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मार्च के अंतिम हफ्ते में विशेषकर राज्य के दक्षिण पश्चिमी इलाके हो सकते है हीट वेव से प्रभाविमार्च के अंतिम हफ्ते में विशेषकर राज्य के दक्षिण पश्चिमी इलाके हो सकते है हीट वेव से प्रभावित « The News Express

मार्च के अंतिम हफ्ते में विशेषकर राज्य के दक्षिण पश्चिमी इलाके हो सकते है हीट वेव से प्रभाविमार्च के अंतिम हफ्ते में विशेषकर राज्य के दक्षिण पश्चिमी इलाके हो सकते है हीट वेव से प्रभावित

बिहार सहित देश के कई हिस्सों में अचानक बढ़े अधिकतम तापमान से असमय गर्मी बढ़ गई है। पिछले दो तीन दिनों से पटना सहित राज्य के अधिकतर शहरों का पारा सामान्य से तीन से चार डिग्री ऊपर है। दोपहर में सूरज के तेवर तल्ख हो रहे हैं। 10-12 दिन पहले तक राज्य में ठंड की स्थिति थी। अचानक पारे में छह से आठ डिग्री तक की क्रमिक बढ़ोतरी के बाद राज्य में गर्मी बढ़ी है। मौसम की स्थिति को देखते हुए अनुमान है कि बिहार में मार्च में ही कुछ जगहों पर हीट वेव (लू) जैसे हालात बन सकते हैं। मार्च के अंतिम हफ्ते में विशेषकर राज्य के दक्षिण पश्चिमी इलाके इससे प्रभावित होंगे।

क्या है हीट वेव

जलवायु विशेषज्ञ और सीयूएसबी के संकायाध्यक्ष डॉ. प्रधान पार्थ सारथी बताते हैं कि हीट वेव यानी गर्म हवाओं का अत्यधिक प्रभाव बनना है। मैदानी इलाकों में सूरज के तल्ख तेवर के बीच गर्मियों में गर्म पछुआ हवाओं का प्रवाह बढ़ जाता है। इससे अधिकतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर चला जाता है।

अगर यह सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर चला जाय तो प्रचंड हीट वेव की स्थिति बनती है। फरवरी में अचानक बढ़े तापमान और मार्च में संभावित हीट वेव को मौसमविद जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव का संकेत मान रहे हैं। मौसम विभाग ने इसे लेकर सोमवार को पूर्वानुमान भी जारी किया है।

पश्चिमी विक्षोभ की घटती संख्या से बिगड़ा मौसम

मौसम विभाग के अध्ययन में खुलासा हुआ है कि बिहार में पश्चिमी विक्षोभों की संख्या वर्ष 2020 व 2021 में जनवरी में पांच थी। पर 2022 और 2023 में तीन-तीन ही। इससे जनवरी व फरवरी में वर्षा नगण्य रही। यही वजह है कि राज्य के अधिकतर भाग में फरवरी के आरंभ से ही तापमान सामान्य से ऊपर है।

बिहार सहित नौ राज्यों में भीषण आपदा का खतरा

गंभीर जलवायु खतरों वाले दुनिया के शीर्ष 50 क्षेत्रों में बिहार समेत भारत के नौ राज्य शामिल हैं। अगर सिर्फ भारत की बात करें तो बिहार सबसे शीर्ष पर है। जलवायु परिवर्तन के कारण बिहार में बाढ़ और भीषण गर्मी (लू) जैसी आपदा का खतरा बढ़ गया है।

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