Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-plugin-mojo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/twheeenr/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
बहू लाने के लिए पापा ने मेरी शराबी से शादी कराई, शराबी पति ने उंगली काट दी, अश्लील फोटो वायरल किया « The News Express

बहू लाने के लिए पापा ने मेरी शराबी से शादी कराई, शराबी पति ने उंगली काट दी, अश्लील फोटो वायरल किया

 

राजस्थान में एक प्रथा है आटा-साटा। बहू लाने के लिए घर वाले अपनी बेटी देकर बेटे की शादी करा देते हैं। न बेटियों की मर्जी पूछी जाती है, न उनके लायक लड़के को तरजीह दी जाती है। जो मिला, जैसे मिला उससे बेटी की जबरन शादी करा दी जाती है। इसकी वजह से कई महिलाएं आत्महत्या कर चुकी हैं। कई महिलाओं का तलाक हो चुका है।

आज ब्लैकबोर्ड में इन्हीं महिलाओं की कहानी। पहले ये किस्सा पढ़िए…

‘’भाई का घर बसाने के लिए पापा ने जबरन मेरी शादी करा दी। ससुराल पहुंची तो पहले दिन ही पति ने कहा कि वह मुझे पसंद नहीं करता। मेरी शक्ल नहीं देखना चाहता। बहन का घर बसाने के लिए उसने मुझसे शादी की है। कुछ दिन बाद मुझ पर लांछन लगा दिया कि पहले से इसके पेट में बच्चा है।

मेरे साथ मार-पीट की। घर से निकाल दिया। पापा को फोन किया तो कहने लगे- ‘जैसे भी रहना हो वहीं रहो। ससुराल वाले मार देते हैं तो अंतिम संस्कार करने आ जाऊंगा।’

ससुराल में कोई बात नहीं करता था। सास-ससुर देखकर मुंह फेर लेते थे। पति कई दिन कमरे में नहीं आए। एक दिन मैंने पति से वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि वे किसी और को पसंद करते हैं। मैंने कहा फिर मुझसे शादी क्यों की। इस पर उन्होंने कहा- अपनी बहन का घर बसाने और खुद का कुंआरापन उतारने के लिए। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से भैया-भाभी का घर बिखरे, उनके बीच टकराव हो। इसलिए कई दिन चुप रही। सब कुछ सहती रही। एक रात पति ने कहा कि तुम पहले से पेट में बच्चा लेकर आई हो। इस बात से मुझे धक्का लगा। मैंने कहा तुम डॉक्टर से जांच करा लो। इसके बाद वे मुझे पीटने लगे। फिर देवर ने भी मेरे साथ मार-पीट की।

पति ने कहा कि तुम यहां से चली जाओ वरना जान से मार दूंगा। मुझे आधी रात में ही घर से निकाल दिया। मैं पापा को फोन करके पूरी बात बताई, लेकिन उन्होंने मेरी मदद नहीं की। वे कहने लगे कि वहीं रहो, यहां नहीं आना। वे तुम्हें मार देंगे तो हम अर्थी लेने आएंगे।

पूरी रात मैं घर के बाहर बैठी रही। सुबह हुई तो मायके आ गई। मेरे मायके आने के बाद भाभी अपने मायके चली गई। फिर कभी लौटकर यहां नहीं आईं। उनका एक साल का बच्चा भी है, लेकिन उसे हमने देखा नहीं है। भैया, भाभी को लाने गए तो उन लोगों ने मारकर भगा दिया।

उन लोगों ने मेरा अश्लील फोटो-वीडियो वायरल कर दिया है। मैडम बहुत गंदे-गंदे कॉल आते हैं। मेरी जान को भी खतरा है। पुलिस भी मदद नहीं कर रही। बचा लीजिए मुझे।’’ ममता की शादी दो साल पहले आटा-साटा प्रथा के तहत पाली के रहने वाले हनुमान देवासी से हुई थी। बदले में हनुमान की बहन किरण की शादी ममता के भाई त्रिलोक से हुई। अब दोनों परिवार बिखर गया है। न ममता अपने पति के साथ हैं, न उनकी ननद।

आटा-साटा की शिकार कुछ और महिलाओं की कहानी जानने मैं पहुंची जयपुर से करीब 355 किलोमीटर दूर पाली जिले का सरदारपुरा ढाणी…

शाम का वक्त। एक कच्चा मकान। जिसके आगे छप्पर है। 27 साल की रूपी देवी अपने चार साल के बेटे के साथ बैठी हैं। उनकी मां चूल्हे पर खाना पका रही हैं। रूपी के तीन भाई और दो बहनें हैं। बहनों में वह सबसे बड़ी हैं। बड़े भाई की शादी कराने के लिए उनकी शादी आटा साटा प्रथा के तहत करा दी गई। तब वह 17 साल की थीं। अब उनका तलाक हो गया है।

रूपी बताती हैं, ‘10 साल पहले मेरी शादी हुई थी। तब मुझे पता नहीं था कि भाई की शादी कराने के लिए मेरी शादी की जा रही है। ससुराल पहुंची तो दो दिन बाद पता चला कि मेरी ननद की शादी मेरे भाई से हो रही है। इस तरह ननद मेरी भाभी बन गई।

2-3 महीने सब कुछ ठीक रहा। इसके बाद बात-बात पर ताने, गाली-गलौज और मारपीट शुरू हो गई। सारा दिन घर का काम करती। पक्का घर था, जिसमें झाड़ू-पोंछा करती, लेकिन उसमें उठने-बैठने नहीं दिया जाता। घर की एक दीवार पर छप्पर पड़ा था, जिसमें ओट लगाकर रहती थी। इसी बीच एक बेटा भी हो गया।

अपनी तकलीफ मायके में बताना चाहती थी, लेकिन डरती थी कि कहीं इससे भाई का घर ना टूट जाए। इसी तरह चार साल गुजर गए। मैं फिर से मां बनने वाली थी। एक दिन अचानक पति ने पिटाई की और मुझे घर से निकाल दिया। मैंने बहुत मिन्नतें की, लेकिन उन लोगों ने कुछ नहीं सुना।

अगली सुबह भैया आए और मुझे घर ले गए। यहां दूसरा बेटा पैदा हुआ। कुछ दिन बाद ससुराल लौटी, लेकिन सास ने घर में नहीं घुसने दिया। थक हारकर मैंने पंचायत बुलाई। इससे ससुराल में रहने की इजाजत तो मिल गई, लेकिन खर्चा खुद उठाती थी। यहां कोई मुझसे बात नहीं करता और न ही बच्चों को कोई गोद में उठाता। जैसे-तैसे तीन महीने रही, इसके बाद मार-पीट कर मुझे फिर से निकाल दिया गया।’ मैं पूछती हूं भाभी कहां हैं?

जवाब मिलता है- भाई-भाभी की जिंदगी ठीक चल रही थी। भाभी पेट से थीं। हंसी-खुशी मायके गईं, लेकिन लौटी नहीं। कई बार भैया गए। ​पांच बार पंचायत हुई। पंचायत को खिलाने-पिलाने में लाखों रुपए खर्च भी हो गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। भाभी और मेरे पति ने नंबर ब्लॉक कर दिया है।

मैं उनके हाथ जोड़ती हूं, पैर पड़ती हूं, वे लोग मुझे बुला लें। बस ससुराल में रहने की छत दे दें। मेहनत-मजदूरी करके खा लूंगी। समाज के ताने और भाई का घर तोड़ने के आरोप से तो बच ​जाऊंगी।

नीले रंग का घाघरा और गुलाबी ओढ़नी ओढ़े रूपी देवी की मां चोखी देवी कहती हैं, ‘आटा-साटा के चलते उनके दो बच्चों की जिंदगियां बर्बाद हो गईं। बहू जब घर से गई, तब पेट से थी। आठवां महीना चल रहा था। बड़ी खुशी थी कि पोता-पोती आएगा। खबर मिली कि पोता हुआ, लेकिन हमने उसका चेहरा आज तक नहीं देखा।’

मैंने रूपी के पति से भी बात की। उन्होंने कहा, ‘कुछ महीने शादी ठीक चली। रूपी मेरे माता-पिता से बात नहीं करती थी। उनकी इज्जत नहीं करती थी। मैंने समझाने की कोशिश की तो मुझ पर ही लांछन लगा दिया। जब मायके गई तो वहां मेरी बहन को परेशान करने लगी। उसकी भी जिंदगी तबाह कर दी।’

इसके बाद मेरी मुलाकात पाली के वार्ड नंबर-25 में रहने वाले सुमन और उनकी भाभी शोभा से होती है। शोभा बताती हैं, ‘मां ने मामा की शादी कराने की बात कही थी। 6 साल पहले मां की मौत हो गई। मौसी और नानी उन पर दबाव बनाने लगीं। कुछ वक्त बाद मामा की शादी के बदले उन्हें भी मजबूरन शादी करनी पड़ी। पति के साथ मेरी बॉन्डिंग अच्छी थी। जबकि मामा और ननद के बीच अनबन रहती थी। ननद भी प्रेग्नेंट थी और मैं भी। जब ननद का तलाक हुआ तो मजबूरन मुझे भी तलाक लेना पड़ा। मामा मेरी शादी जबरदस्ती पैसे लेकर कहीं और कराने लगे, तब मैं भाग आई और पति के साथ कोर्ट मैरिज कर ली। अब मायके से नाता टूट गया है, कोई मुझसे बात नहीं करता।

शोभा की ननद सुमन कहती हैं, ‘पति शराब पीकर मार-पीट करता था। बेटी हुई तो कहने लगा कि ये मेरा बच्चा नहीं है। अब आप ही बताइए मैडम ऐसे आदमी संग कैसे रहा जाए?’

पाली के ही आशापुरा नगर के रहने वाले पंडित पुरुषोत्तम आटा-साटा का जिक्र होते ही बिलखने लगते हैं। कहते हैं, ‘जो कमाया बीमारी और दहेज पर खर्च कर दिया। पास के ही एक गांव में बेटे की शादी के लिए बेटी का रिश्ता किया था। बहू सिर्फ 5 दिन यहां रही। इसके बाद दहेज और बलात्कार का आरोप लगा दिया।

बेटी मनीषा दो साल ससुराल में रहीं। जब प्रेग्नेंट हो गई, तब उसके पति ने मारपीट की, उसकी उंगली काट दी और फिर घर से निकाल दिया। बेटी की डिलीवरी यहीं हुई। अब दामाद बार-बार पैसे मांगता है। कहता है कि तलाक चाहिए तो 5 लाख रुपए और बेटा मुझे दे दो। वरना ऐसे ही दर-दर भटकती रहेगी।’

सुलह कराने के नाम पर पंच पैसे खा जाते हैं

सरदारपुरा गांव के पूर्व सरपंच मदन सिंह जागरवाल कहते हैं कि आटा-साटा में लड़कियों की मर्जी नहीं चलती। घर वाले छोटी उम्र में ही शादी कर देते हैं। जब वे थोड़ी बड़ी होती हैं तो गौना कर ससुराल विदा कर देते हैं। बाद में जब उनका शोषण होता है तो वे खुलकर विरोध भी नहीं कर पाती हैं।

रिश्ता बिगड़ने पर परिवार और पंच समाजाइश करते हैं, लेकिन कम मामलों में हल निकल पाता है। पंच जो जुर्माना लगाते हैं, वे खुद खा जाते हैं। उससे किसी परिवार का भला नहीं होता। ऐसे अनगिनत मामलों में पंचायत वालों ने पैसे हड़पे हैं।

भाई का रिश्ता बिगड़ता है तो मजबूरन बहन भी अपने पति से रिश्ता तोड़ देती है पाली महिला थाने में आटा-साटा के मामलों की काउंसलिंग करने वाली हिमांशी कहती हैं, ‘अक्सर इस मामले में लड़की को कुर्बानी देनी पड़ती है। अगर किसी कारण भाई-भाभी का रिश्ता बिगड़ता है, तो परिवार अपनी बेटी पर दबाव बनाने लगता है। वह इसे अपना ईगो समझ लेता है। लिहाजा बेटी भी रिश्ता तोड़ लेती है।

इतना ही नहीं, अगर भाई-बहन दोनों का तलाक होता है, तो बहन अपने बच्चों को छोड़कर भाई के बच्चों को ही साथ रखती हैं।

ज्यादातर मामले पुलिस या अदालत तक पहुंच ही नहीं पाते

जयपुर हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट ऋषिराज सिंह शेखावट कहते हैं, ‘आटा-साटा के ज्यादातर मामले कम पढ़े-लिखे परिवारों में हैं। वे आपस में मार-पीट करते हैं। रिश्ते तोड़ लेते हैं। इसके बाद पंचायत होती है। जहां पैसे ले देकर मामला निपटा दिया जाता है। ऐसे मामले पुलिस थाने या अदालत तक पहुंच ही नहीं पाते। इस वजह से पीड़ित पक्ष को इंसाफ नहीं मिल पाता है।

मैंने अलग-अलग थानों में पुलिस से जुड़े लोगों से बात की। यह जानना चाहा कि थाने में आटा-साटा के कितने मामले आते हैं?

पाली जिले के SP गगनदीप सिंगला ने बताया कि कानूनी तौर पर बाल विवाह अपराध है, आटा-साटा नहीं। इस मामले में केस दर्ज भी होता है तो उसमें आटा-साटा का जिक्र नहीं होता। उसमें घरेलू हिंसा और दहेज का मामला दर्ज होता है। पुलिस उसके मुताबिक ही कार्रवाई करती है। इसलिए इस बात का आकलन करना मुश्किल है कि आटा-साटा प्रथा के कितने मामले हर साल आते हैं। साथ ही इसको लेकर कोई कमेटी भी नहीं है, जो इसका सही आंकड़ा उपलब्ध करा पाए।

70% से ज्यादा घरों में आटा-साटा के जरिए शादी हुई है

मैं जिन दो गांवों में गई वहां के 70% से ज्यादा घरों में आटा-साटा के जरिए शादी हुई है। पाली के अलावा राजस्थान के उदयपुर, नागौर, बाड़मेर, सीकर, चितौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, जालौर, प्रतापगढ़ और झालावाड़ जैसे जिलों में बहू लाने के लिए जबरन बेटियों की शादी कर दी जाती है।

ज्यादातर मामलों में बेटियां नाबालिग होती हैं। कम उम्र में ही उनकी शादी दोगुने उम्र के लड़के से कर दी जाती है। इतना ही नहीं पढ़े-लिखे लोग भी अपने बेटे की शादी कराने और मनपसंद बहू लाने के लिए बेटी की शादी आटा-साटा प्रथा के जरिए कर देते हैं। इसकी एक बड़ी वजह राजस्थान में लड़कों और लड़कियों के बीच जेंडर गैप भी है।

आटा-साटा को रोकने के लिए राजस्थान सरकार कानून बनाने की बात कह चुकी है। एक साल पहले महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने बताया था कि सरकार इसको लेकर बेहद गंभीर है। लगातार रिसर्च किया जा रहा है। जहां-जहां ये कुप्रथा चल रही है, वहां स्पेशल टीमों के जरिए इसे रोकने की कोशिश की जा रही है।

 

सौजन्य – भास्कर न्यूज़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *