झाँसी के शिवाजी नगर क्षेत्र में एक आदिवासी परिवार खुशहाल अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहा था परिवार में पति-पत्नि, दो बच्चे एवं एक बूढ़ी मां थी। पति-पत्नी मजदूरी कर पूरे परिवार का जीवन यापन कर रहे थे समय का ऐसा कुचक्र चला पहले बच्चों की मां चल बसी उसके बाद सड़क दुर्घटना में पिता ने भी दम तोड़ दिया, पल भर में हंसता खेलता परिवार उजड़ गया।
9 साल का बालक विशेष और 7 साल की बहन माही अपनी नानी कमलिया के साथ बिना किसी रोजगार के तंगी के दिन काट रहे थे कभी कोई पड़ोसी तो कभी कोई भला व्यक्ति भोजन की व्यवस्था कर देता था। 9 साल का विशेष पन्नी बीनकर 70 रुपये प्रतिदिन कमाने लगा जिससे बमुश्किल घर में दो वक्त का खाना बनने लगा, 9 साल के बच्चे ने अपनी बहन को पढ़ाने के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया लंबे समय से राशन देने वाले लोग भी अब मदद के हाथ पीछे खींचने लगे थे।
घटना की जानकारी जब संघर्ष सेवा समिति के संस्थापक डॉ संदीप सरावगी को लगी तो उन्होंने परिवार का सहयोग करने का जिम्मा उठाया संदीप सरावगी ने झोकन बाग स्थित अपने कार्यालय पर बूढ़ी मां और दोनों बच्चों को बुलाकर उनका हालचाल पूछा और 1 माह का राशन प्रदान किया साथ ही दोनों बच्चों की शिक्षा की भी जिम्मेदारी निर्वहन करने का बीड़ा उठाया। संदीप सरावगी ने कहा आगे भी इसी तरह परिवार की हर संभव मदद की जाती रहेगी इसके अतिरिक्त मैं शासन प्रशासन और समाजसेवी संगठनों से भी अपील करता हूं यदि इस तरह का कोई मामला सामने आए तो सहयोग की भावना से जो भी अच्छा कर सकते हैं अवश्य करें। जितना पैसा हम अनावश्यक खर्चों में बर्बाद कर देते हैं उससे कई परिवार पेट भर सकते हैं समाज में रहकर हमें इतना ध्यान रखना चाहिए कि कोई किसी बेबसी में भूखे पेट ना सो रहा हो “बच्चों का भूखा पेट देखकर अनाज भी बुरा मान जाता है”।
इस दौरान संघर्ष सेवा समिति से साकेत गुप्ता,राजू सेन , महेंद्र भदौरिया, महेंद्र रायकवार, सुशांत गुप्ता, बसंत गुप्ता, राकेश अहिरवार, ऐश्वर्य सरावगी, विशाल पिपरिया, विकास पिपरिया, धर्मेंद्र खटीक, शशांक श्रीवास्तव, लखन अहिरवार, संदीप नामदेव, अल्ताफ, सभासद नीरज सिहौतिया, गोपाल सहरिया, दिनेश सहरिया, रामकुमार, मोहन सिंह, सिरनाम सिंह आदि उपस्थित रहे।