मिलिए एक ऐसे आर्टिस्ट से जो वेस्ट चीजों से कैसे बनाते है गणेश जी की पेंटिंग,कहाँ से आया ये हुनर

भगवान हुनर सबको नहीं देता, लेकिन जिसको हुनर फरमाता है वह ईश्वर का नेक बंदा होता है। जी हां इसी कहावत को सच कर दिखाया है दिल्ली के राजेश कुमार ने जो लगातार कई बर्षों से वेस्ट चीजों से भगवान गणेशजी की पेंटिंग बना रहे हैं। वह लगातार पुरानी कबाड़ की चीजों जैसे स्ट्रॉ पाइप, दवाइयों के रैपर, वाईक की चेन, शादी के कार्ड, और बिजली के तार से पेंटिंग बनाकर जहां पर्यावरण संरक्षण की पहल कर रहे हैं तो वही अपना हुनर भी दिखा रहे हैं खास बात यह है कि लोगों को उनका यह काम अच्छा खासा पसंद भी आ रहा है।
जब हमारी टीम ने राजेश कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि लगभग 1981 के आसपास मैं स्कैच बनाता था इसकी प्रेरणा मुझे कक्षा 7- 8 की कला की क्लास से मिली। तब मैं पेंसिल से भारत के बड़े बड़े महानुभावों की तस्वीर बनाया करता था।

जब मेरी तस्वीरों को पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ साहब सिंह वर्मा जी ने देखा तो उन्होंने मुझे प्रेरणा दी कि तुम गणेशजी की पेंटिंग पर काम करो बहुत अच्छा रिजल्ट मिलेगा। उसके बाद मैने देखा हम शहरी लोग जिन चीजों को यूज करके फेक देते है उन्हीं चीजों को हमारे गाँव में हमारी माताएं बेकार चीजों को दोबारा से नया बनाती है जैसे कि रद्दी कागज को गलाकर टोकरी बनाना आदि को देखा तो मुझे लगा कि जब हमारी माताएं बहनें कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं वेस्ट चीजों का उपयोग कर कुछ नया बनाऊ उसके बाद मैंने आज तक 200 से ज्यादा पेटिंग कबाड़ से बनाई है जो लोगों को खूब पसंद आई बस उन्ही की प्रेरणा से आज मैं इस मुकाम पर हूँ।

राजेश कुमार को अभी तक कई ऑवर्ड से नवाजा जा चुका है। जिसमें कलाश्री ऑवर्ड महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

वेस्ट चीजों को यूज करके नया आकार देना, पर्यावरण संरक्षण में राजेश कुमार का बहुत बड़ा योगदान है। और हमें भी इनसे कुछ सीख लेनी चाहिए जिससे पर्यावरण संरक्षण में हम भी भागीदारी निभा सकें।

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