- 50 पुरुष और 25 महिलाओं ने शुरू किया आमरन अनशन
- 8 अगस्त को रामलीला मैदान में रास्ता रोको कार्यक्रम
- दिल्ली सहित महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, एमपी, यूपी, असम, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, वेस्ट बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तमिलनाडु और उत्तराखंड आदि राज्यों के पेंशनभोगियों ने हिस्सा लिया
नई दिल्ली, दिनांक – 07 अगस्त 2022- भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर ईपीएस-95 के 75 पेंशनभोगियों ने ईपीएफओ और श्रम मंत्रालय के खिलाफ जंतर-मंतर, नई दिल्ली में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। माननीय प्रधानमंत्री और श्रम मंत्री के वादों के बावजूद देरी के खिलाफ आंदोलन के लिए देश भर में राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएसी) के सदस्यों ने राष्ट्रीय राजधानी का दौरा किया।
राष्ट्रीय आंदोलन समिति के संयोजक कमांडर अशोक राऊत ने श्रम एवं रोजगार मंत्री को कई पत्र लिखे थे लेकिन राहत की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अशोक राऊत ने कहा, “भारत सरकार अन्य पेंशन योजनाओं को सुचारू रूप से चला रही है लेकिन ईपीएस 95 पेंशनभोगियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इन सभी कारणों से पेंशनरों में गुस्सा चरम पर है। ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को न्याय दिलाने के लिए पिछले 5 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। एनएसी की चार सूत्रीय मांगों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है, इसीलिए 17 और 18 अप्रैल को शिरडी (महाराष्ट्र) की सीडब्ल्यूसी बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। हमारे सदस्यों की मृत्यु चिंता का विषय है। इसलिए हाल ही में 30 जुलाई 2022 को हुई सीबीटी बैठक में हमारी मांगों के संदर्भ में कुछ नहीं हुआ, सीबीटी कोई गंभीर प्रस्ताव नहीं भेज रहा है और हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है। ”
एनएसी प्रमुख अशोक राऊत ने 08 अगस्त को रामलीला मैदान में होने वाले विरोध प्रदर्शन का रोडमैप साझा किया। एनएसी के प्रमुख कमांडर अशोक राऊत ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “ईपीएफओ पेंशनभोगियों के खिलाफ चाल चलकर सीबीटी सदस्यों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। माननीया श्रीमती हेमा मालिनी की अगुवाई में हम माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिले लेकिन 70 लाख वृद्ध पेंशनरों का भाग्य अधर में लटका हुआ है। आज बुलढाणा महाराष्ट्र स्थित एनएसी मुख्यालय में 24 दिसंबर 2018 से महिलाओं सहित सैकड़ों वृद्धावस्था पेंशनभोगी चेन भूख हड़ताल पर हैं व आज आंदोलन का 1323 वा दिन है.यह खेदजनक और निराशाजनक है कि हमारे प्रिय और माननीय प्रधान मंत्री द्वारा दो बार पूर्व में किए गए वादे अभी तक श्रम मंत्रालय द्वारा पूरे नहीं किए गए हैं।”