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मेडिकल कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए भी मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत डिग्री (MBBS) आवश्यक होने के नियम कड़ाई से हों लागू: AIPCMA « The News Express

मेडिकल कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए भी मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत डिग्री (MBBS) आवश्यक होने के नियम कड़ाई से हों लागू: AIPCMA

मेडिकल कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए भी मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत डिग्री (MBBS) आवश्यक होने के नियम कड़ाई से हों लागू: AIPCMA

AIPCMA ने की NMC द्वारा जारी नए नियमों की सराहना, चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि में सहायक होंगे ये नियम, किन्तु अभी और सुधार की मांग

AIPCMA पिछले सात वर्षों से Non MBBS शिक्षकों की भर्ती के प्रावधान को हटाने की करता रहा है मांग

इन प्रावधानों का दुरूपयोग होने के कारण ही चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कार्यरत अनेक अन्य संगठनों द्वारा भी यही मांग की जाती रही है

Non MBBS शिक्षकों का मेडिकल कॉलेजों में भर्ती का प्रावधान यद्यपि चिकित्सकों की कमी के चलते किया गया था किंतु चिकित्सक शिक्षकों की संख्या अब पर्याप्त मात्रा में बढ़ चुकी है

नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा स्थापित एनएमसी जो चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र हेतु एक मानक संस्था है, ने MBBS के पाठ्यक्रम में CBME (competency based medical education) को लागू किया है जिसमे प्रारम्भ से ही मेडिकल विद्यार्थी को क्लीनिकल अनुभवों से परिचित करवाया जाता है। वर्तमान में चिकित्सक शिक्षकों की उपलब्ध संख्या को देखते हुए एवं CBME पाठ्यक्रम को लागू करने के उद्देश्य से एनएमसी ने non medical शिक्षकों की भर्ती की छूट (चिकित्सक शिक्षकों की अनुपलब्धता की स्थिति में ही) को तीन विषयों एनाटोमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री में 15% कर दिया है जबकि फार्माकोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी में इस छूट को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है।

मेडिकल एवं नॉन मेडिकल शिक्षकों के बीच उल्लेखनीय असमानता यह है कि नॉन मेडिकल शिक्षक जिन्होंने मरीजो के साथ न व्यवहार किया, न उपचार और न परीक्षण जबकि मेडिकल शिक्षक अपने विद्यार्थी काल से ही क्लीनिकल परीक्षण एवं मरीज के साथ व्यवहार, उपचार हेतु प्रशिक्षित होना प्रारम्भ हो जाते हैं।

इसके अलावा किसी भी प्रोफेशनल पाठ्यक्रम की guideline में उसी विषय की मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत डिग्री के बिना उसके संस्थानों में पढ़ाने की अनुमति नही है क्योंकि प्रोफेशनल उत्तरदायित्व और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।

जहां तक non medical शिक्षकों की आजीविका का प्रश्न है तो वे अन्य एमएससी पीएचडी डिग्री युक्त अभ्यर्थियों के ही समान अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं, एवं डिग्री कॉलेजो में अध्यापन, शोध कार्य इत्यादि में कार्य कर सकते हैं।

AIPCMA (ऑल इंडिया प्री एंड पारा क्लिनिकल मेडिकोस एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ अभिनव पुरोहित ने बताया कि अन्य प्रोफेशनल संस्थानों की डिग्री जैसे – LLB, B tech, Ayurveda, Homeopathy, Veterinary, यहाँ तक कि nursing और pharmacy संस्थानों की ही भांति मेडिकल कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए भी मान्यता प्राप्त एवं पंजीकृत डिग्री (MBBS) आवश्यक होने के नियम कड़ाई से लागू होने चाहिए।

AIPCMA के उपाध्यक्ष डॉ सी एम कमाल ने बताया कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हमारा उद्देश्य चिकित्सक शिक्षको की योग्यता निर्धारण नियमों पर प्रकाश डालना है और नॉन मेडिकल शिक्षकों की भर्ती को पूर्णतः बंद करने की मांग करना है। उपलब्धता में कमी को गुणवत्ता से समझौता करके पूरा नहीं किया जा सकता। AIPCMA एनएमसी द्वारा नॉन मेडिकल शिक्षकों की भर्ती में छूट के प्रतिशत को घटाने के लिए एनएमसी का आभार व्यक्त करती है और इसे एक सकारात्मक दिशा में किया गया प्रयास मानती है।

AIPCMA के ही सक्रिय सदस्य डॉ विनोद छीपा ने बताया कि दिनांक 17 सितंबर रविवार को AIPCMA द्वारा एक आभार प्रदर्शन का कार्यक्रम जंतर मंतर पर आयोजित किया गया है जिसमें देश भर से चिकित्सक भाग लेंगे एवं आभार प्रदर्शन के साथ साथ इस छूट के प्रावधान को पूर्णतया हटाने की मांग भी की जाएगी।

इस मौके पर प्रेस वार्ता के दौरान AIPCMA के अध्यक्ष डॉ अभिनव पुरोहित समेत उपाध्यक्ष डॉ सी एम कमाल, डॉ. रजनीश कनोजिया, व डॉ. विनोद छीपा, मृणमोई चटर्जी मौजूद रहे।

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