मामला कथित पत्र को लेकर सिरसा के खिलाफ हुई एफआईआर का
नई दिल्ली (24 अगस्त 2022) दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट के द्वारा मंगलवार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा तथा अन्यों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। इस मामले के शिकायतकर्ता तथा दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने आज मीडिया को संबोधित करते हुए दिल्ली पुलिस से सिरसा का तुरंत लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने की मांग की है। साथ ही सिरसा के खिलाफ इस मामले में जल्द ही आपराधिक मानहानि का केस दायर करने का भी ऐलान किया है। जीके ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अपील की है कि गुरु हरिक्रिशन पब्लिक स्कूल, हरी नगर की जायदाद पर नकली कागजातों से कब्जा करने की साज़िश रचने वाले के खिलाफ जांच के लिए तुरंत कमेटी बनाई जाएं, जो कि आपके द्वारा 5 मार्च 2020 को गई बैठक के समय से प्रस्तावित है। जीके ने बताया कि सिरसा ने 23 फरवरी 2020 को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया था कि गुरु हरिक्रिशन पब्लिक स्कूल, हरी नगर का मालिकाना हक़ मैंने दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह हित को सौंपने की मंशा से 4 अप्रैल 2016 को उन्हें एक कथित पत्र जारी किया था। लेकिन जब हमारी तरफ से 24 फरवरी 2022 को मीडिया के माध्यम से डाक्टर परमिंदर पाल सिंह ने इस कथित पत्र के नंबर, फ़ोंट स्टाइल, फ़ोंट साइज़ तथा मेरे हस्ताक्षर पर सवाल उठा दिए तो तुरंत उसी शाम को सिरसा ने थाना नार्थ एवेन्यू में अपनी तरफ से शिकायत दें दी कि यह कथित पत्र जाली है। क्योंकि तब तक सिरसा को समझ आ गया था कि उसकी जालसाजी पकड़ में आ गई है।
जीके ने खुलासा किया कि यह पत्र हित के द्वारा स्कूल पर अपना मालिकाना हक साबित करने के लिए तीस हजारी कोर्ट में दायर किए गए सिविल सूट में बतौर सबूत नत्थी किया गया था। 24 फरवरी को सिरसा इस केस में तत्कालीन महासचिव हरमीत सिंह कालका के साथ पेश भी हुए थे और कोर्ट से इस केस में जवाब दाखिल करने के लिए समय भी मांगा था। लेकिन बाद में हित के साथ अंदरखाते मामले को निपटाते हुए सिरसा ने चुपचाप हित को केस वापस लेने दिया। जीके ने हैरानी जताई कि सिरसा एक तरफ 24 फरवरी को पुलिस के पास शिकायत देकर इस कथित पत्र को जाली बता रहे है, पर दुसरी तरफ कोर्ट में इस बारे मुंह नहीं खोलते और ना हीं हित के खिलाफ कोर्ट में अदालत के साथ जालसाजी करने का कोर्ट में केस दायर करते है। जीके ने कोर्ट के आदेश का एक हिस्सा पढ़ते हुए बताया कि हित ने पुलिस को ब्यान दिया है कि यह कथित पत्र उन्हें जीके ने नहीं दिया है। जीके ने दावा किया कि इससे पहले श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के सामने हित ने बताया था कि यह कथित पत्र उन्हें सिरसा ने दिया था।
जीके ने सवाल पूछा कि क्यों ना कहा जाए कि सिरसा और हित का इस 500 करोड़ रुपए की कीमत की स्कूल की जायदाद पर कब्जा करने का फिक्स मैच था और साथ ही उसकी जिम्मेदारी मेरे सिर पर डालने की सुनियोजित साजिश थी ? जीके ने कहा कि सिरसा चुनाव के समय में बार-बार कहते थे कि सरकारी तख्त के आगे सिर नहीं झुकाएंगे, लेकिन मुझे बदनाम करने के लिए मेरे खिलाफ अकाली दल और भाजपा गठबंधन ने पुरी ताकत लगाईं थी। मुझे तो इस स्कूल के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब से भी अभी तक इंसाफ नहीं मिला है। लेकिन न्यायालय ने मुझे बड़ी राहत दी है। क्योंकि अपने आदेश में कोर्ट ने माना है कि प्रथम दृष्टया यह जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात का मामला लगता है। इसलिए इस मामले में वैज्ञानिक जांच जरूरी है। इस मौके जीके के वकील नगिंदर बेनीपाल, दिल्ली कमेटी सदस्य सतनाम सिंह, महिंदर सिंह, पूर्व कमेटी सदस्य हरजीत सिंह जीके, गुरविंदर पाल सिंह, जागो पार्टी के नेता जतिंदर सिंह साहनी, परमजीत सिंह मक्कड़, जतिंदर सिंह बॉबी तथा सुखमन सिंह साहनी मौजूद थे।