बिहार में शराबबंदी है, लेकिन शराब का खेल जारी है। पड़ोसी राज्यों से शराब की खेप आ रही है। तस्करों के नेटवर्क के साथ शराब के कारोबारियों का जाल भी बढ़ गया है। मौजूदा समय में बिहार में अलग अलग प्रोजेक्ट पर लगी निर्माण एजेंसियों के लिए शराबबंदी से मुश्किल बढ़ गई है। पुलिस की छापेमारी और पकड़े जा रहे शराबियों को लेकर अब एजेंसियों ने भी शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाने वाला बोर्ड लगा दिया है। अब सवाल है कि शराबबंदी वाले बिहार में शराब कौन पी रहा है।
आसानी से हाे रही तस्करी
बिहार में तस्करों का नेटवर्क एक्टिव है। वह आसानी से शराब की खेप लेकर बिहार की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। पुलिस के आंकड़ाें की बात करें तो बिहार में जून माह में 2020 में 2,34,785 लीटर शराब बरामद हुई है । जबकि 2021 में जून माह में 4,77,125 लीटर शराब पकड़ी गई है। वर्ष 2022 में जून माह में 2,83,141 लीटर शराब बरामद की गई है। पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों की बात करें ताे मई 2020 में 78,639 लीटर और मई 2021 में 2,61,529 लीटर जबकि मई 2022 में 2,35,854 लीटर शराब की बरामदगी हुई है। पुलिस के आंकड़ों से साफ हो रहा है कि शराबबंदी वाले राज्य में शराब की खेप आ रही है।
बाहर से आने वाली गाड़ियों से खतरा
बिहार में बाहर से आने वाली गाड़ियों से शराब का खतरा है। बिहार में बाहर से सीमेंट गिट्टी या फिर अन्य सामान लेकर आने वाले गाड़ियों से शराब तस्करी होने का खतरा होता है। वर्ष 2016 में शराबबंदी हुई है और उसके बाद से ही ट्रक और डीसीएम से शराब की खेप पकड़ी जा रही हैं। बिहार में निर्माण कार्य करा रहीं एजेंसियों के सामने सबसे अधिक समस्या है। पटना में सड़क निर्माण करा रही एजेंसी से जुड़े रमेश बताते हैं कि बाहर से आने वाले चालकों को कभी कभी नहीं पता होता है कि शराबबंदी है। ऐसे में वह गलती नहीं करें इसके लिए एजेंसी पूरी तरह से गंभीर रहती है। उन्हें बताया जाता है कि शराब पीने की गलती कभी नहीं करें। अक्सर चालक शराब पी लेते हैं, इस कारण से अलर्ट रहना होता है।
6 साल बाद भी शराब का खेल
बिहार में शराब बंदी हुए 6 साल हो चुके हैं लेकिन आए दिन शराब से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। कई लोगों की ज़हरीली शराब पीने से मौतें भी हो चुकी हैं। सरकार और प्रशासन चाहें जितना दावा करे लेकिन तस्करों की सक्रियता से आसानी से शराब मिल रही है। इस कारण से ही बिहार में शराब बंदी के बावजूद निर्माण एजेंसियों को जगह जगह लिखना पड़ता है कि शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाएं।
बिहार में शराबबंदी कानून को बाहर के चालकों को बताकर एजेंसी भी अपने को बचाना चाहती है। बिहार में जहां भी निर्माण कार्य चल रहा है वहां ऐसे ही बोर्ड लगाए जा रहे हैं। अब सवाल यही है कि जब पूर्ण शराबबंदी है तो लोग शराब पीकर बॉर्डर के अंदर कैसे प्रवेश कर रहे हैं, बिहार में चल रहे शराब और शराबियों के नेटवर्क को क्यों तोड़ा नहीं जा रहा है।