73 साल पुराना है चीन-ताइवान विवाद, क्या दूसरा यूक्रेन बन सकता है ताइवान, जानें पूरा विवाद

73 साल पुराना चीन-ताइवान विवाद इन दिनों अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इस मामले में चीन के आक्रामक रूख से यह आशंका जताई जा रही है कि ताइवान निकट भविष्य में युद्ध का अखाड़ा बन सकता है और उसे ‘दूसरा यूक्रेन’ भी बताया जा रहा है। दरअसल ताइवान की स्वतंत्रता के पक्ष में अमेरिका खुलकर समर्थन कर रहा है और चीन इसे अपनी ‘वन चाइना पॉलिसी’ के खिलाफ बताकर अमेरिकी दखल मान रहा है।
जानें क्या है चीन-ताइवान विवाद

चीन और ताइवान का विवाद करीब 73 साल पुराना है। चीन में साम्यवादी शासन व्यवस्था है लेकिन 73 साल पहले चीन के लोकतंत्र समर्थक नेताओं का दमन किया जाने लगा था और उन्हें चीन के पूर्वी हिस्से में ताइवान को एक लोकतांत्रिक देश के रूप में स्थापित किया। ताइवान का आधिकारिक नाम भी Republic of China है, जहां लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है। वहीं दूसरी ओर महाशक्ति चीन का आधिकारिक नाम People’s Republic of China है, जहां एक मात्र दल कम्युनिस्ट पार्टी का शासन है। वहीं ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, जिसका अपना संविधान और अपने चुने हुए नेताओं की सरकार है।
ताइवान की भौगोलिक स्थिति बेहद खास

ताइवान एक द्वीप देश है, जो चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 100 मील दूर है। वन चाइना पॉलिसी के तहत चीन मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा।
आखिर क्यों दूसरा यूक्रेन बन सकता है ताइवान

दरअसल अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकारों का मानना है कि ताइवान भी यूक्रेन के समान एक स्वतंत्र राष्ट्र है। जिस प्रकार रूस यूक्रेन के ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए यूक्रेन पर अपना दावा करता रहा है, ठीक उसी प्रकार चीन भी ताइवान का अपना ही हिस्सा मानता है, लेकिन यूक्रेन का झुकाव अमेरिका की ओर होने के कारण रूस यह सहन नहीं कर पाया था और रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था।

वैसे ही ताइवान का झुकाव भी अमेरिका को ओर ज्यादा है और चीन के विरोध के बावजूद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी जब ताइवान पहुंची तो चीन भड़क गया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि रूस के समान चीन भी ताइवान पर हमला कर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *