दिल्ली- भारत तिब्बत समन्वय संघ की एक बैठक का आयोजन मथुरा में किया गया जिसमें भारत तिब्बत समन्वय संघ की राष्ट्रीय बैठक चिंतन 2022 का आयोजन 25-26 जून को केशव धाम में किया जाएगा का निर्णय लिया गया, जिसमें चीन द्वारा कब्जाई गई भूमि को मुक्त कराने के लिए देश भर में व्यापक आंदोलन का शंखनाद होगा।
राष्ट्रीय महामंत्री विजय मान ने कहा कि चीन द्वारा कब्जाई गई भूमि को मुक्त कराने के लिए 1962 में भारतीय संसद ने जो प्रस्ताव पारित किया था, आज संसद उसे भूल चुकी है। उसी प्रस्ताव को याद कराने के लिए संघ द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की नगरी से आदोलन की शुरूआत की जा रही है। कहा कि संकल्प को याद दिलाने के लिए देश के सभी सांसदों को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। बताया कि चीन, तिब्बत और कैलाश मानसरोवर के मसलों पर होने वाली यह राष्ट्रीय बैठक पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के
संरक्षण में होगी, जिसमें केंद्र व राज्य के मंत्रियों के आने की भी संभावना है। और सभी से कहा कि तिब्बती प्रयास करे। परिक्षेत्र की प्राकृतिक संपदा और जल संसाधन के संरक्षण व मानव कल्याण के लिए इस क्षेत्र को विश्व प्राकृतिक संपदा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि कराए जाने का
राष्ट्रीय मंत्री नरेंद्र चौहान ने संगठन के आद्य प्रणेता दलाई लामा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया को भारत रत्न दिए जाने की मांग की। कहा कि जो भी तिब्बती भारत देश में निर्वासित जीवन जी रहे हैं, उन्हें उपस्थित थे।
वृंदावन में केशव धाम पर आयोजित भारत तिब्बत समन्वय संघ की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक की जानकारी देते पदाधिकारी ने बताया किभारत की नागरिकता दी जाए। जब तिब्बत स्वतंत्र हो जाए तो भारत की नागरिकता वापस ले ली जाए। इस अवसर पर संघ की दिल्ली प्रांत अध्यक्ष संध्या सिंह, बज प्रांत मंत्री तेजवीर सिंह, जिलाध्यक्ष राजकुमार खंडेलवाल, सचिन तोमर, अतुल अग्रवाल, शैलेंद्र तोमर आदि