– राजनीतिक ऊंचाईं हासिल करने के लिए बाज बनो धोखेबाज नहीं : शंटी
– पंजाब सरकार से की अपील, सिखों के धार्मिक मामले में न करें हस्तक्षेप
नई दिल्ली, (2 जुलाई): श्री हरमंदिर साहिब से गुरबाणी के सीधे प्रसारण को फ्री करने और सभी चैनलों को इसका प्रसारण करने का अधिकार मिलने को लेकर उठी विवाद की आंच अब राजधानी दिल्ली तक पहुंच गई है। इस मामले में रविवार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बीबी जागीर कौर श्री दरबार साहिब से गुरबाणी प्रसारण को लेकर नई-नई सलाह दे रही हैं। बार-बार गुरबाणी प्रसारण मामले को बिजनेस से जोड़कर देख रही हैं। लेकिन शायद वह यह भूल गईं हैं कि जब वह एसजीपीसी की अध्यक्ष हुआ करती थी तब उन्होंने ही एक निजी चैनल को गुरबाणी का सीधा प्रसारण करने की इजाजत दी थी। शंटी ने इस दौरान कई दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि उन्होंने जो प्रसारण के लिए समझौता किया था उसमें साफ लिखा है कि इस दौरान जो विज्ञापन से धन प्राप्त होगा उसका 10 फीसदी का लाभ एसजीपीसी को भी जाएगा। ऐसे में उन्हें यह कहने का कोई हक नहीं बनता है कि प्रसारण पर किसी एक संस्थान व परिवार का अधिकार है। शंटी ने कहा कि अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि सिखों के गौरवशाली इतिहास में महिलाओं का अहम स्थान रहा है लेकिन बीबी जागीर कौर ने महिलाओं के इतिहास से कुछ नहीं सीखा। इस दौरान दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के सदस्य परमजीत सिंह खुराना, सुखविंदर सिंह बब्बर, गुरप्रीत सिंह खन्ना, इंदरप्रीत सिंह कोचर, पूर्व सदस्य सुरिंदर सिंह कैरों भी मौजूद रहे।
शंटी ने कहा कि शिरोमणी अकाली दल (शिअद) में शामिल होकर कौर ने धर्म और राजनीति के क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल किया है, अब वह उसी अकाली दल को बदनाम कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्ष 2000 में बीबी को नीली सफारी कार कहां से मिली? क्या यह गाड़ी उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए उपहार के रूप में नहीं दी गई थी? उन्होंने बताया कि जब तक आप पद पर आसीन थीं तब तक तो सब सही था, अब जब आपको एसजीपीसी व पंथ ने नकार दिया तो आपकी जमीर जाग गई। यह जमीर पहले क्यों सोई हुई थी। उन्होंने जागीर कौर और पंजाब सरकार को सलाह देते हुए कहा कि आप सिखों के धार्मिक मसलों पर हस्तक्षेप करना छोड़ दो। इसके लिए एसजीपीसी है।
शंटी ने पंजाब के मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि आपको राजनीति में राजनीतिक जगह तलाशने के लिए दूसरे हथकंडे अपनाने चाहिए और सिखों के धार्मिक मामलों में दखल देने से बचना चाहिए। सिख कभी भी अपने धर्म में राजनीतिक हस्तक्षेप पसंद नहीं करते। उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से भी गुरबाणी प्रसारण के मुद्दे पर तकनीकी विशेषज्ञों से सलाह लेने की अपील की है। वहीं दिल्ली कमेटी के सदस्य सुखविंदर सिंह बब्बर ने कहा कि पहले दिल्ली कमेटी, फिर हरियाणा कमेटी और अब पंजाब सरकार एसजीपीसी के कामों में दखल देने की तैयारी कर रही है। उन्होंने पंजाब सरकार से कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वह सिख पंथ की परंपराओं का मजाक उड़ा रहे हैं जिसे सिख किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।