बिहार के शिक्षा विभाग का सिस्टम इन दिनों बदला-बदला सा दिख रहा है। पहले स्कूलों में प्रभारियों और शिक्षकों के बीच गाहे बगाहे तनाव की खबरें आती रहती थीं। कई बार स्कूलों में बच्चों के घरवाले बवाल काटते थे कि यहां तो पढ़ाई ही नहीं होती। कई जगहों से खबरें आती थीं कि फलां स्कूलों में टीचर गायब रहते हैं। कई दफे तो इसके वीडियो तक वायरल हो जाते थे कि मास्टर जी पढ़ाने के बदले कुर्सी पर सो रहे हैं। लेकिन अब वही तस्वीर बदल गई है। स्कूलों में मास्टर जी मुस्तैद नजर आते हैं, बच्चे भी अब स्कूलों में आने से परहेज नहीं कर रहे। पूरी शैक्षणिक बगिया अचानक से हरी-भरी लगने लगी है। लोगों का कहना है कि केके पाठक नाम के आईएएस ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद काफी कम थी। अब इन्हीं सब बातों को एक पूर्व सीएम ने अपने ध्यान में ले लिया और केके पाठक से बड़ी मांग कर दी है।
ये मांग बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने की है। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि ‘वैसे तो के के पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहे हैं। पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार हो जाएगा। मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगें।’
यानी पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का कहना है कि जो भी सरकारी कर्मचारी (चपरासी से अफसर, विधायक से मंत्री तक) सरकार से वेतन उठाता है, उसके लिए ये सुनिश्चित किया जाए कि उनके बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगे।