शनिवार को सूर्या फाउण्डेशन के केंद्रीय कार्यालय (बी-3/330, पश्चिम विहार, नई दिल्ली) में सूर्या फाउण्डेशन के शिक्षा विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में मुख्य वक्ता प्रो. महेशचंद्र पंत जी – सदस्य (राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020), कुलाधिपति (एन.आई.ई.पी.ए), सूर्या फाउण्डेशन के अधिकृत कार्यकर्ता तथा अलग-अलग संस्थाओं से आये शिक्षाविद और प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।
प्रो. एच.एल. शर्मा ने प्रो. महेशचंद्र पंत जी का अभिनन्दन करते हुए सूर्या फाउण्डेशन के चेयरमैन पद्मश्री जयप्रकाश जी के मार्गदर्शन में एक कक्षा-एक किताब परियोजना की सन 1999 से आजतक की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि नीति और एन.सी.एफ. बनवाने वाले शिक्षाविद के श्रीमुख से एन.इ.पी. और एन.सी.एफ. की बातें सुनेंगे। सूर्य भारती प्रथम नवंबर 2000 में प्रकाशित हुई। इसी श्रृंखला में द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम बनी। सरकारी कमिटियों के संदर्भ में निरंतर इनमें सुधार होते रहे हैं। समेकित पाठ्यचर्या के अंतर्गत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम सन 2000 से ही चले। स्कूल के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूल भारती आगेनाइजेशन (एसबीओ) का गठन किया गया। जिसके अंतर्गत आज 300 से अधिक विद्यालय हैं। एसबीओ के अंतर्गत बच्चों, माता-पिता, अभिभावकों तथा आचार्यों के लिए साधना स्थली झिंझोली में कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। डाॅ. शर्मा ने मुख्य वक्ता महोदय के मागदर्शन की अपेक्षा की।
यह सौभाग्य है कि आप सबने जो नीति बनाई है, उसका क्रियान्वयन (एन.सी.एफ) बनवा रहे हैं। प्रो. के कस्तूरीरंजन दोनों के ही अध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में आपने कहा कि वर्तमान में यह एक माॅडल है। एक ही किताब में शिक्षा जगत के हितकारकों, बच्चे, माता-पिता, अध्यक्ष तथा प्रबंधकों के लिए पठन-पाठन सामग्री है। वर्तमान में यही एक माॅडल है। डाॅ. शर्मा ने कहा कि लर्निंग आउटकम्स के अनुसार किताबों की रचना में मास्टरी लर्निंग, मिनीमम लेवल आफ लर्निंग, कन्स्ट्रक्टिविज़्म तथा काॅनसेप्ट मैपिंग हैं।