीत को अपना पिता कहते थे और फिर सुरजीत सिंह ने गिरगिट जैसे व्यवहार को पहचानते हुए रामूवालिया को किनारे कर दिया था।
उन्होंने मोहकम सिंह से सवाल करते हुए पूछा कि क्या प्रकाश सिंह बादल जत्थेदार साहब के लिए धरने पर नहीं बैठे थे, क्या प्रकाश सिंह बादल जत्थेदार काउंके के भोग पर नहीं गए, जांच कमेटी का गठन भी सरदार बादल ने किया था लेकिन जब कमेटी द्वारा भाई जत्थेदार को शहीद नहीं माना गया तो इसे लागू कैसे किया जा सकता था, इसका जवाब दें? अगर भाई मोहकम सिंह ने आर.टी.आई के तहत 2010 में इस रिपोर्ट को हासिल किया था तो अब तक इसकी बात क्यों नहीं की व पुनः जांच के लिए मांग क्यों नहीं उठाई?
सरदार परमजीत सिंह सरना ने कहा कि केवल एक साजिश के तहत सिख पंथ की नुमाईंदा राजनीतिक जत्थेबंदी शिरोमणि अकाली दल को कमज़ोर करने की तुच्छ नीति है। बलजीत सिंह दादूवाल के किरदार को समूची सिख कौम अच्छी तरह जानती है।
दिल्ली की संगत इन सभी लोगों से भलीभांति परिचित है और संगत ने इस कार्यक्रम में ना जाकर इन लोगों को इनकी असली हैसियत दिखाई है कि कौम के शहीदों का नाम प्रयोग कर संगत को गुमराह नहीं किया जा सकता। इसलिए संगत इनके कुकर्मों का हिसाब इनसे अवश्य लेगी।

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