श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरे विधान परिषद सदस्य और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने शनिवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से लखनऊ में पार्टी दफ्तर में मुलाकात की. मौर्य दोपहर 12 बजे के आसपास सपा दफ्तर पहुंचे और पार्टी प्रमुख के साथ करीब पौन घंटे तक बैठक की. बैठक के बाद मौर्य ने बताया कि उनकी यह बैठक जाति आधारित जनगणना की मुहिम को तेज करने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर थी. यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक में श्रीरामचरितमानस पर उनकी विवादित टिप्पणी के बारे में भी कोई चर्चा हुई, मौर्य ने कहा, ‘सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष की हैसियत से सदन में इसका जवाब देंगे. इसके अलावा, वह प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा शुक्रवार को राजस्थान में सनातन धर्म को देश का राष्ट्रीय धर्म कहे जाने को लेकर भी पार्टी का पक्ष रखेंगे.’ पूर्व कैबिनेट मंत्री ने आरोप लगाया, ‘बीजेपी की सरकार दलितों, पिछड़ों और वंचितों का आरक्षण खत्म करती जा रही है. ऐसे में सपा जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर नई रणनीति के साथ मैदान में उतरेगी.’
अपने बयान पर कायम हैं स्वामी प्रसाद
स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले रविवार को एक बयान में श्रीरामचरित मानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए इसे महिलाओं तथा पिछड़ों के प्रति अपमानजक करार दिया था और इस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. उनके इस बयान से खासा विवाद उत्पन्न हो गया था. संत समाज और हिंदूवादी संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया था. मामले में मौर्य के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है. वहीं, मौर्य का कहना है कि वह अपने बयान पर कायम हैं और किसी से माफी नहीं मांगेंगे.
निजी राय बताकर पल्ला झाड़ चुकी है सपा
सपा ने मौर्य के इस बयान को उनकी निजी राय करार देते हुए उससे पल्ला झाड़ लिया था. विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक और विधायक मनोज पांडेय समेत कई सपा विधायकों ने भी मौर्य के बयान को गलत बताया था और कहा था कि वे इस विवाद के बाद उपजी स्थिति के बारे में अखिलेश को बताएंगे. हालांकि, मौर्य का कहना है कि उन्होंने महिलाओं और दबे-कुचले तबकों का अपमान करने वाली चौपाई पर टिप्पणी की थी और वह आज भी अपने बयान पर कायम हैं.