2030 तक भारत विश्व का हरित हाइड्रोजन हब होगा: एनएसईएफआई के अध्यक्ष श्री प्रणव मेहता

# नवीकरणीय ऊर्जा एक्सपो (आरईआई) में एनएसईएफआई द्वारा आयोजित ग्लोबल ग्रीन हाइड्रोजन सम्मेलन में विशेषज्ञों ने अपनी राय व्‍यक्‍त की

30 सितंबर, दिल्ली :भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संघ (एनएसईएफआई) और इन्‍फॉर्मा मार्केट्स द्वारा संयुक्त रूप से वैश्विक हरित ग्लोबल हाइड्रोजन सम्मेलन का आयोजन किया गया। नवीकरणीय ऊर्जा एक्सपो में उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर के माननीय सांसद डॉ. महेश शर्मा जी ने इस सत्र का उद्घाटन किया।

एनएसईएफआई के अध्यक्ष श्री प्रणव आर. मेहता ने कहा , “74वें स्वतंत्रता दिवस पर माननीय प्रधान मंत्री की घोषणा का अनुपालन करते हुए, भारत पहले ही 17 फरवरी, 2022 को हरित हाइड्रोजन नीति की घोषणा कर चुका है। कई सार्वजनिक उपक्रमों और प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट्स ने अपनी बड़ी हरित ऊर्जा निवेश योजनाओं की घोषणा की है। हालाँकि, विश्‍व भर में यह माना जाता है कि हरित हाइड्रोजन लगभग $5/कि.ग्रा. की दर से आज महंगी है और विश्‍व भर में लागत लगभग $1/कि.ग्रा. तक लाने का प्रयास किया जा रहा है। यह कोई मामूली काम नहीं है। इसके लिए प्रमुख संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू), निजी क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थानों और एनएसईएफआई जैसे उद्योग निकायों द्वारा भारी अनुसंधान और विकास और प्रदर्शन प्रयासों की जरूरत है।

माननीय सांसद डॉ महेश शर्मा जी ने मुख्य भाषण देते हुए कहा, “भारत के माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी और सक्षम नेतृत्व में अपने ऊर्जा संक्रमण विकास के लिए भारत को वैश्विक मान्यता मिली है। आज भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर उत्सव मना रहा है। भारत संभावनाओं से भरे परिणामों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रहा है। इस समय जब विश्व में भारत के पास चौथी सबसे बड़ी संस्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, हम भारत को विश्व में हरित हाइड्रोजन हब बनाने जा रहे हैं।’’

अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा, “हमारा महत्वाकांक्षी लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करना है। हाल ही में हमने 150 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी जलविद्युत परियोजनाअें सहित) की उपलब्धि हासिल की है और हम अपने लक्ष्‍य से आगे पेरिस समझौते के तहत गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40% संस्थापित विद्युत उत्‍पादन क्षमता का अपना राष्‍ट्रीय निर्धारित योगदन का लक्ष्य हासिल करने वाले एकमात्र जी20 राष्ट्र हैं।
इसके अलावा उन्होंने कहा, “नोएडा के पास ऊर्जा माँग और उत्पादन के संदर्भ में विशाल क्षमता है और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी जेवर में एक ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा विकसित करने की कल्पना की है, जो एशिया की सबसे बड़ी विमानन सुविधा होगी। हम इस निमित्‍त उद्योगों को आमंत्रित करना चाहते हैं।”

यूएसए के ऊर्जा विभाग (डीओई) की हाइड्रोजन और फ्यूल सेल टेक्नोलॉजीज की निदेशिका सुश्री सुनीता सत्यपाल, बीएसडब्ल्यू (जर्मन सोलर एसोसिएशन) के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रबंध निदेशक श्री डेविड वेडेपोल, श्री अडामो भी अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य देते हुए इस सम्‍मेलन में उपस्थित थे।

इस सत्र में उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के सर्वश्रेष्ठ दिग्‍गजों, नीति निर्माताओं और प्रमुख हितधारकों को ऊर्जा मिश्रण में हाइड्रोजन के भविष्य पर विचार-विमर्श और चर्चा करते हुए देखा गया।

उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने हाइड्रोजन के उपयोग पर अपनी कंपनियों द्वारा आरंभ की गई अपनी-अपनी पहलों को और भविष्य की अपनी योजनाओं के बारे में बताया। वक्ताओं ने हाइड्रोजन पर विकसित विभिन्न तकनीकों की प्रासंगिकता और देश के लिए इसकी प्राथमिकताओं के बारे में भी बात की।
हरित हाइड्रोजन विकास पर निम्नलिखित वक्ताओं ने अपना विचार प्रस्तुत किया: हाइड्रोजन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डॉ. आर.के. मल्होत्रा, हीरो फ्यूचर एनर्जीज़ के श्री श्रीवत्सन अय्यर, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के उच्च प्रौद्योगिकी केंद्र के श्री आलोक शर्मा, ग्रीनको ग्रुप के श्री अर्नवा सिन्हा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के श्री कपिल माहेश्वरी, एसीएमई ग्रुप के श्री संदीप कश्यप, बिट्स पिलानी के प्रो. रजनीश कुमार और क्लीनटेक बिजनेस क्लब के टॉमस स्लूसर्ज़।

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