दिल्ली के सभी पंथक दलों को एकजुट करने के लिए जीके ने शुरू  किया यह अभियान देखिये

सिख विचारधारा का पुरजोर समर्थन करने के लिए ‘दबाव समूह’ बनाने की जरूरत: जीके

नई दिल्ली (21 मार्च 2022) जागो पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज दिल्ली के सभी पंथक दलों को एकजुट करने के उद्देश्य से शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना को एक पत्र सौंपा। दिल्ली कमेटी के अपने साथी सदस्यों के साथ गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब स्थित सरना पार्टी कार्यालय में पहुंचे जीके ने मीडिया को बताया कि शिरोमणी अकाली दल का राजनीतिक आधार बादल परिवार की खराब नीतियों तथा पंथ से पहले परिवार को प्राथमिकता देने के कारण सिकुड़ गया है।नतीजतन इस वजह से सरकार के दरबार में सिखों की अहमियत कम होने का खतरा पैदा होने की आंशका पैदा हो गई है। जो कि भविष्य में सिख हितों के लिए हानिकारक हो सकता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद पंजाब के हितों के लिए राज्यसभा में बोलने का रास्ता भी बंद हो गया है। क्योंकि आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के लिए गैर-पंजाबी और पंजाब के हितों के लिए उदासीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसलिए आज पंथक हलकों में पंजाब और सिखों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सभी पंथक दलों को एक साथ लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसलिए पंथ और पंजाब के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने जागो पार्टी परिवार के साथ अतीत में रचनात्मक चर्चा की है। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि जागो पार्टी को इस मुद्दे पर पंथ की एकता के लिए पहल करनी चाहिए।

 

जीके ने कहा कि पंथ की भलाई के लिए शिरोमणि अकाली दल के अस्तित्व को मजबूती से बनाए रखना हम सभी की प्राथमिक जिम्मेदारी है। क्योंकि हमारे बुजुर्गों ने शिरोमणी अकाली दल के 100 साल लंबे गौरवशाली अस्तित्व को स्थापित करने के लिए अपना खून भी बहाया है।अकाली दल उस अत्याचारी ब्रिटिश शासन के दौरान पैदा हुआ था, जिसने 1857 के ग़दर और स्वतंत्रता की कई अन्य आवाज़ों को आसानी से दबा दिया था। लेकिन यह गौरी सरकार ही थी जिसने पंथ की भावना, समर्पण और शहादतों के सामने घुटने टेके थे। यहां तक ​​कि महात्मा गांधी को भी कहना पड़ा था कि “सिखों ने आजादी की पहली लड़ाई जीत ली है।” जैसा कि हमारा इतिहास रहा है की सिख मिसलों ने अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद भी श्री अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में कौम के मुद्दों पर एकजुटता दिखाई थी। चूंकि पंजाब के काले दौर के समय देश-विदेश में रहने वाले सिखों ने नरसंहार के साथ ही मानवाधिकारों प्रति भेदभाव को अपने शरीर पर झेला था और पंथ अभी भी इस मामले में न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसलिए हमने दिल्ली की सभी पंथक पार्टियों को एक मंच पर लाने का फैसला किया है, ताकि सिख विचारधारा का पुरजोर समर्थन करने वाले ‘दबाव समूह’ का निर्माण करके सिख हितों की सतर्क सुरक्षा संभव हो सके। बड़ी संख्या में पंजाब से बाहर रहने वाले सिखों के हितों की रक्षा के लिए भी इस पंथक एकता की आवश्यकता है। केंद्र और राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारों के अस्तित्व के कारण भी सभी पंथक नेताओं को सरकारों पर वैचारिक दबाव बनाने के लिए इस ‘दबाव समूह’ में शामिल रहना आवश्यक है ताकि सभी को साथ लेकर सिख मुद्दों पर आम सहमति बन सके। जीके की पहल का स्वागत करते हुए सरना ने आश्वासन दिया कि हम पंथक हितों को व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखकर पंथ की एकता के हिमायती हैं। जीके के साथ दिल्ली कमेटी सदस्य परमजीत सिंह राणा, सतनाम सिंह और महिंदर सिंह भी मौजूद थे।

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